अमरावतीमहाराष्ट्र

प्रसिद्धी पत्रक सूचना फलक पर लगाना यानी चुनावी घोषणा नहीं?

पत्र-परिषद में गवली का संचालकों से सवाल

* वाचनालय राजनीति का अड्डा बनने का आरोप
चांदूर रेल्वे/दि.8-हुतात्मा भाऊगीर वाचनालय के इस वर्ष के चुनाव वाचनालय के सदस्यों को अंधेरे में रखकर नियमों को ताककर लिए गए. जिसको लेकर कुछ सदस्यों ने आपत्ति जताने पर वाचनालय के संचालक मंडल ने कुछ दिन पूर्व पत्रकार परिषद लेकर यह चुनाव नियम के अनुसार होने की बात कही. हालांकि, चुनाव पारदर्शी होने का खुलासा वाचनालय के प्रशासन ने करना जरूरी होने पर अध्यक्ष व अन्य संचालक मंडल ने पत्रकार परिषद लेकर क्या सिद्ध किया? यह सवाल नितिन गवली ने किया. उक्त सवाल करते हुए इस चुनावी प्रक्रिया में वाचनालय प्रशासन के साथ मिलीभगत कर सत्ताधारियों ने गडबडी करने का आरोप भी गवली ने मंगलवार 6 मई को ली पत्रकार परिषद में किया. वरिष्ठ वाचनालय प्रशासन ने चांदूर रेल्वे के इस संचालक मंडल को बरखास्त कर नए से पारदर्शी चुनाव लेने क मांग की गई. इस समय आजीवन/आश्रयदाता सदस्य राजू वडतकर, एड. मनोहर देशमुख, रूपेश पुडके, श्रीधर येवले, भुषण नाचवणकर, मंगेश डाफ उपस्थित थे.
वर्तमान में वाचनालय में कांग्रेस के 6 संचालक व 1 भाजपा का एक संचालक है. इन दोनों संगठनों ने मिलकर वाचनालय के चुनाव निर्विरोध किए. जिसके कारण वाचनालय राजनीति का अड्डा बन गया है, यह आरोप पत्र-परिषद में किया गया. चांदूर रेल्वे शहर में हुतात्मा भाऊगीर वाचनालय की स्थापना 1 अप्रैल 1931 को हुई. वाचनालय के संचालक मंडल के त्रैवार्षिक चुनाव लिए जाते है. संचालक मंडल का कार्यकाल समाप्त होने से कुछ दिन पर चुनाव लेकर निर्विरोध किए. चुनाव की जानकारी किसी को भी नहीं दी गई. नियम के अनुसार कम से कम 15 दिन पूर्व चुनाव कार्यक्रम घोषित करना जरूरी है. चुनाव प्रसिध्दी पत्रक केवल वाचनालय के सूचना फलक पर लगाया गया था, यह बात संचालक मंडल ने पत्र परिषद में कबूल की. केवल सूचना फलक पर प्रसिद्धी देना यानी चुनाव घोषित करना है क्या? यह सवाल गवली ने पत्र-परिषद में किया. उन्होंने कहा कि, अखबार में चुनाव की प्रसिद्धी देकर अथवा शहर में मुनादी देकर या प्रशासन ने पत्रकार परिषद लेकर चुनाव कार्यक्रम घोषित करना जरूरी था. साथही सदस्यों को भी इस बारे में सूचित करना आवश्यक था.

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