अमरावती

रेशम उद्योग का निर्माण कर पूर्णिमा सवई ने रचा इतिहास

विभिन्न संगठनाओं ने किया पुरस्कार से सम्मानित

टारकखेडा संभु/ दि.16 – दिनों दिन मौसम के बदलाव और लगातार नापीकी के चलते टाकरखेडा संभु की महिला किसान पूर्णिमा ने रेशम उद्योग की ओर कदम बढाते हुए सफलता हासिल की. जिसमें उन्हें केंद्र सरकार और विविध संगठनाओं व्दारा अब तक 22 पुरस्कारो से सम्मानित किया गया. प्रचूर मात्रा में फसल न होने पर और प्राकृतिक आपदा के चलते पूर्णिमा सवई ने रेशम खेती की ओर अपना कदम बढाया. 45 दिनों में रेशम की फसल लेकर वह एक उत्कृष्ट महिला किसान बनी है और उन्होंने किसानों के सामने एक आदर्श रखा. 14 सालों से वे रेशम उद्योग की खेती कर रही है. खेती पूरक व्यवसाय के रुप में पूर्णिमा सवई ने रेशन उद्योग को चुना और किसानों से भी रेशम की खेती करने का आवाहन किया.
टाकरखेडा संभु निवासी पूर्णिमा सवई उच्च शिक्षित महिला है. एमए में अर्थशास्त्र पदवी प्राप्त करने के बाद उन्हें ग्रामगीता आचार्य की उपाधी हासिल की और उन्होंने खेती करने का निर्णय लिया. पिछले 14 सालों से वह खेती कर रही है. रेशम की फसल एक महीने में आ जाती है. दो एकड में एक साल में पांच से छह बार यह फसल ली जा सकती है. जिसके माध्यम से कम से कम 3 लाख रुपए की आमदनी हो जाती है. पूर्णिमा सवई ने अपने बेटे ब्रजेश और बहू को भी इस उद्योग में अपने साथ शामिल किया है. एक महिला किसान के रुप में उनके कार्य की दखल लेकर केंद्र सरकार व राज्य सरकार तथा विविध संगठनाओं व्दारा उन्हें अब तक 22 पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.
महाराष्ट्र सरकार के जिजामाता कृषि भूषण पुरस्कार 2006, संह्याद्री कृषि सम्मान पुरस्कार मुंबई, शेपर की मानकरी महिला शेतकरी पुरस्कार नासिक, वसंतराव नाईक कृषि भूषण पुरस्कार दिग्रस, महाराष्ट्र सरकार के रेशमचा लखोपति पुरस्कार, राष्ट्रीय केमिकल व फर्टिलाइझर्स कृषि भूषण मुंबई, स्वामीनाथ फाउंडेशन फेलोशीप चेन्नई पुरस्कारों का समावेश है. पूर्णिमा सवई बचत गटों को व महिला सम्मेलन में मार्गदर्शन का कार्य कर रही है और ग्रामगीता प्रवचन व कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं को कृषिपूरक उद्योगों के लिए मार्गदर्शन भी कर रही है. उन्होंने किसानों से कृषि पूरक व्यवसाय के तौर पर रेशम की खेती किए जाने का आवाहन किया.

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