विपक्षी संचालकों द्वारा जानबुझकर योग्य प्रस्तावों को किया गया नामंजूर
जिला बैंक उपाध्यक्ष अभिजीत ढेपे ने पत्रवार्ता में किया दावा

अमरावती/दि.7– जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक की विगत 30 अप्रैल को हुई संचालक मंडल की बैठक में को नीतिगत निर्णय नहीं लिया गया, बल्कि केवल कार्यालयीन विषयों में नाबार्ड व रिझर्व बैंक ऑफ इंडिया से संबंधित स्टेटमेंट व अन्य जानकारी को संचालक मंडल की सभा में मान्यता हेतु रखा गया था. परंतु राजनीतिक द्वेष व विरोध के चलते 11 विपक्षी संचालकों ने जानबुझकर पूरी तरह से योग्य रहनेवाले इन प्रस्तावों को नामंजूर किया. जबकि बैंक के सत्ताधारी संचालकों ने किसी भी तरह का कोई झूठा प्रस्ताव प्रस्तुत एवं पारित नहीं किया है, इस आशय की जानकारी जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के उपाध्यक्ष अभिजीत ढेपे द्वारा गत रोज बुलाई गई पत्रवार्ता में दी गई.
इस पत्रवार्ता में बताया गया कि, विगत 30 अप्रैल को हुई संचालक मंडल की सभा में विषय क्रमांक 8 के तहत नाबार्ड की रिपोर्ट को अवलोकन हेतु रखा गया था और नाबार्ड की रिपोर्ट को मान्यता देने का अधिकार किसी भी संचालक मंडल को नहीं है. जिसके चलते विपक्षी संचालकों द्वारा लगाया जानेवाला आरोप पूरी तरह से दिशाभूल करनेवाला है. इसके अलावा विषय क्रमांक 7 अप्रेंटिस विद्यार्थी लेने के संदर्भ में था और इसमें विज्ञापन देकर प्राप्त होनेवाले आवेदन संचालक मंडल की सभा के समक्ष रखने का प्रस्ताव पारित हुआ था. विषय क्रमांक 24 अतिरिक्त प्रावधान का जमा-खर्च लेने के बारे में था और 11 संचालकों द्वारा सुझाए गए अनुसार बैंक ने चार्टर्ड अकाउंटंट के अभिप्राय को भी साथ में जोडा था. इसी तरह विषय क्रमांक 40 भापकी सेवा सहकारी संस्था को नाबार्ड की योजना के तहत गोदाम कर्ज देने से संबंधित था. यह संस्था विगत 30 वर्षों से पूरी तरह फायदे में चल रही है. संचालक व पूर्व अध्यक्ष ने भी इस संस्था को कर्ज मंजूर किए जाने के बारे में सुझाव रखा था. जिसके चलते यह विषय मंजूर किया गया. ऐसे में विपक्षी संचालकों द्वारा लगाए जानेवाले आरोपों में कोई तथ्य नहीं है.
इसके साथ ही बैंक के उपाध्यक्ष अभिजीत ढेपे ने यह भी बताया कि, प्रकाश कालबांडे को विभागीय सहनिबंधक ने सहकार कानून के तहत संचालक पद पर बने रहने हेतु अपात्र ठहराया है और सहकार मंत्री ने भी उनकी सदस्यत्व अपील को खारिज किया है. ऐसे में प्रकाश कालबांडे संचालक के तौर पर अपात्र रहने के चलते उन्हें बैठक की सूचना नहीं दी गई थी और किसी अपात्र संचालक को नहीं बुलाए जाने की वजह को लेकर किसानों की बैंक व किसानों के हित में लिए गए निर्णयों का विरोध करना किसी भी लिहाज से योग्य नहीं है. ढेपे ने यह भी बताया कि, इस समय बैंक का आर्थिक व्यवहार 2800 करोड से 3100 करोड पर जा पहुंचा है और बैंक इस समय पूरी तरह से फायदे में है. साथ ही ढेपे ने यह सवाल भी पूछा कि, 11 संचालकों द्वारा दिए गए लिखित अभिप्राय व बैंक द्वारा लिखे गए प्रस्ताव अब भी उपलब्ध है. यदि यह सबकुछ विपक्षी संचालकों को झूठ लगता है तो उन्होंने सक्षम न्यायालय के पास जाकर गुहार क्यों नहीं लगाई. इस पत्रवार्ता में उपाध्यक्ष अभिजीत ढेपे के साथ संचालक अजय मेहकरे व आनंद काले भी उपस्थित थे.