मेलघाट के बाजार में जंगली सब्जियों की महारानी आई ‘भमोडी’
यह सब्जी रहती है विटामिन से भरी
* सब्जी खरीदने के लिए ग्राहकों की बढी भीड
धारणी/दि.29– मेलघाट में जंगली सब्जियों के महाराजा के रूप में कटूले बाजार में आए थे. उसके बाद अब जंगली सब्जियों की महारानी कहलाने वाली देशी मशरूम अर्थात मेलघाट की भमोडी बाजार में शान बढा रही है. प्राकृतिक तौर पर बांस की जड पर उगनेवाली भमोडी बहुउपयोगी तथा विटामिन से भरी रहती है.
बारिश में आसमान में बिजली की कडकडाहट होने के बाद भमोडी के फूल खिल जाते है और मेलवाटवासियों को प्रचुर मात्रा में विटामिन देनेवाली मशरूम की सब्जी उपलब्ध होती है. फिलहाल धारणी के बाजार में कतार में आदिवासी भमोडी की दुकान में लगाकर बेच रहे है. आयुर्वेदिक औषधि गुणों से युक्त भमोडी प्राकृतिक स्वरूप से जंगल में उत्पादित होती है. इस भमोडी को शहर में मशरूम कहा जाता है. 400 रुपए प्रति किलो के दाम पर शहर में उपलब्ध मशरूम 3 या 5 स्टार होटल में मेन्यू में सबसे महंगी डिश रहती है. मेलघाट में प्राकृतिक तौर पर उपलब्ध जंगली सब्जियों की महारानी भमोडी 20 रुपए पाव किलो के दाम पर उपलब्ध है. डायबिटीज के प्रतिबंध के लिए भमोडी बहुत ही उपयुक्त है. वजन कम करना, पेट का बढता गुब्बारा कम करने के लिए मशरूम रामबाण दवा है. प्रमुख रूप से गावरान याने जंगली सब्जी मशरूम खाने से प्रतिरक्षा प्रणाली बढती है. शहर में उपलब्ध मशरूम बटन मशरूम कहलाते है, तो जंगल में पाई जानेवाली प्राकृतिक भमोडी को फ्लॉवर मशरूम कहा जाता है. मेलघाट में इन फूलों को भमोडी कहा जाता है. फूलों की माला की तरह भमोडी के फूल कडी धूप में सुखाएं जाते है. सूखे हुए फूलों का पाउडर कर ठंड के दिनों में उसका बेसन बनाकर खाया जाता है. मांसाहारी शौकीनों के लिए भगोडी की सब्जी एक अच्छा पर्याय रहता है. स्थानीय आदिवासी जब भगोडी ढूंढने के लिए जंगल में जाते है तब रेंगनेवाले जहरीले प्राणियों से उन्हें बचने की कसरत करनी पडती है. प्राकृतिक मशरूम के फूल 15-20 दिन ही मिलते है. इसलिए मेलघाट के जंगली सब्जियों के शौकीनों के लिए यही दिन महत्वपूर्ण रहते है. खाद्य प्रेमियों को भमोडी की भुर्जी बहुत पसंद है.