अमरावती दि.29 – जिले में गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष सर्वाधिक बारिश होने पर परिणाम स्वरुप रबी के मौसम में गेहूं, चना दोनों ही फसलोें की बुआई का क्षेत्र 50 हजार हेक्टेयर में बढेगा. ऐसा कयास कृषि विभाग द्बारा लगाया जा रहा है. जिले में पर्याप्त रुप से बारिश होने पर जलाशय का स्तर व जमीन की नमी भी बढी है. विशेषत: वापसी की बारिश की वजह से जमीन में नमी होने की वजह से चने के बुआई क्षेत्र में वृद्धि होगी.
पिछले साल जिले में चने की बुआई 1 लाख 35 हजार हेक्टेअर में की गई थी. इस साल बुआई 15 से 20 हजार हेक्टेयर में बढेगी. चने का बुआई क्षेत्र 1 लाख 55 हजार तक पहुंचेगा. उसी प्रकार गत वर्ष जिले में गेहूं की बुआई का क्षेत्र 35 हजार हेक्टेअर था. इस साल 50 हजार से अधिक पर पहुंचेगा. दोनों ही प्रमुख फसलों का बुआई क्षेत्र 30 से 40 हजार हेक्टेयर से बढेगा. साथ ही जिले के अनेक भागों में रबी के मौसम में प्याज की फसल ली जाती है. जिसमें प्याज की बुआई का क्षेत्र भी बढेगा. ऐसा कयास कृषि विभाग द्बारा लगाया जा रहा हैै.
इस साल जुलाई महिने से जिले में लगातार बारिश हुई. बारिश की वजह से किसानों को 2 से 3 बार बुआई करनी पडी. अतिवृष्टिग्रस्त जिला होने से किसानों की फसलों का बडे प्रमाण में नुकसान हुआ. वापसी की बारिश का भी फटका किसानों को लगा. दूसरी ओर बारिश की वजह से जिले के प्रत्येक तहसील के जलाशय व कुए लबालब हुए. जिसकी वजह से जलस्तर बढा. जिले में 90 फीसदी फसल सिंचाई पर अवलंब है. जिसकी वजह से उसका परिणाम रबी मौसम में होगा. खरीफ के सीजन में किसानों को सोयाबीन व कपास की फसलों में सर्वाधिक फटका लगा है. सोयाबीन व कपास की खडी फसलों पर बारिश का असर हुआ. जिससे कपास के बोंडे झड गये और सोयाबीन की फसल का भी नुकसान हुआ था. अब किसानों को रबी के मौसम में अच्छा उत्पादन होगा, ऐसी आशा है.