अमरावतीमहाराष्ट्र

अमरावती में भी हो सकती है ‘पुणे मामले’ की पुनवरावृत्ती

देर रात तक सडक पर दिखाई देती है मद्यधुंधो की मस्ती

* तेज रफ्तार ढंग से चलाये जाते है वाहन
* शहर में ‘ड्रंकन ड्राइव’ की कार्रवाई बेहद सीमित
* पब व बार के सामने दिखाई नहीं देती पुलिस
अमरावती/दि.23– विगत एक माह से अमरावती शहर में परमिट रुम कम पब के खिलाफ राजनीतिक व सामाजिक संगठनों के साथ ही युवाओं ने एकजुट होकर आवाज उठानी शुरु की है. इसी दौरान पुणे में एक नाबालिग युवक ने अपने दोस्तों के साथ पार्टी करने के बाद शराब के नशे में अपने पिता की आलिशान कार को बेहद लापरवाही के साथ तेज रफ्तार ढंग से चलाते हुए एक दुपहिया वाहन को टक्कर मार दी. इस हादसे में दुपहिया पर सवार दो युवाओं की मौत हो गई. जिसके चलते अब इस बात की संभावना जतायी जा रही है कि, यदि अमरावती में तेजी से पनप रही पब संस्कृति व नशाखोरी पर समय रहते अंकुश नहीं लगाया गया, तो अमरावती में भी पुणे जैसी घटना की पुनरावृत्ति हो सकती है.

उल्लेखनीय है कि, अमरावती शहर में भी कई युवा रात के समय शराब के नशे में धूत होकर तेज रफ्तार ढंग से अपने वाहन चलाते है. इसके तहत कई युवा तो अजीबोगरीब आवाज निकालने वाले साइलेंसर लगे दुपहिया वाहन चलाते हुए सडकों पर एक तरह से बाइक स्टंटिंग भी करते है. लेकिन इसके बावजूद अमरावती शहर में ड्रंकन ड्राइव अभियान काफी हद तक सुस्त है. ज्ञान रहे कि, इन दिनों शहर के भीतर तथा शहर के बाहरी इलाकों में बडे पैमाने पर परमिट रुम व बार खुल गये है. साथ ही साथ अमरावती शहर में परमिट रुम का लाईसेंस लेते हुए कई लोगों ने पब खोल लिये है. शराब विक्री करने वाले ये सभी प्रतिष्ठान देर रात तक खुले रहते है. जहां पर बडी संख्या में युवा ही शराब की पार्टी करने के लिए पहुंचते है और फिर पार्टी से निकलने के बाद शराब के नशे में धूत रहने वाले यह युवा सडकों पर बडी लापरवाही के साथ अपने वाहन चलाते है. कई बार ऐसी पार्टियों मं युवतियों का भी समावेश होती है. जिन्हें रेसिंक बाइक पर अपने साथ पीछे बिठाकर युवाओं द्वारा शहर की सडकों पर तेज रफ्तार फर्राटा भरा जाता है.

इन तमाम बातों के मद्देनजर बेहद जरुरी है कि, बडे महानगरों की तर्ज पर शहर में चलने वाले परमिट रुम, बार एवं पब के सामने पुलिस की ड्यूटी हो और ऐसे प्रतिष्ठानों से शराब पीकर निकलने के बाद वाहन चलाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाये. साथ ही साथ रात के समय पुलिस द्वारा ड्रंकन ड्राइव अभियान चलाया जाये. इसके अलावा निर्धारित से कम आयु वाले यानि नाबालिग वाहन चालकों के खिलाफ भी अभियान छेडे जाने की सख्त जरुरत है. क्योंकि इन दिनों शहर में नाबालिग वाहन चालकों की संख्या काफी हद तक बढ गई है.

* नाबालिगों के खिलाफ केवल दो मामले दर्ज
इन दिनों कक्षा 10 वीं व 12 वीं में पढने वाले कई नाबालिग छात्र-छात्राएं धडल्ले के साथ बाइक व स्कूटी जैसे दुपहिया वाहन चलाते दिखाई देते है. लेकिन संभवत: ऐसे नाबालिग वाहन चालक यातायात पुलिस को दिखाई नहीं देते. ऐसे मामलों में नाबालिगों के अभिभावकों को थाने बुलाकर उनसे दंड वसूल करने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने का कानूनी प्रावधान है. लेकिन इसकी ओर यातायात पुलिस द्वारा सुविधापूर्ण अनदेखी की जाती है. यहीं वजह है कि, विगत 4 माह के दौरान नाबालिगों द्वारा वाहन चलाये जाने को लेकर यातायात पुलिस ने केवल दो मामले दर्ज किये है.

* ड्रंकन ड्राइव के महज 18 मामले
शहर यातायात पुलिस ने जनवरी से अप्रैल इन 4 माह के दौरान ड्रंकन ड्राइव के केवल 18 मामले दर्ज किये है. इसमें से जनवरी माह में 6 व मार्च माह में 12 मामले दर्ज हुए. वहीं फरवरी व अप्रैल माह के दौरान पुलिस को एक भी व्यक्ति शराब पीकर वाहन चलाता दिखाई नहीं दिया. जबकि हकीकत यह है कि, शराब में रोजाना ही दर्जनों सैकडों लोग शराब पीकर दुपहिया व चारपहिया वाहन चलाते हुए खुली आंखों से हर किसी को दिखाई देते है.

* बार व पब के सामने अभियान क्यों नहीं?
अमूमन 31 दिसंबर और रंगपंचमी जैसे अवसर पर पुलिस द्वारा ड्रंकन ड्राइव अभियान चलाया जाता है. वहीं दूसरी ओर परमिट रुम व पब के सामने लगभग पूरे सालभर ही रात बे रात शराबियों का धिंगाना चलता रहता है. ऐसे में पुलिस ने शहर के मुख्य चौराहों सहित परमिट रुम, बार व पब रहने वाले परिसरों में भी ड्रंकन ड्राइव अभियान चलाना चाहिए, ऐसी उम्मीद राजनीतिक व सामाजिक संगठनों द्वारा जतायी जा रही है.

परमिट रुम में नाबालिगों को प्रवेश ही नहीं देना चाहिए. साथ ही 21 से 25 वर्ष आयु गुट वाले युवाओं को हार्ड ड्रिंक नहीं दी जानी चाहिए. स्मोकिंग झोन पूरी तरह अलग रखा जाना चाहिए और किसी से भी कोई एंट्री फीस नहीं ली जानी चाहिए, ऐसे सख्त निर्देश परमिट रुमधारकों के नाम जारी किये गये है.
– नवीनचंद्र रेड्डी,
शहर पुलिस आयुक्त.

* स्टेट एक्साइज कब लेगा जबाबदारी?
बता दें कि, परमिट रुम के लिए राज्य उत्पाद शुल्क विभाग द्वारा लाईसेंस दिया जाता है. जिसके लिए लाखों रुपयों का भारी भरकम शुल्क लिया जाता है. परंतु अपने द्वारा दिये गये लाईसेंस पर कुछ परमिट रुमधारकों ने पब की आड लेते हुए अश्लिलता का गोरखधंधा चला रखा है. जिसकी ओर देखने का समय भी राज्य उत्पाद शुल्क विभाग के अधिकारियों के पास नहीं है. बल्कि इसके लिए मनुष्यबल का अभाव रहने की वजह को आगे कर दिया जाता है. ऐसे में सवाल पूछा जा रहा है कि, आखिर राज्य उत्पाद शुल्क विभाग इसे लेकर कब अपनी जिम्मेदारी को समझेगा व स्वीकार करेगा.

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