अमरावती

सतत दूसरे साल भी बहिरम यात्रा पर प्रश्नचिन्ह

इस साल भी यात्रा का आयोजन होगा या नहीं संभ्रम

परतवाडा/दि.29 – विदर्भ में सर्वाधिक समय भरने वाली बहिरम यात्रा का आयोजन पिछले दो सालों से कोरोना की पार्श्वभूमि पर नहीं किया जा रहा है. इस साल भी बहिरम यात्रा का आयोजन होगा या नहीं नागरिकों में संभ्रम निर्माण है. इस साल भी प्रशासन व्दारा बहिरम यात्रा का आयोजन न किए जाने के संकेत दिखाई दे रहे है.
मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित बहिरम यात्रा की शुरुआत हर साल 20 दिसंबर से की जाती है. यह यात्रा डेढ महीने तक चलती है. इस यात्रा पर जिला परिषद का नियंत्रण होता है एक माह पूर्व यात्रा का नियोजन व उसकी तैयारियां की जाती है. जिसमें जगह की साफ सफाई कर दूकानों के लिए प्लॉट की रचना करना, प्लॉट की निलामी, परिसर में स्थित तालाबों की सफाई आदि का समावेश होता है. किंतु अब तक भी इस संदर्भ में जिला परिषद व्दारा हलचल नहीं दिखाई दी. इस साल भी बहिरम यात्रा को लेकर संभ्रम की स्थिति बनी हुई है.
पिछले साल कोरोना की पार्श्वभूमि पर यात्रा का आयोजन नहीं हुआ था. इस साल यात्रा की पूर्व तैयारी को लेकर चांदूर बाजार पंचायत समिति ने जिला परिषद से एक महिना पूर्व निधि की मांग की थी. किंतु जिला परिषद व्दारा अब तक निधि नहीं दी गई. बहिरम यात्रा का सैकडो साल पुराना इतिहास है. बहिरम में संत गाडगेबाबा ने बलिप्रथा बंद करवायी थी हर साल यात्रा में जिले व राज्य के ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश व अन्य राज्यों से भी बहिरम बाबा के भक्त यहां बहिरम बाबा के दर्शन लेने हजारों की संख्या में उपस्थित होते है.

सैकडों भाविकों के आराध्य दैवत

मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित बहिरम बाबा सैकडो भाविकों के आराध्य दैवत है. जिले में भरने वाली बहिरम यात्रा को पौराणिक महत्व प्राप्त है. विदर्भ की सर्वाधिक समय तक चलने वाली यह यात्रा है. यहां सैकडो भाविक अपने आराध्य दैवत बहिरम बाबा के दर्शन के लिए यहां आते है. बहिरम बाबा को सिंदूर तथा मक्खन चढाया जाता है और रोडगे का भोग लगाया जाता है. महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों के भाविकों के भी बहिरम बाबा आराध्य दैवत है.

हंडी व रोडगे का महत्व

बहिरम यात्रा में सैकडो भाविक यहां आते है. यहां पर स्वयं भोजन पकाकर खाने का अलग ही महत्व है. चूल्हे पर हंडी में भोजन पकाया जाता है और यहां के रोडगे का भी अलग ही आकर्षण है. चूल्हे पर शाकाहारी व मांसाहारी भोजन पकाया जाता है. विशेषत: हंडियों में बनायी गई दाल, सब्जी तथा मटन का अस्वाद लेने दूर-दूर से यात्री यहां आते है.

जिलाधिकारी के आदेश की प्रतिक्षा

यात्रा को लेकर जिलाधिकारी व्दारा अब तक भी आदेश नहीं दिए गए है. यात्रा के संदर्भ में जिलाधिकारी के आदेश की प्रतिक्षा है. आदेश के पश्चात ही यात्रा को लेकर नियोजन किया जाएगा.
– प्रवीण सिनरे,
उपायुक्त कार्यकारी अधिकारी जि.प. अमरावती

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