अमरावतीमहाराष्ट्र

वित्त मंत्री से जीएसटी को लेकर पब्लिक की अनेक अपेक्षाएं

प्रक्रिया सरल करने की लगभग सभी की डिमांड

* सराफा बाजार को अपेक्षा है घटेगा सोने पर टैक्स
अमरावती /दि.17– दो सप्ताह बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन देश का अर्थसंकल्प संसद में प्रस्तुत करने वाली है. ऐसे में अमरावती के आम और खास लोगों की बजट अपेक्षाओं की चर्चा अमरावती मंडल शुरु कर चुका है. आज की चर्चा में भी शहर के तीन अग्रणी चार्टर्ड अकाउंटंट ने व्यापारियों, उद्यमियों की ओर से बात रखी है. कर सलाहकारों सहित लगभग सभी की डिमांड है कि, सेवा व वस्तु कर नियम में बदलाव किया जाये. इसे सरल किया जाये. इसके कई प्रावधान जटिल होने की तरफ एक बार फिर वित्त मंत्री का ध्यान दिलाया गया है. उधर सराफा बाजार को भी बजट से बडी उम्मीद है. सराफा व्यापारी एसोसिएशन ने कीमती धातु पर तीन प्रतिशत की दर से जीएसटी वसूले जाने पर ही सवाल उठाये हैं. उनका स्पष्ट मानना है कि, सोने, चांदी पर जीएसटी की रेट रुपया, आठाना की जाये. अन्यथा लोग कच्चे में ही व्यवहार करेंगे. जिससे सरकार का टैक्स कलेक्शन का नुकसान होगा. टैक्स कम होने से आज के दौर में अधिकाधिक लोग बिलों में सोना, चांदी, आभूषण खरीदेंगे. जिससे देश की अर्थव्यवस्था को बढावा मिलेगा.

* जीएसटी की जटिल प्रोसिजर आसान बनाएं
आगामी बजट में अपेक्षा सीए प्रकाश एन वारदे अमरावती बजट में लोगों को आसानी और व्यापार में बढ़ोतरी हो ऐसी अपेक्षा है. 1) जीएसटी में होने वाले जटिल प्रोसीजर को आसान बनाना. यूजर फ्रेंडली रहेगा तो व्यापारी टैक्स भरने के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे. जीएसटी टैक्स रेट में कटौती होगी तो टैक्स का कलेक्शन बढ़ेगा. 2) इनकम टैक्स में एक ही रेजीम यानी कि नया रेजीम होगा तो आसानी रहेगी और इसमें टैक्स भी कम लगता है. इनकम टैक्स की लिमिट सभी के लिए 7 लाख होना चाहिए और ज्यादा इनकम वाली को लगने वाला सरचार्ज को हटाना होगा. जिससे अभी जो टैक्स का दर 40 प्रतिशत के ऊपर जाता है वह कम होगा और टोटल टैक्स की आवक बढ़ेगी. 3) लोक लुभावन स्कीम के लिएब्लगने वाला पैसा कहा से आयेगा और उस कारण दूसरे कौनसे खर्च कम होने वाले है इसका भी ब्यौरा देना चाहिए.
– सीए प्रकाश वारदे

* लघु उद्योगों को तीन प्रतिशत से दें लोन
केंद्र सरकार का वर्ष 2025-26 का बजट आनेवाला है. किसी भी सरकार का बजट उसकी नीतिगत सोच एव देश को किस दिशा में ले जाना है यह दर्शाता है. इस बजट में लघु एव मध्यम उद्योगों को ब्याज दर में कम से कम 3% एव बिजली में 10% की रियायत देनी चाहिए ताकि वे बड़े उद्योगों एव अंतर्राष्ट्रीय बाजार में स्पर्धा कर सके. जीएसटी कम्पायन्स के ढांचे को सरल बनाकर जो मल्टीपल फार्म रिटर्न भरने पड़ते हैं. उसकी जगह स़िर्फ एक रिटर्न लाना चाहिए. एक ही बात के लिए तीन अलग अलग जगह से व्यापारी को नोटिसेज़ आ रही है वह नहीं होना चाहिये इसकी पोर्टल में व्यवस्था की जाय. ़फूड प्रोसेसिंग यूनिट को एमओएफपीआई की सब्सिडी ईओआई बेस की बजाय कन्टीन्यू बेसिस पर दी जाय. किसानों के लिए सिंचाई की व्यवस्था अधिक से अधिक उपलब्ध कराने व 24 घंटे बिजली देने पर जोर देने की जरूरत है. टैक्स दर बढ़ाने की बजाय टैक्स नेट बढ़ाकर रेवेन्यू जमा करना चाहिए. सरकार से एक अच्छे एव विकासन्मुखी बजट की उम्मीद है.
– सीए संजय लखोटिया,
पूर्व अध्यक्ष आईसीएआई, अमरावती.

* धारा 73 के लिए जीएसटी माफी योजना शुरू की जायें
सीए साकेत मेहता को उम्मीद है कि आगामी केंद्रीय बजट 2025 एक अधिक न्यायसंगत और कुशल कर प्रणाली बनाने का अवसर प्रस्तुत करेगा, जिससे आम आदमी को लाभ होगा और हमारी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी. वह उम्मीद करते हैं कि आयकर के लिए, एक व्यक्तिगत वेतनभोगी करदाता 1 लाख रुपये तक की मानक कटौती में वृद्धि की उम्मीद कर रहा है. 2020-21 तक के आकलन वर्ष के लिए 25000 रुपये तक की आयकर मांग की छूट होनी चाहिए ताकि विवाद का तुरंत समाधान हो सके और यह सभी करदाताओं के लिए एक बड़ी राहत होगी. जीएसटी कंपोजिशन डीलर इस योजना का लाभ उठाने के लिए कुल टर्नओवर सीमा में 2 करोड़ रुपये तक की वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं. जीएसटी अपील दाखिल करने के लिए पूर्व जमा शुल्क को विवादित कर राशि के 7.50% तक कम करने की आवश्यकता है. जीएसटी अपील में देरी के कारण, अपील में देरी को माफ करने का विवेकाधीन अधिकार अपीलीय प्राधिकारी को दिया जाना चाहिए. जीएसटी अधिनियम के तहत नियम 88बी के अनुसार लगाए गए ब्याज को तुरंत और पूरी तरह से समाप्त किया जाना चाहिए क्योंकि करदाता को अपने क्रेडिट लेजर में पर्याप्त शेष राशि होने के बावजूद अनावश्यक ब्याज के भुगतान का बोझ उठाना पड़ता है. वित्त वर्ष 2017-18 से वित्त वर्ष 2021-22 तक धोखाधड़ी के मामलों को छोड़कर धारा 73 के लिए जीएसटी माफी योजना शुरू की जानी चाहिए और इस योजना का लाभ सभी प्रकार के विवादों के लिए दिया जाना चाहिए. इस बजट में आयकर अपील के निपटान के लिए हाइब्रिड मोड यानी फेसलेस मोड और साथ ही ऑफलाइन मोड शुरू करने की जरूरत है, ताकि लंबित मामलों का तुरंत निपटारा किया जा सके. करदाताओं द्वारा सभी प्रकार के खर्चों पर भुगतान किए जाने वाले आरसीएम-2 (रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म) के लिए जीएसटी दर में एकरूपता होनी चाहिए. जीएसटी की पंजीकरण प्रक्रिया को आसान बनाया जाना चाहिए तथा 5 दिनों के भीतर जीएसटी नंबर प्रदान करने की अनिवार्य व्यवस्था शुरू की जानी चाहिए.
– सीए साकेत मनीष मेहता,
पदाधिकारी, आईसीएआई, अमरावती शाखा.

* 80 हजार का सोना, ढाई हजार महंगा कर रखा है
सराफा व्यापारी एसो. के अध्यक्ष राजेंद्र भंसाली ने कहा कि, वैश्विक मार्केट में सोने के चढते दामों को देखते हुए सरकार को जीएसटी की रेट में कमी लानी चाहिए. यह व्यापारियों, खरीददारों और सरकार के भी हित में है. भंसाली ने कहा कि, वे संगठन स्तर पर दो वर्षों से शासन से तीन प्रतिशत जीएसटी घटाकर आठाना करने की मांग उठा रहे हैं. वरिष्ठ अधिकारी और कर्ताधर्ता रेट कम करने संबंधी बात ही नहीं सुन रहे. जबकि आज सोने का रेट 80 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम पार कर गया है. ऐसे में तीन प्रतिशत जीएसटी से वह और ढाई हजार रुपए महंगा हो जाता है. स्पष्ट है कि, लोग सोने के आभूषण बिलों में खरीदने से बचते हैं. जिससे सरकार का टैक्स का नुकसान हो रहा है. भंसाली ने दूसरे शब्दों में सरकार को लालच से बचने की सलाह दी. उन्होंने वित्त मंत्री से इस बार सोने के जीएसटी रेट कम करने और अन्य सुधारों की आशा-अपेक्षा व्यक्त की है. साथ ही चार पीढियों से सोने-चांदी का व्यापार कर रहे भंसाली ने कहा कि, सभी के हित में देश की फाइनान्स मंत्री को निर्णय लेना चाहिए. भंसाली अभिनंदन बैंक के निदेशक भी है. उसी प्रकार अनेक सेवाभावी संस्थाओं से जुडे हैं. व्यापारी आंदोलनों में अग्रणी रहे राजेंद्र भंसाली की देश के आम बजट को लेकर और भी अपेक्षाएं है. उन्होंने कहा कि, अमरावती को लेकर कई घोषणाएं हुई है. सभी का साकार होना जरुरी है. अमरावती का विमानतल सक्रिय होने से यहां बडे उद्यम आएंगे. जिससे यहां की इकोनॉमी बढेगी. अभी तो शासकीय मेडिकल कॉलेज शुरु हो गया है. इफ्रास्ट्रक्चर बढ रहा है. अमरावती में व्यापार की स्थिति सरकार के कुछ कदमों से बेहतर हो सकती है.
– राजेंद्र भंसाली,
अध्यक्ष, सराफा व्यापारी एसो.

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