अमरावती

प्रा. श्रीकृष्ण बनसोड द्बारा लिखित किताब ‘माझा अनुभवाचे सार’

युवक-युवतियो के लिए प्रेरणा स्त्रोत

अमरावती प्रतिनिधि/दि.१९ – प्रा. श्रीकृष्ण बनसोड पिछले 50-55 सालो से पिछडे आदिवासी तथा ओबीसी के उत्थान के लिए आंदोलन के माध्यम से प्रयासरत है. उन्होंने 1972 में महात्मा फुले विविध दर्शन नामक ग्रंथ का संपादन किया था. उसके पश्चात 1980 से महात्मा फुले, ज्ञानज्योति सावित्रीबाई फुले इनके समाज परिर्वतन कार्य के प्रचार को लेकर वर्‍हाड विकास नामक पत्रिका शुरु की. 1994-95 से नारी समाज विवाह योग्य युवक-युवती परिचय महासम्मेलन की शुरुआत की. जिसमेें उन्हें इंडिया बुक ऑफ रेकार्ड द्बारा पुरुस्कृत किया गया.
माली समाज संगठन, प्रबोधन तथा परिवर्तन के लिए वे पिछले 50 सालो से प्रयास कर रहे है हाल ही में उनके द्बारा लिखित किताब माझा अनुभवाचे सार का लोकार्पण हुआ. जिसमें उन्होंनें भारत की आजादी से लेकर 2020 तक की शैक्षणिक, सामाजिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक स्थिती की जानकारी दी. 70 साल पहले की देहाती समाज व्यवस्था की भी जानकारी इस पुस्तक में है. असंगठित मजदूर, खेतीहर इनकी समस्या सुलझाने के लिए किए गए प्रयासों पर भी प्रकाश डाला गया. उनके द्बारा लिखित यह पुस्तिका युवक-युवती के लिए प्रेरणा स्त्रोत है.

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