रत्नागिरी/दि.१७ – आम का सीजन आरंभ हो चुका है. लेकिन इस दौरान मिलावटी आम ही बाजार में बिक्री के लिये आ रहे हैं.रसायन मिश्रित आम का सेवन करने से स्वास्थ्य पर बुरा असर होता है. वहीं बाजार में हापूस के कर्नाटक आम में होने वाली मिलावट को रोकने के लिये जीआय प्राप्त बगीचाधारकों के फलों पर चिपकाने के लिये क्युआर कोड वितरित किये गये हैं. प्रायोगिक तौर पर रत्नागिरी के दो बगीचा धारकों को 10-10 हजार कोड वितरित किये गये हैं. आने वाले दो दिनों में क्युआर कोड स्टीकर वाले आम नई मुंबई के बाजार में दिखाई देंगे.
यहां बता दें कि दो वर्ष पहले कोकण के आम को हापूस नाम से जीआय मानांकन प्राप्त हुआ है. पालघर, रायगढ़, रत्नागिरी, सिंधुदूर्ग व ठाणे (ग्रामींण) इन पांच जिलों में यह आम हापूस नाम से बाजार में शामिल होगा. अन्य किसी भी आम को हापूस नहीं कहा जा सकता. जीआय प्रमाण पत्र कोकण हापूस आम उत्पादक और उत्पादक विक्रेता, सहकारी संस्था,केलसी आम उत्पादक संघ, देवगढ़ आम उत्पादक संघ और कृषि विद्यापीठ के मार्फत बगीचा धारकों को दिया जाता है. अब तक 800 से अधिक बगीचा धारकों, प्रक्रियाधारक और व्यवसायियों को यह प्रमाण पत्र दिया गया है.
बाजार में हापूस ब्रांड विकसित करने का जीआय का उपयोग किया जायेगा. कर्नाटक आम में होने वाली मिलावट को रोकने के लिये उत्पादक सहकारी संस्था ने पायलट प्रकल्प शुरु किया है.
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प्रत्येक बगीचाधारक को क्युआर कोड
प्रत्येक बगीचा धारकों को क्युआर कोड दिया जाएगा. यह स्कैन करने पर फल की परिपूर्ण जानकारी वेबसाइट पर मिलेगी. आम कौन से किसान के बगीचे से आया है, उपयोगकर्ता कौन है, जीआय प्रमाण पत्र है क्या? फलों की पोषकता आदि की जानकारी मिलेगी. क्युआर कोड का स्टीकर प्रत्येक फल पर लगाया जाएगा. ताकि कर्नाटक आम में होने वाली मिलावट को रोकना संभव होगा. इस पर अमल आगामी महीनेभर में किया जाएगा.
क्युआर कोड के 1 लाख स्टीकर तैयार किये गये हैं. प्रायोगिक तत्व पर 10 किसानों का चयन किया गया है. जिनकी जानकारी जीआय सॉफ्टवेयर में फीड की जाएगी. इस माध्यम से असली हापूस किस तरह पहचाना जा सकेगा,इसकी जानकारी लोगों तक पहुंच सकेगी.
– डॉ. विवेक भिडे, अध्यक्ष, कोकण हापूस अम उत्पादक संस्था