अमरावती

जेल की अंतर्गत सुरक्षा व्यवस्था पर सवालियां निशान?

अमरावती ‘जेल ब्रेक’ की जांच पूर्ण, रिपोर्ट मिलने का इंतजार

अमरावती/दि.5- स्थानीय मध्यवर्ती कारागार से तीन कैदियों के फरार हो जानेवाले मामले की जांच अब पूर्ण हो गई है और पांच दिन तक चली इस जांच में जांच समिती ने जेल की अंतर्गत सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कई गंभीर आपत्तियां दर्ज कराई है. सुत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जांच समिती ने आठ सुरक्षा कर्मचारियों, चार जेल अधिकारियों व दस कैदियोें के बयान दर्ज किये है. जिसके बाद अब इसी सप्ताह में इस समिती द्वारा कारागार प्रशासन के डीआयजी स्वाती साठे को अपनी रिपोर्ट सौंप दी जायेगी.
बता दें कि, अमरावती मध्यवर्ती कारागार में उजागर हुई ‘जेल ब्रेक’ की घटना की जांच चंद्रपुर जिला कारागार के अधीक्षक वैभव आगे के नेतृत्ववाली टीम को सौंपा गया था. जिसके बाद इस टीम ने अमरावती पहुंचकर जेल से फरार हुए तीनों कैदियों के पूर्व इतिहास, बैरक से बाहर निकलनेवाले रास्ते, छत पर चढने हेतु प्रयोग में लाये गये चादर व कंबल तथा बैरक क्रमांक 12 के टूटे हुए ताले आदि का मुआयना करने के साथ ही घटना के समय नाईट ड्यूटी पर तैनात सुरक्षा रक्षक व सुरक्षा अधिकारियों के बयान दर्ज किये. साथ ही इस बैरक के आसपास स्थित अन्य बैरकों में रखे गये कैदियों के भी बयान इस टीम ने दर्ज किये. जिसके आधार पर ‘जेल ब्रेक’ की घटना को लेकर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई है और अब यह रिपोर्ट जेल डीआयजी स्वाती साठे को सौंपी जायेगी.

* पांच दिन से तीनों कैदियों का कोई अता-पता नहीं
‘जेल ब्रेक’ की घटना को घटित हुए करीब पांच-छह दिन हो चुके है. लेकिन अब तक जेल से फरार हुए उन तीनों कैदियों का कहीं कोई अता-पता नहीं चल पाया है. हालांकि इन कैदियों को खोजने हेतु शहर पुलिस आयुक्तालय की अपराध शाखा के साथ ही फ्रेजरपुरा, शेंदुरजनाघाट व रत्नागिरी पुलिस सहित जेल पुलिस के पथक लगातार काम में जुटे हुए है, लेकिन जेल से भागे तीनों कैदी इस समय कहां है, इसकी कोई जानकारी फिलहाल पुलिस के हाथ नहीं लगी है. बता दें कि, अमरावती कारागार से साहिल अजमत कालसेकर (33, नायसी, तह. चिपलूण, जि. रत्नागिरी) तथा सुमीत शिवराम धुर्वे (19, बालापेठ, शेंदूरजनाघाट, तह. वरूड, जि. अमरावती) व रोशन गंगाराम उईके (23, बालापेठ, शेंदूरजनाघाट, तह. वरूड, जि. अमरावती) फरार हुए है. पता यह भी चला है कि, जेल ब्रेक की घटना को अंजाम देनेवाला मुख्य सूत्रधार साहिल अजमत कालसेकर नामक कैदी था, जो हत्या के प्रयास से संबंधित मुकदमे में दोषी पाया गया था और जेल में बंद रहकर उम्रकैद की सजा काट रहा था. वहीं अन्य दो कैदी एक नाबालिग के साथ दुराचार करने के मामले में न्यायिक बंदी थे.

 

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