अमरावती

नांदगांवपेठ में कम पटसंख्या की आठ शालाओं के एकत्रिकरण का प्रस्ताव

जिले में समूह शाला तैयार करने के लिए 7 मानक महत्वपूर्ण सबित होंगे

* जिले में 20 कम पटसंख्या की 388 शाला
अमरावती/दि.10– जिले की 20 अथवा उससे कम विद्यार्थी संख्या वाली कुछ शालाओं के विकास के लिए परिसर के मध्यवर्ती स्थल पर समूह शाला विकसित करने की प्रक्रिया की कुछ स्थानों पर शुरुआत हुई है. जिले की 388 शालाओं में विद्यार्थी संख्या 20 अथवा उससे कम रहने के कारण भविष्य में यह सभी शाला समूह शाला में शामिल होगी क्या? इस ओर पालकों समेत शिक्षा क्षेत्र का ध्यान लगा हुआ है. जिले की 20 अथवा उससे कम पटसंख्या वाली 8 से 9 शाला नांदगांवपेठ में एकत्रित करने के संदर्भ में जिले का पहला प्रस्ताव प्राथमिक शिक्षणाधिकारी ने शिक्षा उपसंचालक के पास भेजा है.

पटसंख्या कम रही शाला के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलने में दुविधा आ रही है. विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षण के साथ क्रीडा क्षेत्र मेें भी अवसर उपलब्ध हो, विद्यार्थियों के सर्वांगिण विकास के लिए सकारात्मक परिणााम होना आवश्यक है. लेकिन कम पटसंख्या वाली शाला में इसके साथ अन्य कुछ दुविधा निर्माण होती है इस कारण समूह शाला विकसित की तो विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा व अन्य सुविधा मिलेगी. इस कारण समूह शाला विकसित करने की प्रक्रिया शुरु करने बाबत के निर्देश एक बैठक में उपमुख्यमंत्री (वित्त) ने दिए हैं. समूह शाला निर्माण करने के पीछे राज्य शासन का शाला बंद करना अथवा शिक्षकों के पद रिक्त करना, उद्देश्य नहीं है. बल्कि गुण्वत्ता की दृष्टिकोण से विद्यार्थियों को आवश्यक प्रमाण में शैक्षणिक सुविधा मिले और उसमें विविध अध्ययन क्षमता विकसित हो, यही इसके पीछे का प्रमुख लक्ष्य रहने की बात शिक्षण आयुक्तालय व्दारा जारी किए गए पत्र मेें दर्ज की गई है.

* समूह शाला चयन का मानक
– समूह शाला का चयन करते समय कम पटसंख्या की जिन शालाओं का समावेश करना है वहां से समूह शाला का स्थल मध्यवर्ती स्थान पर हो, बारह माह चालू रहे ऐसे मार्ग से उसे जोडा जाए.
– कम पटसंख्या की शाला जिस समूह शाला में जोडी जाएगी उस शाला का अंतर विद्यार्थियों को बस से 40 मिनट से अधिक सफर का न रहे.
– समूह शाला में प्रत्येक कक्षा के लिए स्वतंत्र कमरे, वाचनालय, संगणक कक्ष, विज्ञान प्रयोगशाला, विविध कला, संगीत के लिए बहुउद्देशीय कक्ष व प्रशस्त मैदान रहे.
– पहली से पांचवीं की प्रत्येक कक्षा के लिए स्वतंत्र शिक्षक और छठवीं से आठवी के लिए प्रत्येक विषय के लिए स्वतंत्र विषयतज्ञ शिक्षक रहने चाहिए.
– नई शैक्षणिक नीति में सूचित किए मुताबिक 18 मूलभूत सुविधा आवश्यक है.
– विद्यार्थियों को लाने ले जाने के लिए नि:शुल्क बस की सुविधा उपलब्ध करने के लिए शासकीय निधि अथवा सीएसआर निधि का इस्तेमाल करें.
– प्रत्येक बस में जीपीएस ट्रैकर, सीसीटीवी तथा बिल्लाधारक चालक व महिला पर्यवेक्षक रहे.

* समूह शाला का निर्णय गलत
समूह शाला विकसित करने का निर्णय पूरी तरह गलत है. शाला में विद्यार्थियों को अधिक भौतिक सुविधा उपलब्ध कर देने की बजाए, विद्यार्थियों और शिक्षक के बीच प्रत्यक्ष संवाद अधिक महत्वपूर्ण हो और विद्यार्थी हित का रहता है. समूह शाला तक छात्र-छात्राएं कैसी पहुंचेगी यह महत्व का सवाल है. क्योंकि कक्षा 1, 2 के पाल्य आयु में 6 से 7 वर्ष के रहते हैं. उन्हें हर दिन आधा घंटा अथवा समूह शाला तक लगने वाले समय का सफर पूर्ण कर शिक्षण लेना यह प्रैक्टिकली कैसे संभव होगा.
– राम पवार,
सेवानिवृत्त शिक्षण उपसंचालक

* विद्यार्थियों का शैक्षणिक नुकसान करने का प्रयास
समूह शाला निर्माण करना यानी ग्रामीण इलाकों के विद्यार्थियों के शिक्षण पर घात करने का प्रकार है. इसका शैक्षणिक नुकसान करने का प्रयास है. शिक्षण हक कानून 2009 के मुताबिक कोई भी शाला बंद करते नहीं आ सकती. साथ ही प्राथमिक शाला यह गांव में ही रहना आवश्यक है. लेकिन सरकार इस योजना से शिक्षा पर होनेवाला खर्च कम करने का प्रयास कर रही है यह उचित नहीं है.
– राजेश सावरकर,
राज्य प्रसिद्धी प्रमुख,
राज्य प्राथमिक शिक्षक समिति

* एक प्रस्ताव भेजा
ेजिले के नांदगांव पेठ परिसर की कम पटसंख्या की 8 से 9 शाला नांदगांवपेठ में समूह शाला में लेने बाबत का प्रस्ताव हमने शिक्षण उपसंचालक के पास भेजा है. इसके अलावा जिले की 20 अथवा उससे कम पटसंख्या की शेष शाला बाबत प्रस्ताव मांगा नहीं है अथवा भेजने कहा नहीं है.
– बुद्धभूषण सोनोने,
शिक्षणाधिकारी प्राथमिक

* शिक्षा हक कानून क्या कहता है?
– कक्षा 1ली से 5वीं तक विद्यार्थियों की शाला 1 किमी परिसर में रहे
– कक्षा 6वीं से 8वीं की शाला 3 किमी के भीतर रहे.
– कक्षा 9वीं से 10वीं की शाला 5 किमी के भीतर रहे.
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