दंगाईयों को संरक्षण दे रही हैं पालकमंत्री और सरकार
पूर्व मंत्री डॉ. अनिल बोंडे ने लगाया पत्रवार्ता में आरोप
* बोले : भाजपा राज में दंगाईयों और दंगों के लिए कोई जगह नहीं
* गुजरात, यूपी व एमपी का दिया उदाहरण
* कांग्रेस व वाम दलों को बताया दंगों के लिए जिम्मेदार
अमरावती/दि.18- देश के जिन-जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें है, वहां पर सभी समूदायों के लोग आपस में एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर रहते है और वहां कभी दंगे नहीं होते, क्योंकि भाजपा सभी समूदायों को एक साथ लेकर समान तत्व के आधार पर व्यवहार करती है. वहीं जिन-जिन राज्यों में कांग्रेस सहित वामपंथी दलोंवाली सेक्यूलर सरकारे है, वहां वोटों के लिए तुष्टिकरण की नीति अपनायी जाती है. जिसके चलते समाज में असंतोष की भावना भडकती है और इसी वजह से छिटपूट बातों पर अल्पसंख्यक समाज अपना वर्चस्व दिखाने हेतु आक्रामक होता है. लेकिन इसके बाद भी सेक्यूलरिझम के नाम पर कांग्रेस सरकारों द्वारा दंगाईयों को संरक्षण दिया जाता है, ताकि वोटों की राजनीति चलती रहे. अमरावती में भी इन दिनों यहीं हो रहा है. जिसके तहत जो लोग सच में दंगा पीडित है और दंगों में घायल हुए है, उन्हें सांत्वना देने की बजाय जिला पालकमंत्री खुद को सेक्यूलर दिखाने के नाम पर केवल शहर के विशिष्ट इलाकों का ही दौरा करते हुए समुदाय विशेष के लोगों की मिजाजपूरसी कर रही है. यह सीधे-सीधे शहर में दंगा फैलानेवालों को संरक्षण देने की तरह है. इस आशय का प्रतिपादन राज्य के पूर्व कृषि मंत्री तथा भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. अनिल बोंडे द्वारा किया गया.
अपने आवास पर बुलाई गई पत्रवार्ता में उपरोक्त प्रतिपादन करने के साथ ही डॉ. अनिल बोंडे ने कहा कि, गुजरात में गोधरा कांड से पहले आये दिन धार्मिक तनाव के चलते हिंसा और दंगे हुआ करते थे. जिसके तहत अक्षरधाम की यात्रा और नवरात्र के आयोजन पर समुदाय विशेष द्वारा हमले किये जाते थे. उस जमाने में पुराना अहमदाबाद के इलाके में पुलिस भी जाने से घबराती थी. इसी के बाद गोधरा कांड हुआ. किंतु उस समय वहां के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से हालात को संभाला, तो उसके बाद गुजरात में विगत 20 वर्षों के दौरान एक बार भी दंगा नहीं हुआ. इसी तरह उत्तर प्रदेश में भी वर्ष 2013 को आखरी बार मुजफ्फरपुर का दंगा हुआ था और इससे पहले यूपी में आये दिन कहीं न कहीं दंगे-फसाद हुआ करते थे. लेकिन वहां पर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार आने के बाद दंगे खत्म हो गये. इसी तरह मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह की सरकार आने से पहले भोपाल में आये दिन हिंसा हुआ करती थी, जो अब पूरी तरह से बंद है. साथ ही महाराष्ट्र में इससे पहले पांच वर्षों तक देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्ववाली भाजपा सरकार थी, इस दौरान कभी भी राज्य में कोई दंगा नहीं हुआ. पूर्व मंत्री बोंडे के मुताबिक भाजपा सरकारों की प्रशासन, विशेषकर गृह विभाग व इंटेलिजन्स ब्यूरो पर बेहद मजबूत पकड होती है. साथ ही किसी भी दंगाई अथवा उत्पाती को बख्शा नहीं जाता. जिसकी वजह से ऐसी घटनाएं पूरी तरह से काबू में रहती है. वहीं जिन-जिन राज्यों में वामपंथी और सेक्यूलर विचारधारावाले दलों की सरकारे रहती है, वहां पर समाज विघातक शक्तियों के साथ सरकार सांठ-गांठ करती है और फिर यहीं ताकतें सरकार पर भारी पडने लगती है.
अपनी इस बात को आगे बढाते हुए पूर्व कृषि मंत्री डॉ. अनिल बोंडे ने कहा कि राज्य की मौजूदा महाविकास आघाडी सरकार के सारे काले-पीले कारनामे इस समय राज्य की जनता के सामने है. इसी सरकार में गृहमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहनेवाले अनिल देशमुख आज अवैध धनउगाही के मामले में जेल में बंद है और किसी समय सरकार का विशेष कृपापात्र रहनेवाले मुंबई के तत्कालीन पुलिस आयुक्त परमबीरसिंह भगोडे बने घुम रहे है. इसके अलावा राज्य के मौजूदा गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटील स्वतंत्र तौर पर काम करने की बजाय हतबल और मजबूर रहते हुए कठपुतली की तरह काम कर रहे है. जिनका पुलिस प्रशासन पर कोई नियंत्रण नहीं है. यहीं वजह है कि, विगत 12 नवंबर को अमरावती सहित राज्य के विभिन्न इलाकों में रजा अकादमी द्वारा बंद के नाम पर जो तोडफोड व हिंसा की गई, उसे लेकर सरकार के पास कोई इनपुट नहीं था. साथ ही हालात से निपटने के लिए किसी भी तरह के कोई इंतजाम भी नहीं थे.
विगत दिनों अमरावती में हुई हिंसक वारदातों को लेकर नवाब मलिक द्वारा लगातार दिये जा रहे बयानों के संदर्भ में पूर्व कृषिमंत्री डॉ. अनिल बोंडे ने कहा कि, महाविकास आघाडी सरकार में शायद नवाब मलिक को बयानबाजी करने का ठेका दे रखा है और नवाब मलिक भी हर्बल तंबाखू के असर में आकर उलुल-जुलूल बयान देते है. डॉ. बोेंडे ने यह भी कहा कि, विगत 13 नवंबर को अमरावती शहर में जो कुछ भी हुआ, वह हिंदू समाज द्वारा दी गई तत्कालीक प्रतिक्रिया थी. जिसके लिए किसी को दारू या गांजा नहीं बांटा गया. किंतु नवाब मलिक सहित उनकी पार्टी के लोग यह बताये कि, 12 नवंबर को किसके इशारे पर पूरे महाराष्ट्र में बंद रखा गया था और किसके कहने पर हिंदूओं की दुकानों में तोडफोड की गई.
* अगर सब पूर्व नियोजीत था, तो गृह विभाग सो रहा था क्या?
हाल ही में राज्य सरकार की ओर से यह जानकारी सामने रखी गई कि, विगत शुक्रवार व शनिवार को अमरावती में जो कुछ भी हुआ, वह सब पूर्व नियोजीत था. इस पर पूर्व मंत्री डॉ. अनिल बोंडे का कहना रहा कि, अगर यह सब पूर्व नियोजीत था, तो फिर राज्य सरकार को खुफिया विभाग के जरिये इसकी भनक कैसे नहीं लगी. इतनी बडी साजीश जारी रहने के दौरान राज्य का खुफिया विभाग सो रहा था क्या? साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, 12 नवंबर को जो कुछ भी हुआ, उसकी तैयारी हकीकत में काफी पहले से जारी थी और लगातार दो सप्ताह से फेसबुक व वॉटसऍप के जरिये त्रिपुरा की एक घटना को लेकर धार्मिक भावनाएं भडकाने हेतु फोटोज व वीडियोज शेयर किये जा रहे थे. किंतु तब साईबर सेल द्वारा भी इस ओर ध्यान नहीं दिया गया. वहीं अब साप निकल जाने के बाद इंटरनेट बंद करते हुए लाठी पीटने का काम किया जा रहा है.
* कुछ लोगों के गलती की सजा पूरे शहर को क्यों
इस पत्रवार्ता में शहर पुलिस द्वारा जारी की गई संचारबंदी और नेट बंदी को पूरी तरह से गलत बताते हुए पूर्व मंत्री डॉ. अनिल बोंडे ने कहा कि, विगत 12 नवंबर को शहर पुलिस की नाक के नीचे एक गैरकानूनी मोर्चा निकाला गया और बेवजह ही शहर के कुछ व्यवसायियों को तोडफोड व नुकसान का सामना करना पडा. किंतु उन दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय शहर पुलिस अपने नाकामी छिपाने हेतु पुरे शहर को कर्फ्यू के नाम पर बंधक बनाये हुए है. साथ ही लोगों का गुस्सा पुलिस के प्रति ना फूटे, केवल इसलिए इंटरनेट भी बंद करा दिया गया है. किंतु इंटरनेट बंद होने से जहां कामकाजी युवाओं और विद्यार्थियों का नुकसान हो रहा है, वहीं दूसरी ओर कर्फ्यू के चलते शहर का व्यापार-व्यवसाय पूरी तरह ठप्प पडा हुआ है. ऐसे में कुछ लोगों के कर्मों की सजा पूरे अमरावती शहर को दी जा रही है.
* उन घायलों के यहां क्यों नहीं गई पालकमंत्री
इन दिनों जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर द्वारा शहर के कई संवेदनशिल इलाकों का दौरा किया जा रहा है. जिसका मखौल उडाते हुए पूर्व मंत्री डॉ. अनिल बोंडे ने कहा कि, पालकमंत्री यशोमति ठाकुर इस मामले में भी अपनी एकतरफा सोच दिखा रही है. क्योंकि वे संवेदनशील इलाकों में केवल कुछ विशिष्ट क्षेत्रों का ही दौरा कर रही है और समुदाय विशेष के लोगों का ही हालचाल जान रही है. किंतु विगत 13 नवंबर को शहर के अलग-अलग इलाकों में घायल हुए हिंदू समुदाय के चार-पांच लोगों के यहां पालकमंत्री अब तक नहीं पहुंची. साथ ही 12 व 13 नवंबर को जिन हिंदू व्यापारियों की दुकानों में तोडफोड व लूटपाट हुई, उनका हालचाल भी पालकमंत्री ने अब तक नहीं जाना.
* जब त्रिपुरा में कुछ हुआ ही नहीं, तो काहे का गुस्सा और कैसा निषेध
इस पत्रवार्ता में पूर्व मंत्री डॉ. बोंडे ने यह भी कहा कि, त्रिपुरा की इस घटना को आधार बनाकर सोशल मीडिया पर भडकाउ पोस्ट डाली गई. साथ ही इस घटना का निषेध करने विगत 12 नवंबर को रजा अकादमी द्वारा बंद का आवाहन किया गया. हकीकत में वैसी कोई घटना त्रिपुरा में घटित ही नहीं हुई थी. इसे लेकर त्रिपुरा सरकार और वहां के पुलिस महासंचालक द्वारा काफी पहले स्पष्टीकरण जारी कर दिया गया था. ऐसे में महाराष्ट्र सरकार और यहां के गृह विभाग की जिम्मेदारी थी कि, राज्य के अल्पसंख्यकों तक इसकी जानकारी पहुंचायी जाती, किंतु सरकार ने ऐसा जानबूझकर नहीं किया. यहीं वजह रही कि, उस घटना को आधार बनाकर रजा अकादमी द्वारा महाराष्ट्र में हिंसा भडकाई गई.
* फडणवीस व सोमय्या का अमरावती आना जरूरी
विगत दिनों भाजपा नेता किरीट सोमय्या अमरावती आना चाह रहे थे. किंतु स्थानीय पुलिस द्वारा उन्हें यहां के हालात का हवाला देकर आने से मना कर दिया गया. ऐसे ही पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी अमरावती आना चाह रहे है और अमरावती में दिन का कर्फ्यू हटते ही वे अमरावती आयेंगे. इस आशय की जानकारी देते हुए पूर्व मंत्री डॉ. बोंडे ने कहा कि, पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस और भाजपा नेता सोमय्या अमरावती आये, ऐसी यहां के भाजपा पदाधिकारियों सहित अधिकांश जनता की इच्छा है.
* हमारा बंद था पूरी तरह शांतिपूर्ण, हिंसा दूसरी ओर से भडकी
इस पत्रवार्ता के दौरान पूर्व मंत्री डॉ. अनिल बोंडे ने 13 नवंबर को भाजपा द्वारा किये गये अमरावती बंद को पूरी तरह से सही बताते हुए कहा कि, 12 नवंबर की शाम शहर में जो कुछ भी हुआ, हम केवल उसका शांतिपूर्ण तरीके से निषेध करना चाहते थे और शनिवार की सुबह राजकमल चौक पर बेहद शांतिपूर्ण ढंग से ही प्रदर्शन चल रहा था. किंतु नमूना परिसर में रहनेवाले करीब 100-125 युवक हाथों में नंगी तलवारे लेकर हमारी ओर पथराव करते हुए आगे बढे. जिसके बाद तनाव और टकराववाली स्थिति बनी. यह भी एक तरह से पुलिस की नाकामी है. जब पुलिस को पता था कि, राजकमल चौक पर हिंदुत्ववादी संगठनों का प्रदर्शन चल रहा है, तो राजकमल से ही सटे नमूना परिसर की ओर अतिरिक्त बंदोबस्त लगाया जाना चाहिए था, ताकि उस ओर से कोई पत्थरबाजी या तनावपूर्व हरकत न हो.