अमरावती/दि.5- विधानमंडल का शीत सत्र दो वर्ष बाद नागपुर में होने जा रहा हैं. प्रदेश में सत्तांतर भी हुआ हैं. ऐसे में विदर्भ के लोगों की आशा अपेक्षाओं का उभार राज्य शासन से देखने मिला हैं. अमरावती मंडल ने विविध क्षेत्र के विशेषज्ञ से इस बारे में चर्चा की तो अनेक विषयों और प्रकल्पों की अपेक्षाएं उभरकर सामने आई. इसी कडी में पहली बातचीत शहर के प्रसिद्ध उद्यमी कमलेश डागा से की गई. डागा अमरावती मैनेजमेंट असो. के अध्यक्ष होने के साथ एमआईडीसी और विविध असो. तथा संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी बखूबी निभा चुके हैं. दो रोज पहले प्रदेश की और देश की पहली कौशल्य विद्यापीठ की कुलगुरु डॉ. अपूर्वा पालकर अमरावती पधारी तो विद्यार्थी हित में सर्वप्रथम चर्चा हेतु जिन उद्यमियों को आमंत्रित किया, उसमें कमलेश डागा अग्र्रणी थे.
* नादंगांव पेठ में सिर्फ रिलोकेट हो रहे उद्योग
कमलेश डागा ने चर्चा के आरंभ में ही विदर्भ के पिछडेपन के लिए यहां के लीडरान पर दोष मढा. उन्होंने कहा कि, 12-15 साल से बेलोरा विमानतल के विकास और एक्टिव होने की बात सुन रहे हैं. अभी तक कुछ नहीं हुआ. अमरावती के बाद और छोटे शहरों में विमानतल शुरु हो गए हैं. जब तक आवागमन के साधन सुचारु नहीं होते, यहां उद्यम और बडे प्रकल्प कैसे आएंगे? डागा ने कहा कि, उद्योगों के लिए मूलभूत सुविधाएं आवश्यक होती हैं. बडे उद्योगपतियों के कीमती समय को देखते हुए और उन्हें पैन इंडिया में जाने के लिए विमानतल सुचारु होना जरुरी रहता हैं. डागा ने कहा कि, नांदगांव पेठ में कपडा हब बनाए जाने की लफ्फाजी हो रही हैं. वहां जो प्रकल्प लगाए गए और प्रस्तावित है वह सिर्फ रिलोकेट होने वाले उद्योग हैं. उनसे अपेक्षित प्रमाण में रोजगार भी यहां के युवाओं को नहीं मिल रहे.
* सीधी दिल्ली ट्रेन भी नहीं
कमलेश डागा ने कहा कि, अमरावती में आवागमन के साधनों तथा सुविधाओं का ऐसा अभाव है कि हर बडा प्रकल्प यहां आने से कतराता हैं. सीधी दिल्ली ट्रेन भी यहां के उद्यमियों को उपलब्ध नहीं. इसके लिए नागपुर या भुसावल जाना पडता हैं. उद्योग तथा सरकारी प्रकल्पों को विदर्भ के नाम पर सिर्फ नागपुर में खिसका दिया जाता हैं. यह कहां तक उचित हैं. पश्चिम विदर्भ को पीछे रखा गया हैं. यहां संतरा और अन्य स्थानीय फसलों पर आधारित उद्यमों के लिए अच्छा स्कोप हैं. अमरावती में पोटेन्शियल हैं. थोडी पहल लीडरशिप को करनी होगी.
* मेडिकल कॉलेज, रेडिमेड का क्लस्टर बनें
अमरावती चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष विनोद कलंत्री ने अमरावती मंडल से चर्चा में बता दिया कि, नागपुर शीत सत्र का मुख्य उद्देश्य विदर्भ के विकास प्रकल्पों पर चर्चा और उसका प्रभावी क्रियान्वयन हैं. विदर्भ करार में यह बात स्पष्ट की गई थी बावजूद इसके 2 वर्ष नागपुर में अधिवेशन नहीं हो सका. विदर्भ के अनेक प्रश्न बरसों बाद भी जस के तस खडे हैं. बता दें कि विनोद कलंत्री स्वयं व्यवसायी और उद्यमी होने के साथ व्यापारियोें से संबंधित मसलों पर किसी भी विभाग के उच्च अधिकारी से चर्चा करने में अग्रणी रहते हैं. टैक्स संबंधी अनेक विषयों को आपने बखूबी हैंडल किया हैं.
उद्योगों को दें सस्ती बिजली
विदर्भ के उद्योगों को किफायती बिजली देने के विनोद कलंत्री बडे हिमायती हैं. उनका तर्क भी बिल्कुल साफ है. बिजली का उत्पादन विदर्भ में होता है तो यहां के उद्यमियों को राहत मिलनी ही चाहिए. गत दो वर्षो से घोषित सबसीडी का लाभ यहां के उद्योगों को नहीं मिल पाने से उन पर बडा असर पडा हैं. कलंत्री के मुताबिक नांदगांव पेठ एमआईडीसी के कपडा प्रकल्पों को पानी का भी मुद्दा है जो विधानमंडल में उपस्थित किया जाना चाहिए.
* सरकार खरीदी करें चना
किसानों से संबंधित अनेक विषय हैं. उसमें इस बार चना खरीदी का विषय महत्वपूर्ण हैं क्योंकि सोयाबीन और तुअर की फसल खराब होने से इस बार किसानों का दारोमदार चना पर हैं. उसे अच्छे दाम मिलने चाहिए. सरकार को हस्तक्षेप कर बहुराष्ट्रीय कंपनियोें का पैसा ओपन मार्केट में लाना और चना की खरीदी करने पर रहनी चाहिए. संभवत: फरवरी में नई फसल आएगी. इससे पिछले वर्ष चने को एमएसपी से काफी कम दाम मिले थे.
* विमानतल का काम समय पर
अमरावती के विमानतल का काम तेजी से करने की बातें हो रही हैं. कम से कम इस बार समयसीमा के अनुसार वहां का विकास होकर निर्धारित वक्त पर उडानें शुरु करना जरुरी हैं. अमरावती में मेडिकल कॉलेज की घोषणा हो चुकी हैं. उसे भी साकार करने पर जनप्रतिनिधियों को विधानमंडल में सरकार पर दबाव डालना चाहिए. विभागीय मुख्यालय होने पर भी शासकीय, वैद्यकीय महाविद्यालय नहीं हैं. यह देखा जाए तो अमरावती के लिए बहुत शोभा की बात नहीं. यहां की प्रतिभाओं को अवसर नहीं मिलते या फिर दूसरे शहरों की ओर दौड लगानी पडती हैं. व्यापारी नेता कलंत्री ने दिल्ली के साथ अमृतसर के लिए भी अमरावती से सीधी ट्रेन की अपेक्षा व्यक्त की. उन्होंने कहा कि, अमरावती के लोगों की काफी जन अपेक्षाएं हैं. यहां के रेडिमेड कपडा हब को क्लस्टर के जरिए और भी बढाया जा सकता हैं. इसके लिए एमएसएमई में खास प्रावधान होने चाहिए.