अमरावतीमहाराष्ट्र

‘स्थान निश्चिति’ को लेकर प्राध्यापकों की लूट

राज्य सरकार ने तोडा यूजीसी का नियम, विवि प्रशासन सुस्त

* संस्था चालक, प्राचार्य व सहसंचालक कार्यालय पर मिलीभगत का आरोप
अमरावती/दि.9– वरिष्ठ महाविद्यालयों के प्राध्यापकों की स्थान निश्चिति के संदर्भ में संस्थाचालक, प्राचार्य व सहसंचालक कार्यालय के जरिए संबंधित प्राध्यापकों की लूट किये जाने का आरोप लगाया जा रहा है.
जानकारी के मुताबिक वरिष्ठ महाविद्यालय में विद्यापीठ अनुदान आयोग के नियमानुसार किसी प्राध्यापक के पीएचडी रहने पर 4 वर्ष में, एफफील रहने पर 5 वर्ष में तथा नेट सेट रहने पर 6 वर्ष में स्थान निश्चिति किये जाने का नियम है. जिसका उल्लंघन खुद महाराष्ट्र सरकार द्वारा किया जा रहा है. विद्यापीठ अनुदान आयोग की ओर से 18 जुलाई 2018 के रेगुलेशन के तहत नियम तय होने के बावजूद राज्य सरकार ने 5 मार्च 2019 को एक पत्र जारी कर जिस दिन विद्यापीठ व सहसंचालक कार्यालय के संयुक्त समिति की स्थान निश्चिति को लेकर सभा आयोजित होगी. उस दिन से स्थान निश्चिति दिये जाने की बात कही है. जबकि ऐसा करना सीधे तौर पर यूजीसी के नियमों का उल्लंघन है. क्योंकि कुछ संस्था चालक प्राचार्यों को अपने साथ मिलाकर योग्य समय पर स्थान निश्चिति करने की बजाय इसमें जानबुझकर विलंब करते है. जिसके पीछे कुछ आर्थिक वजहें छीपी होती है. जानबुझकर विलंब करने पर संबंधित प्राध्यापकों को पैसों के लेन-देन हेतु तैयारी दर्शानी पडती है और ऐसा करने पर भी समिति की सभा आयोजित कर ऐन समय पर स्थान निश्चिति की जाती है. ऐसा कई प्राध्यापकों का अनुभव रहा है.
इससंदर्भ में कई प्राध्यापकों के मुताबिक ज्यादातर संस्था चालक यह भुल गये है कि, वे मालिक नहीं बल्कि विश्वस्त है और वे अपनी जेब से प्राध्यापकों को वेतन नहीं देते, बल्कि सरकार की ओर से मिलने वाले अनुदान के जरिए प्राध्यापकों का वेतन अदा होता है. लेकिन इसके बावजूद अपनी जेब से प्राध्यापकों को वेतन देने का भाव निर्माण कर पैसों की मांग करते हुए प्राध्यापकों का आर्थिक शोषण करने का प्रयोग संगाबा अमरावती विद्यापीठ अंतर्गत कई महाविद्यालय में लगातार चल रहा है. जिसके बारे में विद्यापीठ व विभागीय सहसंचालक कार्यालय आंख मुंदे बैठे हुए है. जिसका सीधा मतलब है कि, विद्यापीठ व सहसंचालक कार्यालय की भी संस्थाचालकों व प्राचार्यों के साथ मिलीभगत है. ऐसा आरोप कई प्राध्यापकों द्वारा लगाया गयाप है.

* राज्य सरकार द्वारा समय रहते दखल लेना जरुरी
स्थान निश्चिति को लेकर विद्यापीठ अनुदान आयोग के नियम को महाराष्ट्र राज्य सरकार ने यदि समय रहते अमल में लाया होता, तो इसका संबंधित प्राध्यापकों को निश्चित तौर पर फायदा हुआ होता. परंतु कुछ लोगों की नकारात्मक प्रवृत्ति के चलते संबंधित प्राध्यापकों का बडे पैमाने पर नुकसान हो रहा है. जिसकी ओर महाराष्ट्र राज्य के उच्च शिक्षा संचालक द्वारा कब ध्यान दिया जाएगा. ऐसा सवाल अब प्राध्यापकों की ओर से पूछा जा रहा है.

* प्राध्यापक महासंघ का पहले से था विरोध
स्थान निश्चिति के मुद्दे को लेकर प्राध्यापक महासंघ ने पहले से ही अपना विरोध दर्शाया था. इस मुद्दे को लेकर पूरे राज्य में समस्याएं व दिक्कते है. जिसके चलते प्राध्यापकों का आर्थिक नुकसान हो रहा है. ऐसे में हम इस मुद्दे को लेकर सरकार के साथ संघर्ष कर रहे है.
– प्रा. डॉ. प्रशांत विघे,
सिनेट सदस्य, संगाबा अमरावती विवि.

* प्रलंबित मामले बताओ, तुरंत समाधान करेंगे
स्थान निश्चिति के मुद्दे को लेकर प्राध्यापकों के संगठन के साथ हाल ही में बैठक ली गई. जिसमें बताया गया कि, पात्र मामलों के दस्तावेज तैयार करने हेतु सामान्य तौर पर 8 से 15 दिन का समय लगता है. इसके बावजूद भी यदि कुछ मामले प्रलंबित होंगे, तो उन्हें ध्यान में लाकर दिये जाने पर उनका तुरंत समाधान किया जाएगा.
– डॉ. केशव तुपे,
उच्च शिक्षा, सहसंचालक.

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