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वॉट्सअ‍ॅप पर प्रचार श्ाुरू, कैसे करें कंट्रोल !

चुनाव आयोग की मशनरी के सामने पेच

* पेट्रोलिंग की बडी चुनौती
नागपुर/ दि. 18-लोकसभा चुनाव में पहली बार सोशल मीडिया को उम्मीदवार और राजनीतिक दल बहुत महत्व दे रहे हैं. वॉट्सअ‍ॅप सहित विभिन्न समाज माध्यम से प्रचार पर जोर दिया जा रहा है. चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया के प्रचार पर कडी नजर रखने का दावा किया है. किंतु हकीकत में वॉट्सअ‍ॅप पर प्रचार पर नजर रखने जरूरी यंत्रणा उपलब्ध नहीं होने से प्रचार की अवधि खत्म होने के बाद भी प्रचार चलते रहने का चित्र है.
चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया पर कडा वॉच रखने का दावा किया था. सोशल मीडिया पर हो रहे खर्च की जानकारी भी उम्मीदवार आयोग के सामने प्रस्तुत कर रहे हैं. वॉट्सअ‍ॅप पर सर्वाधिक प्रचार होता दिखाई दे रहा है. एक साथ कम खर्च में कई लोगों तक संदेश पहुंच जाता है, इसलिए उम्मीदवारों की प्रचार यंत्रणा इस पर जोर दे रही है. उम्मीदवारों के मीडिया हैंडलर्स और कार्यकर्ताओं ने विविध ग्रुप तैयार किए हैं. रोज लाखों लोगों तक विविध ग्रुप के जरिए संदेश पहुंच रहे हैं.
सोशल मीडिया पर ध्यान रखने चुनाव आयोग ने विशेष समिति स्थापित की. किंतु वॉटसअ‍ॅप के संदेशों की जांच करना कठिन हो रखा है. इसके अलावा कार्यकर्ता के प्रत्येक फोन की वॉट्सअ‍ॅप की जांच संभव नहीं हैं. आयोग के पास ऐसी यंत्रणा नहीं जो इसकी निगरानी कर सकें. प्रत्येक नंबर की ट्रैकिंग संभव नहीं होने की बात क्षेत्र के जानकार करते हैं.
चुनाव प्रचार की समय सीमा खत्म होने के बाद सभा, रैली, पत्रक वितरण आदि बंद हो जाते है. उम्मीदवार के नंबर से भी प्रचार का एक भी संदेश नहीं जा सकता. किंतु कार्यकर्ता और अन्य यंत्रणा के माध्यम से वॉट्सअ‍ॅप पर प्रचार शुरू हैं.

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