मनोरोगी बढे, चिंता और निराशा छोडे
सरकारी अस्पताल में हर दिन 40 से 50 मरिजों पर उपचार
अमरावती/दि. 28– स्पर्धा के इस युग में चिंता और निराशा बढी है. दूसरी तरफ मोबाईल और कम्प्यूटर के अधिक इस्तेमाल के कारण संवाद जैसे खत्म हो गया है. इस कारण मानसिक बीमारी पर उपचार लेनेवाले मरिजों की संख्या बढी है, ऐसा मानसोपचार तज्ञों का कहना है. जिला सामान्य अस्पताल में हर दिन 40 से 50 मरिज मानसिक बीमारी बाबत और चिंता व निराशाग्रस्त मरिज उपचार के लिए आ रहे है.
* कारण क्या?
प्रत्येक को अपने भविष्य की चिंता है. लेकिन वर्तमान में कोई भी कुछ सोचने तैयार नहीं है. बढती स्पर्धा भी निराशा के लिए कारणीभूत है.
* इस बात का रखे ध्यान?
– विचार : नकारात्मक विचार की तरफ अनदेखी कर प्रत्येक को हमेशा सकारात्मक विचार करना आवश्यक है.
– बर्ताव : अपने बर्ताव से भी मानसिक स्थिति का अनुमान होता है. इस कारण बर्ताव किस तरह अच्छा रहेगा इस ओर ध्यान रखना आवश्यक है.
– भावना : प्रत्येक व्यक्ति के प्रति अपनेपन की भावना आवश्यक है. चिंता में रहे व्यक्ति अनेक बार अन्यों पर रोष व्यक्त करते है.
* सुनिए मानसोपचार तज्ञ की सलाह
स्पर्धा के इस युग में प्रत्येक व्यक्ति अन्यो से अपनी तुलना करता है और इससे उसमें निराशा आती है. अनेक पालको की बच्चों से अनेक अपेक्षा रहती है. इस कारण वह पूर्ण करते समय बच्चों में निराशा का प्रमाण बढता है. इस कारण प्रत्येक को वर्तमान में जीना सिखना चाहिए. एक-दूसरे से विचारो का लेन-देन, परिवार में संवाद रहना आवश्यक है.
– अमोल गुल्हाने, मानसोपचार तज्ञ.