अमरावतीमहाराष्ट्र

प्रकल्प ग्रस्तों ने दिया आंदोलन छेडने का इशारा

शहर में हुई सभा में लिया निर्णय

अमरावती/दि.04– विगत अनेक वर्षो से विदर्भ के प्रकल्पग्रस्त किसान, खेत मजदूर, पुनर्वसीत नागरिक व प्रकल्पग्रस्त प्रमाण पत्र धारक सुशिक्षित बेरोजगार अपने हक के लिए शांति पूर्वक मांर्ग से निरंतर संघर्ष कर रहे है. फिर भी सरकार इन अन्नदाताओं की समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है. अपनी मांग पूरी न होते देख अब ये प्रकल्पग्रस्त फिर से आंदोलन का रास्ता अख्तियार करने की राह पर चल रहे है. कल रविवार को स्थानीय पंचवटी चौक स्थित वर्‍हाडे मंगल कार्यालय में आयोजित निर्धार सभा के दौरान यह निर्णय लिया गया. बैठक में विदर्भ बलीराजा प्रकल्पग्रस्त संघर्ष संगठन संस्थापक मनोज चव्हाण, सचिव सुनील घटाले, वरिष्ठ मार्गदर्शक राजा काले, कोषाध्यक्ष संजय गीद, अमरावती जिला अध्यक्ष प्रशांत मुरादे, उपाध्यक्ष शेख हबीब भाई आदि मंच पर उपस्थित थे.

राज्य सरकार के उदासीन कार्य व स्थानीय जनप्रतिनिधियों की परेशानी से बेहाल हुए प्रकल्पग्रस्त आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे है. प्रगतिशील महाराष्ट्र के लिए यह बहुत ही शर्मनाक बात है. इस तरह की बात करते हुए विदर्भ बलीराजा प्रकल्पग्रस्त संघर्ष संगठन के संस्थापक अध्यक्ष मनोज चव्हाण ने प्रकल्पग्रस्तों के निर्धार सभा में कहा. इस निर्धार सभा में विदर्भ के नागपूर, चंद्रपूर, भंडारा, यवतमाल, वाशिम, अकोला, बुलढाणा, अमरावती, गडचिरोली जिलों से प्रकल्प ग्रस्त पदाधिकारी उपस्थित थे. हजारों प्रकल्पग्रस्तों ने अमरावती से नागपूर तक निकली लॉग मार्च के दौरान 13 दिसंबर 2023 को विधानसभा भवन नागपूर में राज्य के जलसंपदा तथा मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस से शिष्टमंडल के साथ बैठक लेकर सकारात्मक निर्णय लेने की भुमिका लेकर 15 जनवरी 2024 को प्रकल्पग्रस्तों की मांग पर अतिम बैठक लेकर सकारात्मक निर्मय लेकर प्रकल्पग्रस्तों को अच्छी खबर देने का मौखिक आश्वासन दिया था. मगर उस पर किसी तरह की कार्रवाई आज तक नहीं हुई. देवेन्द्र फडणवसीस व्दारा दिए गए शब्दों को प्रकल्पग्रस्त किसान बहुत ही नाराज होकर अपने शब्दों को व्यक्त करते नजर आ रहे है. विधानसभा लोकसभा प्रतिनिधि के संदर्भ में प्रकल्पग्रस्तों में काफी गुस्सा नजर आ रहा है. आने वाले चुनाव में प्रकल्पग्रस्तों के लाखों वोट जनप्रतिनिधि को सबक सिखाएगे, ऐसी बात सभा के दौरान कही सुनी गई.

चुनाव उम्मीदवार को गांव में आने से पाबंदी, मतदान का बहिष्कार, बहिष्कार सभा, निषेध सभा ऐसे विभिन्न आंदोलन के विषय पर चर्चा की गई. अगर आने वाले चार दिनों में सरकार स्तर पर सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया तो, हजारों प्रकल्पग्रस्त दोबारा रास्ते पर उतरकर उग्र स्वरुप से आंदोलन करेगें. ऐसा निर्णय भी सभा में लिया गया. इस दौरान वरिष्ठ प्रकल्पग्रस्त डॉ. अशोकराव केवले ने भी सभा को संबोधित किया तथा सभी जिले से कार्यकर्ता अपने अपने चुनाव क्षेत्र के प्रकल्पग्रस्तों का सम्मेलन लेकर संगठन का आंदोलनात्मक एजेंडा पर जनजागृती करने का आवाहन सचिव सुनिल घटाले ने किया है. इस समय वरिष्ठ मार्गदर्शक राजा काले, कोषाध्यक्ष संजय गीद, अमरावती जिला अध्यक्ष प्रशांत मुरादे, उपाध्यक्ष शेख हबीब भाई. वाशीम जिला उपाध्यक्ष शेख रियाज पटेल, बुलढाणा जिला उपाध्यक्ष भास्कर वानखडे, यवतमाल जिला उपाध्यक्ष ओमप्रकाश कोमावार, चंद्रपूर जिला अध्यक्ष रोषण धवल, गडचिरोली जिला अध्यक्ष उमेश बुल, भंडारा जिला अध्यक्ष रत्नाकर कुलकर्णी, नागपूर जिला अध्यक्ष गजानन ठाकरे, गौतमराव खंडारे, दिलीप कदम, राजु लोनकर, मनोज तंबाखे, निलेश भाऊ ठाकरे, डॉ दिलीप चौधरी,राजेश खेलकर, अन्नाजी सोनवणे, अनिल खेलकर, शुभम दवंडे, राजेश चौधरी, शुभम डोनालकर, भाटुसिंह पवार, रुपेश उघडे, पद्माकर शिवरगा, दिलीप कवर, नरेश वानखडे, सचिन गोमकाले, मोहनराव गोमकाले, मोहन बोबडे, मधुकराव नवले, गणेश कोंडाणे सहित विभिन्न जिलों के प्रकल्प निहाय संगठन के सैकडो प्रतिनिधि, कार्यकर्ता उपस्थित थे.

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