अमरावती/दि.21– सरकार को प्रतिवर्ष करोडों रुपए का राजस्व देने वाले खदान व स्टोन क्रशर व्यवसायियों के लिए विगत डेढ वर्ष से कुछ स्थानीय राजनीतिज्ञों एवं उनके समर्थकों व्दारा किए गए हस्तक्षेप के चलते व्यवसाय करना कठिन हो गया हैं. अत: इससे संबंधित विषयों को लेकर जब तक राज्य सरकार की ओर से कोई स्पष्ट दिशानिर्देश नहीं मिलता तब तक खदान व स्टोन क्रशर के व्यवसाय को बंद रखने का निर्णय लिया गया हैं. इस आशय की जानकारी अमरावती खदान व स्टोन क्रशर ओनर्स असोसिएशन व्दारा जिलाधीश को सौंपे गए ज्ञापन में दी गई.
इस संदर्भ में जिलाधीश को सौंपे गए ज्ञापन में बताया गया है कि केंद्र सरकार के डीजीएमएस कार्यालय से ब्लॉस्टिंग का लायसंस लेकर खदान में उत्खनन करते समय स्थानीय ट्रैक्टर धारकों व्दारा नाहक तकलीफ दी जाती है साथ ही महाराष्ट्र सरकार व्दारा निर्देशित नियमों व शर्तो का पालन करते हुए सरकार को सालाना 75 करोड का राजस्व देने के बावजूद भी कुछ राजनीतिज्ञों व्दारा उनके व्यवसाय को अवैध धंधा संबोधित किया जाता हैं. इसके अलावा सभी खदानों में स्थानीय गांव के ट्रैक्टर मालिकों से ही ब्लॉस्टिंग के लिए ड्रिलिंग होल करवाकर स्थानीय लोगों को रोजगार देने के बावजूद ट्रैक्टर मालक संगठन के आपसी मतभेत तथा राजनीतिक प्रभाव की वजह से कुछ लोग बार-बार क्रशर व खदान उद्योग पर झूठे आरोप लगाते है इन तमाम बातों के चले खदान व स्टोन क्रशर व्यवसाय चलाना काफी मुश्किल हो गया हैं. अत: जब तक सरकार व्दारा इस संदर्भ में स्पष्ट दिशा निर्देश जारी नहीं किए जाते तब तक सभी खदान व स्टोन क्रशर पूरी तरह से बंद रहेंगे.
ज्ञापन सौंपते समय असोसिएशन के अध्यक्ष अरुण पडोले, सचिव प्रफुल्ल भेंडे, कोषाध्यक्ष मुकेश खत्री, मार्गदर्शक अशोक बसेरिया, उपाध्यक्ष सतीश बसेरिया, सहसचिव निलेश चौरसिया तथा कार्यकारी सदस्य नासीर खान युसूफ खान, दीपक साहू, प्रभाकर सातोडे, अंकित केडिया, दीपक बत्रा व धीरज मुधोलकर आदि उपस्थित थे.