प्रतिनिधि/दि.११
अमरावती – महाराष्ट्र शिक्षा सेवा गट-अ (प्रशासन शाखा) शिक्षणाधिकारी पद पर सरकारी निर्णय के अनुसार राज्य के १२ द्वितीय श्रेणी अधिकारियों को पदोन्नति दी गई है. इसमें से एक प्रभारी शिक्षाधिकारी इसी महिने में सेवानिवृत्त होने जा रहे है. ऐसे में उन्हें बडी मुश्किल से १५ से २० दिनों तक ही अपने नये पद का आनंद लेने का अवसर मिलेगा. बता दें कि, महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग की परीक्षा उत्तीर्ण करने पर कुछ पदों को राजपत्रित दर्जा मिलता है. जल्दी प्रमोशन मिलेगा और अन्य भत्ते मिलेंगे, ऐसे सपनों के साथ कई लोग अपना काम शुरू करते है. किंतु हकीकत में सेवा प्रदान करते समय अलग ही अनुभव सामने आते है, क्योंकी सरकारी गाडी तो दूर, कई बार यात्रा भत्ते के लिए भी वादविवाद करना पडता है. हाल ही में हुई पदोन्नतियों में वर्ष १९९५ की बैच के द्वितीय श्रेणी अधिकारियों का भाग्य जागा और उन्हें २५ वर्षों बाद प्रथम श्रेणी अधिकारी की कुर्सी पर बैठने का अवसर मिल रहा है. राज्य में प्रथम श्रेणी अधिकारियों के ५० से अधिक पद रिक्त रहने के बावजूद केवल १२ अधिकारियों की ही लॉटरी लगी है. नई राष्ट्रीय शैक्षणिक नीति को इस समय अमल में लाया जा रहा है, लेकिन अनेक जिलों में मुख्यधारावाले शिक्षणाधिकारियों के पद रिक्त पडे है. वहीं शिक्षा व्यवस्था के लिहाज से सफेद हाथी के रूप में जाने जाते निरंतर शिक्षाधिकारी के पदों को भरने के पीछे सरकार का क्या उद्देश है, यह सवाल उपस्थित किया जा रहा है. इस समय जिन १२ अधिकारियों को प्रमोशन देकर वर्ग १ के पद पर नियुक्त किया गया है, उनमें से अधिकांश आगामी एक वर्ष में सेवानिवृत्त होने जा रहे है. ऐसे में इन सभी अधिकारियों को सेवानिवृत्ती पश्चात लाभान्वित करने के लिहाज से तो कही यह कदम नहीं उठाया गया, ऐसी चर्चा भी चल रही है. एक लंबी प्रतिक्षा के बाद दी गई पदोन्नति में भी कई महत्वपूर्ण पदों पर कनिष्ठ अधिकारियों को प्रभारी के तौर पर नियुक्त किया गया है, वहीं प्रमोशन प्राप्त करनेवालों को भी दुय्यम पद दिये गये है. जिससे कई लोगों में नाराजगी देखी जा रही है. इस विषय को लेकर एक अधिकारी ने कहा कि, यदि हम मुख्य पद के लायक नहीं है, तो भविष्य में सरकार हमें कम से कम उन पदों का प्रभार भी न दे. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, यदि सरकार द्वारा प्रत्येक निश्चित अंतराल के बाद पदोन्नति दी जाती है, तो अधिकारियों का उत्साह कायम रहता है, लेकिन विगत लंबे समय से पदोन्नति ही नहीं होने के चलते कई अधिकारी अपने मूल पदों से ही सेवानिवृत्त हो गये है. इस विषय को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए एक अधिकारी का कहना रहा कि, एक ही पद पर लगातार काम करने की वजह से एक तरह की बोरियत व उबावूपण घर करने लगते है. वहीं यदि समय-समय पर पदोन्नति की प्रक्रिया चलायी जाती है तो काम करने में उमंग व उत्साह बना रहता है. साथ ही प्रशासन में गतिशिलता भी बनी रहती है.