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गुणवत्तात्मक संशोधन पाठ्यक्रम को दी जाए प्राथमिकता

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का प्रतिपादन

* विदर्भ ज्ञान-विज्ञान संस्था के शताब्दी महोत्सव का हुआ शानदार समापन
अमरावती/दि.28 – इन दिनों तंत्रज्ञान के क्षेत्र में नित नये आविष्कार हो रहे है. जिन्हें ध्यान में रखते हुए सभी शिक्षा संस्थाओं ने गुणवत्तात्मक संशोधन पाठ्यक्रम को सबसे पहली प्राथमिकता दी जानी चाहिए. विशेष तौर पर 100 वर्षों की ऐतिहासिक परंपरा रखने वाले और एकल विद्यापीठ का दर्जा प्राप्त करने की ओर अग्रसर रहने वाले शासकीय विदर्भ ज्ञान-विज्ञान संस्था की इस संदर्भ में बडी जिम्मेदारी बनती है. अत: इस संस्था ने इस बात की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए. इस आशय का आवाहन केंद्रीय भूतल व महामार्ग मंत्री नितिन गडकरी द्बारा किया गया.
शासकीय विदर्भ ज्ञान-विज्ञान संस्था के शताब्दी महोत्सव का समापन समारोह केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की प्रमुख उपस्थिति के बीच संस्था के संगीतसूर्य केशवराव भोसले सभागार में आयोजित किया गया था. इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए केंद्रीय मंत्री गडकरी ने उपरोक्त प्रतिपादन किया. इस अवसर पर राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे, पूर्व पालकमंत्री व विधायक प्रवीण पोटे पाटिल, पूर्व विधायक प्रा. बी. टी. देशमुख, जिलाधीश सौरभ कटियार, पुलिस आयुक्त नवीनचंद्र रेड्डी, सहायक जिलाधीश रिचर्ड यानथन, मनपा आयुक्त देविदास पवार, उच्च शिक्षा सहसंचालक नलिनी टेंभेकर तथा विदर्भ ज्ञान-विज्ञान संस्था की संचालिका डॉ. अंजलि देशमुख प्रमुख अतिथि के तौर पर मंचासीन थे.
इस अवसर पर अपने संबोधन में विदर्भ महाविद्यालय के तौर पर विख्यात विदर्भ ज्ञान-विज्ञान संस्था के शतकीय इतिहास का गौरवपूर्ण उल्लेख करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि, अमरावती यह कर्मयोगी संत गाडगे बाबा, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज व शिक्षा महर्षि डॉ. पंजाबराव देशमुख के पद स्पर्श से पावन हुई भूमि है. साथ ही स्वाधिनता संग्राम सहित देश की आजादी पश्चात देश के विकास में उल्लेखनीय योगदान देने वाले कई महापुरुष भी अमरावती से वास्ता रखते है. जिनमें से अधिकांश ने विदर्भ महाविद्यालय में अपनी पढाई पूरी की है. ऐसे में कर्तृत्ववान विद्यार्थियों एवं देश के लिए जिम्मेदार नागरिकों को तैयार करने का काम विगत 100 वर्षों से इस शिक्षा संस्था द्बारा किया जाता रहा है. लेकिन बदलते दौर की जरुरतों को देखते हुए शिक्षा का स्वरुप भी बदलना चाहिए और शिक्षा संस्थाओं को पारंपारिक शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक व तकनीकी शिक्षा के साथ भी जुडाव रखना होगा. केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अमल में लाने का निर्णय लिया है. जिसके चलते अब विद्यार्थी अपने रुचि वाले क्षेत्र में पढाई कर सकेंगे. साथ ही वैद्यकीय व अभियांत्रिकी पाठ्यक्रमों की शिक्षा अब भारतीय भाषाओं में होगी. इसके अलावा वैश्विकीकरण के इस दौर में युवाओं को रोजगार व स्वयंरोजगार दिलाने हेतु नये पाठ्यक्रम की शुरुआत की जाएगी.
इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री गडकरी ने यह भी कहा कि, विदर्भ क्षेत्र में कपास, सोयाबीन, तुअर व संत्रे का प्रति एकड उत्पादन बढे, इस हेतु नई प्रजातियों की निर्मिति करने हेतु संशोधन होना जरुरी है. साथ ही विदर्भ क्षेत्र में बडे पैमाने पर खनिज संपदा है. इस पर भी संशोधन करने हेतु शिक्षा संस्थाओं में पहल करते हुए अपने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना चाहिए और भविष्यकालीन तंत्रज्ञान के संकेतों को पहचानकर शिक्षा संस्थाओं ने अपने पाठ्यक्रमों को वैविध्यतापूर्ण बनाना चाहिए. इसके अलावा भौगोलिक स्थिति के अनुसार भी आय व उत्पादन को बढाए जाने की संकल्पना पर अमल करने की जरुरत है. अमरावती जिले में काफी बडा इलाका खारे पानी वाला पट्टा है. जहां पर यदि झिंगे का उत्पादन किया जाता है, तो इस पूरक व्यवसाय से किसानों को दोगुना लाभ हो सकता है. इसके साथ ही अब इथेनॉल पर चलने वाले वाहन उपलब्ध है. जिसके चलते पेट्रोल व डिझल की तुलना में अब इंधन का नया पर्याय भी उपलब्ध हो गया है. ऐसे में बांबु की खेती को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. क्योंकि बांबु से बडे पैमाने पर इथेनॉल प्राप्त हो सकता है. इसके साथ ही कचरे से सडक की निर्मिति और अशुद्ध पानी का पुनर्प्रयोग जैसी विविध संकल्पनाओं के जरिए आय व रोजगार के अवसर पर उपलब्ध हो गए है. ऐसे में जरुरत इस बात की है कि, इन सभी संकल्पनाओं पर काम करते हुए उन्हें अमल में लाया जाए.
इस कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए संस्था की संचालिका डॉ. अंजलि देशमुख ने संस्था की स्थापना से लेकर अब तक संस्था द्बारा की गई प्रगती की जानकारी दी. साथ ही बताया कि, ब्रिटीशकाल में किंग एडवर्ड कॉलेज के तौर पर स्थापित हुए इस महाविद्यालय में आगे चलकर विदर्भ महाविद्यालय यानि विएमवि के तौर पर समूचे मध्य भारत में अपनी पहचान बनाई. जिसे आगे चलकर शासकीय विदर्भ ज्ञान-विज्ञान संस्था के रुप में नई पहचान मिली. 168 एकड क्षेत्रफल में स्थापित इस शैक्षणिक संस्था में महाविद्यालय की मुख्य इमारत के साथ ही विभिन्न विभागों की इमारतें एवं सर्वसुविधायुक्त छात्रावास तथा प्राध्यापकों व कर्मचारियों के निवासस्थान है. इस संस्था को सन 2021 में यूजीसी द्बारा स्वायत्त दर्जा प्राप्त हुआ. साथ ही संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ ने इस संस्था को 21 विषयों में आचार्य पदवी के लिए संशोधन केंद्र के तौर पर मान्यता दी. इस समय इस संस्था के विभिन्न संकायों में करीब 4 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत है. जो निश्चित ही आगे चलकर संस्था की परंपराओं के अनुरुप देश के जिम्मेदार नागरिक बनेंगे और देश के विकास में अपना बहुमूल्य योगदान देंगे.
कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्था की स्थापना को 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में स्थापित किए गए स्मारक की कोनशिला का अनावरण केंद्रीय मंत्री गडकरी के हाथों किया गया. साथ ही ‘संस्थेच्या पाउलखुणा’ नामक स्मरणिका का विमोचन भी गणमान्य अतिथियों के हाथों किया गया. इस कार्यक्रम में संचालन डॉ. मंजूषा वाठ व आभार प्रदर्शन डॉ. साधना कोल्हेकर द्बारा किया गया.

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