ऑटो पर धडल्ले से चल रहा प्रचार, ‘धनशक्ति’ विरुद्ध ‘जनशक्ति’ की चर्चा जोरों पर
काहे की आचार संहिता और काहे की ‘परमिशन’
अमरावती/दि.17 – आगामी 26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के तहत अमरावती संसदीय क्षेत्र में मतदान होना है. जिसके लिए चुनावी अखाडे में मौजूद सभी प्रत्याशी अपनी पूरी ताकत झोंकते हुए प्रचार कर रहे है. हालांकि चुनाव प्रचार पर होने वाले खर्च पर निर्वाचन विभाग की पैनी नजर रहती है. साथ ही किसी भी तरह से चुनाव प्रचार करने हेतु निर्वाचन विभाग से पूर्व अनुमति भी निकालना आवश्यक रहता है. परंतु अमरावती संसदीय क्षेत्र के चुनावी अखाडे में खम ठोंक रहे कुछ प्रत्याशियों ने आचार संहिता के नियमों में से ‘पतली गली’ खोज निकाली और बिना किसी परमिशन के ही बडे अनोखे ढंग से अपना चुनाव प्रचार करना शुरु कर दिया. जिसके तहत शहर की सडकों पर दौंडने वाले ऑटो रिक्षा के हुड यानि टप के पिछले हिस्से पर विनाइल प्रिंटींग वाले बैनर चिपका दिये गये है. खास बात यह है कि, ऑटो रिक्षा के पीछे चिपकाए गये इन बैनरों पर किसी भी प्रत्याशी ने अपना नाम व फोटो नहीं छापा है. लेकिन इन बैनरों पर जो कुछ भी लिखा है, उसे पढकर स्पष्ट समझमें आ जाता है कि, इस जरिए अप्रत्यक्ष रुप से किस प्रत्याशी का प्रचार चल रहा है.
बता दें कि, चुनाव लडने वाले प्रत्येक प्रत्याशी को जिला निर्वाचन विभाग के पास पहले से यह जानकारी देनी होती है कि, उसके चुनाव प्रचार में कितने वाहनों का प्रयोग हो रहा है और कौनसा वाहन किस इलाके में भोपू बजाता हुआ प्रचार करने वाला है. ऐसे वाहनों के जरिए होने वाले चुनाव प्रचार के खर्च पर भी निर्वाचन विभाग की पूरी नजर रहती है. ऐसे में सभी प्रत्याशियों को चुनाव प्रचार पर होने वाले खर्च का पूरा हिसाब-किताब भी देना पडता है. जिसके चलते इस बार के चुनाव में अमरावती संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड रहे प्रत्याशियों ने एक अलग ही तरतीब खोज निकाली. जिसके तहत अक्सर दुकानों व निजी ट्यूशन क्लासेस जैसे प्रतिष्ठानों के बैनर पोस्टर अपने पीछे चिपकाकर बेआवाज प्रचार करने वाले ऑटो रिक्षा पर प्रत्याशियों द्वारा अपनी नजर गडाई गई और इशारों ही इशारों में प्रचार का स्पष्ट संदेश देने वाले बैनर ऑटो रिक्षा के पीछे चिपकाएं गए. जिनमें सबसे अधिक चर्चा ‘धनशक्ति’ विरुद्ध ‘जनशक्ति’ वाले बैनरों की है. जिसे देखकर हर कोई साफ तौर पर समझ रहा है कि, यह पोस्टर किसने चिपकवाये है और किसकी ओर निशाना साधा गया है. कमाल की बात यह है कि, सबकुछ समझने के बावजूद निर्वाचन विभाग इसे लेकर आचार संहिता के नियमों के तहत कोई कार्रवाई नहीं कर सकता है, क्योंकि इन बैनरों पर किसी भी प्रत्याशी के नाम अथवा फोटो का उल्लेख नहीं है.