अमरावती

अंबा नदी को गतवैभव दिलाने का प्रस्ताव

शहर के 4 तज्ञों ने लिया पुढाकार

* मनपा, मजीप्रा भी सकारात्मक
* अस्वच्छता दूर कर नदी का पुनरुज्जीवन
अमरावती/दि.30– अंबानाला यह नाम सुनते ही हर किसी के जहन में केवल गंदगी की बात आती है. वर्तमान में अंबानाला में बडी मात्रा में गंदगी व्याप्त है. लेकिन वर्तमान का यह अंबानाला एक दौर में अंबा नदी के रुप में बहता था. तब उसकी स्थिति बेहद अलग थी. लेकिन अब पुराने अंबा नदी को फिर एक बार गतवैभव दिलाने के नियोजन पर काम किया जा रहा है. इसके लिए शहर के 4 तज्ञों ने संशोधक डॉ. प्रवीण विधले के साथ अंबा नदी को गतवैभव प्राप्त कराने का नियोजन किया है. जिसे महानगरपालिका व महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण से भी सकारात्मक प्रतिसाद मिल रहा है. अंबा नाले के विकास के लिए ब्ल्यू प्रिंट भी तैयार कर लिया गया है. शहर के जनप्रतिनिधि भी इस प्रकल्प को बढावा दे, तो यह प्रकल्प प्रत्यक्ष साकार होने में देर नहीं लगेगी.
अंबा नदी का उगम वडाली परिसर में भी टेकडियों के जलस्त्रोत से बदलते परिवेश में अमरावती शहर बढते गया और पहले केवल परकोट के भीतर सीमित शहर अब तेजी से बढ गया है. जिससे अंबा नदी अंबा नाले में बदल गई. लेकिन अब उसे फिर एक बार नदी में रुपांतरित करना संभव है. इसके लिए सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यवरण प्रेमी, कुशल नियोजन, अधिकारी व जनप्रतिनिधियों की इच्छा शक्ति की जरुरत रहने की बात भी डॉ. विधले ने कहीं.

* इन 4 तज्ञों ने बनाया एक्शन प्लान
संशोधक डॉ. प्रविण विधले इनका राष्ट्रीय नदी जोडों प्रकल्प पर ब्रह्मसागर योजना पेपर प्रसिद्ध है. उसी प्रकार अंतरराष्ट्रीय जल परिषद, वर्ल्ड वॉटर फोरम, इस्तंबुल, यूनेस्को, टैरिज रिसर्च पेपर में भी उनके रिसर्च प्रसिद्ध हुए है. उनके साथ जलतज्ञ व स्थापत्य विशारत अभियंता पुष्कर सारडा, शहर के भूजल भरण में अग्रणी प्रा. प्रवीण खांडवे तथा शहर के भूगोल का ज्ञान रहने वाले नगर विकास विभाग के निवृत्त अभियंता देव पुजारी इन 4 तज्ञों ने मिलकर अंबा नदी को गतवैभव दिलाने का एक्शन प्लान बनाया है.

* वडाली तालाब क्षेत्र से उगम
अंबा नदी का उगम अमरावती शहर के पश्चिम दिशा में स्थित वडाली तालाब सहित क्षेत्र की टेकडियों में स्थित जलस्त्रोतों से हुआ है. वह पश्चिम वाहिनी बनकर शहर के मध्यक्षेत्र से कई टर्न लेते हुए 10 किलो मीटर तक लालखडी परिसर से बहते हुए पेढी नदी में समावेशित होती है. वर्तमान में यहीं अंबा नदी नाला बन गई है. इस नाले से शहर के 10 लाख लोगों के घर से निकलने वाला निकासी का पानी बहता है. इस नाले में अन्य नाले भी मिलते है.

* ऐसा है प्रकल्प
घरों से निकलने वाले निकासी के पानी का वहन करने के लिए भूमिगत गटर योजना का काम शुरु है. अंबा नाले में भी 5 से 6 फीट की खुदाई कर पाईप लाईन डाली गई है. इस पाईप लाईन के माध्यम से नाले का पानी जलशुद्धिकरण केंद्र तक पहुंचाया जाएगा. वडाली से लालखडी तक का सर्वे कर अंबानाले में अधिक चौडाई वाले जगहों का चयन करना पडेगा. नाले के दोनों किनारों पर सुरक्षा दिवार का निर्माण करना पडेगा. नाले के दोनों किनारों पर विशिष्ट उचाई पर उतार का समतोल बनाते हुए बंदिस्त नालियों का निर्माण कराया जाएगा, उसके बाद नियोजन के तहत फूटपाथ बनाये जाएंगे. यह पानी कलेक्टींग सैम्प के माध्यम से बंदिस्त नालियों में ही बहे, ऐसी व्यवस्था की जाएगी, जिससे नाले से बहने वाला पानी सीधा जलशुद्धिकरण केंद्र तक पहुंचेंगा. इस पद्धति से क्षेत्र के भूप्रवाही निकासी का पानी दोनों किनारे पर निर्मित नालियों के माध्यम से छोडा जाएंगा. जिससे दुषित पानी नाले के पात्र में नहीं जाएंगा. कुछ विशिष्ट जगहों पर पानी को रोकने के लिए लिवर, व्हॉल टाईप बैरेज निर्मित किये जाएंगे. बरसात में वडाली तालाब हाउसफूल्ल होगा. नाले किनारे के घरों पर रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाकर यह पानी सीधे नदी में छोडा जाएंगा. कन्ट्रोल व्हॉल तथा बैरेज की मदद से नदी के जलस्तर पर नियंत्रण रखते आएंगा तथा जगह-जगह पर निर्मित रिचार्ज शॉफ्ट के माध्यम से भूगर्भ जलस्तर बढाने में मदद मिलेगी. इस नदी के किनारों पर बगीचे विकसित किये जा सकेंगे, जिससे शहर का सौंदर्य खिल उठेंगा.

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