अमरावती/दि.17 – मौसी के पति ने नाबालिग बेटी पर बलात्कार करने के मामले में डीएनए परिक्षण रिपोर्ट के अनुसार पीडित लडकी उस बेटे की मां है तथा आरोपी उस लडके का पिता नहीं है, यह सिध्द हुआ है. जिससे विद्यमान अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश काले ने आरोपी को निर्दोष मुक्त करने के आदेश दिये है. इस कारण उस शिशू के पिता कौन यह प्रश्न अब निर्माण हुआ है.
दाखल हुए अभियोग पत्र के अनुसार पीडित नाबालिग लडकी दिवाली निमित्त मौसी के घर आयी थी. उस समय मौसी के पति ने नाबालिग पीडिता पर बलात्कार किया और किसे बताया तो जान से मारने की धमकी पीडिता को दी थी. उसके बाद दो से चार महिने पश्चात डॉक्टर ने नाबालिग गर्भवती रहने की बात बताई तब पीडिता की माता, पिता ने उसे अस्पताल में भर्ती किया. उसके बाद लडकी के पेट में 7 महिने के गर्भ रहने की बात सामने आयी थी. उसके बाद पीडित लडकी ने माता, पिता को बताया कि मौसे के पति ने उसकी जबरन इज्जत लूटी. पश्चात पीडिता की मां ने बहन के पति के खिलाफ पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की. तब पुलिस ने दफा 376 (1), 376 (2)(एफ) व बालको के लैंगिक अत्याचार से संरक्षण अधिनियम 4, 6 व 8 के तहत अपराध दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया.
इस मामले में पुलिस ने जांच कर आरोपी के खिलाफ जिला व सत्र न्यायालय अमरावती के न्यायालय में अभियोग पत्र दाखिल किया. यह मुकदमा विशेष मुकदमें के तहत चलाया गया है. उसके बाद न्यायालय ने इस मामले में पीडित लडकी, उसकी मां, पुलिस अधिकारी के गवाह दर्ज किये. आरोपी की ओर से एड.अनिल विश्वकर्मा ने न्यायालय के समक्ष पक्ष रखते हुए बताया कि आरोपी यह अझोस्पर्मीया इस बीमारी से ग्रस्त है और वह कभी भी पिता नहीं बन सकता. यह ध्यान में लाकर दिया तथा इस मामले में जांच के दौरान पीडित लडकी व उसे हुआ शिशू तथा आरोपी इन सभी के ब्लड सैम्पल लेकर डीएनए टेस्ट की गई, किंतु डीएनए परिक्षण रिपोर्ट के अनुसार पीडित लडकी यह उस शिशु की मां है किंतु आरोपी उस लडके का पिता नहीं, यह सिध्द हुआ है, जिससे अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश काले ने आरोपी को निर्दोष मुक्त करने के आदेश दिये. इस मामले में आरोपी के वकील एड.अनिल विश्वकर्मा समेत एड. अनिरुध्द लढ्ढा, एड.सीमा कश्यप ने सफल दलीलें दी.