अमरावती

कागजों पर चल रहा रुग्ण शिकायत निवारण कक्ष!

केवल 17 जिलों में हुई स्थापना

* सूचना अधिकार से सामने आयी जानकारी
अमरावती/दि.23 – शारीरिक व्याधी, आर्थिक दिक्कत तथा मानसिक आधार जैसे विभिन्न संकटों की श्रृंखला लेकर अस्पताल में दाखिल होने वाले मरीजों की शिकायतें हल करने हेतु महाराष्ट्र में कानून बनाया गया है. लेकिन इस कानून के अनुसार स्थापित किए जाने वाले शिकायत निवारण कक्ष की ओर अस्पतालों ने साफ तौर पर अनदेखी कर रखी है. विगत 2 वर्ष की कालावधि दौरान महाराष्ट्र के केवल 17 जिलों में यह कक्ष स्थापित हुआ है. इसमें भी कई स्थानों पर यह कक्ष केवल कागजों पर ही है, ऐसा सूचना अधिकार के जरिए मांगी गई जानकारी से पता चला है.
बता दें कि, मरीजों के अधिकारों का उल्लंघन होने पर स्थानीय स्तर पर भी न्याय मांगा जा सकेगा. इस हेतु शिकायत निवारण कक्ष की स्थापना अनिवार्य की गई है. विशेष उल्लेखनीय है कि, इस कक्ष की जरुरत को ध्यान में रखते हुए सरकार ने महाराष्ट्र नर्सिंग होम रजिस्ट्रेशन कानून 1949 में वर्ष 2021 में संशोधन किया. जिसके मुताबिक महानगरपालिका, जिला परिषद व शल्यचिकित्सक के अख्तियार में रहने वाले अस्पतालों में रुग्ण शिकायत निवारण कक्ष स्थापित करना अनिवार्य किया गया है. इस कक्ष के लिए स्वतंत्र टोल फ्री क्रमांक शुरु करने का भी प्रावधान है. जबकि हकीकत में स्थिति इससे एकदम अलग है. अधिनियम में सुधार हुए करीब 2 वर्ष का समय बीत चुका है. लेकिन इसके बावजूद महाराष्ट्र के आधे से अधिक जिलों में यह कक्ष खोला ही नहीं गया है. इस संदर्भ में सुचना अधिकार के तहत राज्य के सभी जिलों से जानकारी मांगी जाने पर केवल 23 जिलों से जानकारी दी गई. जिसमें 11 महानगरपालिका, 9 जिला परिषद व 3 जिला शल्य चिकित्सक के अख्तियार वाले अस्पतालों का समावेश था. इन 23 जिलों में से केवल 17 जिलों में यह कक्ष क्रियान्वित किए जाने की जानकारी दी गई है. वहीं अन्य जिलों में अब तक इन कानून के प्रावधानों की ओर गंभीरता से देखा ही नहीं है.
विशेष उल्लेखनीय है कि, जहां इस कक्ष को कार्यान्वित किया गया है. उसमें से अधिकांश स्थानों पर इस कक्ष का काम केवल कागजों पर ही दिखाई देता है. 17 में से करीब 13 स्थानों पर इस कक्ष हेतु स्वतंत्र टोल फ्री क्रमांक नहीं दिया गया है. बल्कि वहां के नियमित कार्यालयीन फोन नंबर को ही शिकायत निवारण कक्ष के संपर्क क्रमांक के तौर पर जारी किया गया है. वहीं इस नंबर का कोई प्रचार-प्रसार भी नहीं किया गया. जानकारी के मुताबिक सांगली, कोल्हापुर, नाशिक व पुणे इन 4 जिलों में ही रुग्ण शिकायत निवारण मंच के लिए स्वतंत्र टोल फ्री क्रमांक दिया गया है.
विशेष यह भी है कि, संगठन की ओर से इस अधिनियम को सहीं तरीके से लागू किया जा रहा है अथवा नहीं, इस हेतु पूरे राज्य में ‘रुग्ण हक्क’ अभियान चलाया गया है. जिसके बाद हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. तानाजी सावंत को निवेदन भेजकर नर्सिंग होम पंजीयन अधिनियम पर कडाई से अमल कराए जाने की मांग की गई.

* कहां-कहां पर कक्ष है कार्यरत
नागपुर, कोल्हापुर, भिवंडी, निजामपुर, मालेगांव, सांगली व पुणे इन 6 महानगरपालिकाओं ने रुग्ण शिकायत निवारण कक्ष को कार्यान्वित किया है. इसके अलावा वाशिम, चंद्रपुर, कोल्हापुर, छत्रपति संभाजी नगर, धुलिया, पालघर, सोलापुर व लातूर इन 8 जिला परिषद तथा अमरावती, अहमदनगर व भंडारा इन तीन स्थानों पर जिला शल्यचिकित्सक के स्तर पर शिकायत निवारण कक्ष कार्यान्वित है. साथ ही धुलिया, कल्याण-डोंबीवली, नांदेड व हिंगोली में कक्ष स्थापित करने की कार्रवाई शुरु रहने की जानकारी सूचना अधिकार के तहत दी गई है.

* कानून में सुधार होकर करीब 2 वर्ष का समय बीत चुका है, लेकिन इसके बावजूद भी रुग्ण शिकायत निवारण कक्ष स्थापित करने की ओर प्रशासन द्बारा कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही. ऐसा सूचना अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी को देखकर कहा जा सकता है. ऐसे में अब सभी शहरों व जिलों मेें रुग्ण शिकायत निवारण कक्ष शुरु करने हेतु प्रशासन के समक्ष आवश्यक प्रयास करना बेहद जरुरी है.
– विशाल ठाकरे,
सूचना अधिकार कार्यकर्ता.

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