* अन्य प्राणियों ने भी 1,319 लोगों को काटा
अमरावती/दि.14– जिले मेें श्वानदंश के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है. जनवरी से सितंबर इन 9 माह की कालावधी के दौरान 19,278 नागरिकों को कुत्तों ने काट लिया. वहीं 1,319 नागरिकों को बिल्ली व बंदर जैसे अन्य जानवरों द्बारा काट लिए जाने के मामले सामने आए. ऐसी जानकारी जिला शल्यचिकित्सक कार्यालय द्बारा दी गई है.
उल्लेखनीय है कि, कुत्ता या बिल्ली द्बारा काटे जाने की वजह से रैबिज की बीमारी होने का खतरा हो सकता है और यह बीमारी जानलेवा भी होती है. ऐसे में यदि समय पर योग्य इलाज नहीं किया गया है, तो संबंधित मरीज के कोमा में चले जाने का खतरा होता है. जिसके चलते कुत्ते अथवा बिल्ली द्बारा काटे जाने पर तुुरंत ही इलाज करवाना जरुरी होती है.
ज्ञात रहे कि, इन दिनों जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में बडे पैमाने पर आवारा कुत्तों के जमघट सडकों पर घुमते दिखाई देते है, जो रास्तों से गुजरने वाले वाहन चालकों पर अचानक ही हमला कर देते है. ऐसी शिकायतें विगत कुछ दिनों से लगातार बढ रही है. परंतु इसके बावजूद भी स्थानीय प्रशासन द्बारा ऐसे आवारा कुत्तों का बंदोबस्त करने हेतु कोई कदम नहीं उठाया जा रहा. हालांकि कुत्ते द्बारा काटे जाने के बाद रैबिज की बीमारी ना हो, इस हेतु जिला सामान्य अस्पताल सहित अन्य सभी सरकारी अस्पताल में एन्टी रैबिज का इंजेक्शन नि:शुल्क दिया जाता है. जिसके चलते कुत्ते या बिल्ली द्बारा काटे जाने के बाद एन्टी रैबिज का इंजेक्शन लगाने हेतु लोगबाग तुरंत ही सरकारी अस्पताल में पहुंचते है.
* क्या होता है रैबिज?
कुत्ते या बिल्ली जैसे जानवर द्बारा काटने की वजह से होने वाली रैबिज नामक बीमारी विषाणुजन्य है. इस बीमारी का विषाणु शरीर में पहुंचने के बाद सीधे सेंट्रल नर्वस सिस्टिम यानि मस्तिष्क संस्था पर हमला करता है.
* क्या होता है खतरा?
रैबिज का विषाणु यदि किसी व्यक्ति के मस्तिष्क तक पहुंच जाता है, तो उस व्यक्ति के कोमा में जाने का खतरा बन जाता है. साथ ही उसे हृदयाघात भी हो सकता है.
* रैबिज के बीमारी के लक्षण
रैबिज के लक्षण कुत्ता काटने के बाद तुरंत दिखाई नहीं देते, बल्कि इन लक्षणों के सामने आने में थोडा वक्त लगता है. इसके तहत बुखार, बदनदर्द, मेंदू व रिढ की हड्डी में सुजन, मांस पेशियों पर सीधे-सीधे कमजोर होना व पानी से डर लगना जैसे प्रमुख लक्षण मरीजों को दिखाई देते है.
* कैसे फैलता है रैबिज?
कुत्ते व बिल्ली जैसे जानवरों में रैबिज का विषाणु मौजूद रहता है. जो मुख्य तौर पर उनकी लार में होता है. ऐसे मेें यदि किसी व्यक्ति को कुत्ते या बिल्ली द्बारा काट लिया जाता है, तो उस व्यक्ति के खून में कुत्ते या बिल्ली के लार के जरिए रैबिज के विषाणु के पहुंचने की पूरी संभावना बन जाती है और फिर पूरे शरीर में रैबिज के विषाणु का संक्रमण फैलता है. ऐसे में कुत्ते या बिल्ली द्बारा कांटे जाने या शरीर पर रहने वाली किसी खुले जख्म को जिभ से चाटने के चलते उनकी लार में रहने वाला रैबिज का विषाणु शरीर में प्रवेश कर सकता है. अत: कुत्ते या बिल्ली द्बारा काटे जाते ही तुरंत जख्म वाले स्थान को साफ पानी से धोना चाहिए और तुरंत ही सरकारी अस्पताल में जाकर एन्टी रैबिज के इंजेक्शन लेने चाहिए.
* अब पेट में इंजेक्शन लेने की जरुरत नहीं
अब भी लोगों में यह आम धारणा है कि, रैबिज का इलाज करवाने हेतु लगातार 14 दिनों तक पेट में इंजेक्शन लेने पडते है. परंतु यह पूरी तरह से गलत जानकारी है. क्योंकि अब नई चिकित्सा पद्धति के तहत पेट में इंजेक्शन लेने की कोई जरुरत नहीं पडती. बल्कि बांह में इंजेक्शन दिया जाता है. साथ ही जिले के सभी सरकारी अस्पताल में रैबिज का इंजेक्शन पूरी तरह से नि:शुल्क तौर पर उपलब्ध कराया जाता है.
* पालतु जानवरों का कराएं टीकाकरण
यदि अपने घर में कुत्ते या बिल्ली जैसे जानवर को पाला गया है, तो उनका नियमित तौर पर एन्टी रैबिज टीकाकरण करवाना चाहिए. यह सबसे जरुरी काम होता है.
* जानवर द्बारा काटे जाने के बाद जख्म को साफ पानी से धोएं
कुत्ते या बिल्ली जैसे किसी भी जानवर द्बारा काटे जाने के बाद जख्म पर रहने वाली उनकी लार को तुरंत साफ करें तथा जख्म वाले हिस्से को पानी व साबून से करीब 15 मिनट तक स्वच्छ करें.
* तुरंत कराए इलाज
जख्म को धोने के बाद उस पर एन्टीसेफ्टीक लगाए तथा तुरंत ही अस्पताल जाकर टिटेनस यानि धनुर्वात का इंजेक्शन लगवाएं. साथ ही डॉक्टर के सलाह के अनुरुप एंट्री रैबिज इंजेक्शन का डोज ले.
* रैबिज यह जानवरों की लार से फैलता है. जिसके चलते कुत्ते अथवा अन्य किसी भी प्राणी द्बारा काटे जाने के बाद सबसे पहले जख्म वाले स्थान को साफ पानी से धोना चाहिए. जिसके बाद उसे साबून से भी स्वस्थ करना चाहिए. इसके उपरान्त सरकारी अस्पताल में पहुंचकर एन्टी रैबिज इंजेक्शन भी लगवाना चाहिए. ताकि रैबिज का संक्रमण आगे न फैल पाए. यदि एक बार रैबिज का विषाणु शरीर में फैल जाता है, तो उससे काफी तरह की दिक्कते भी पैदा हो सकती है. ऐसे में बेहद जरुरी है कि, समय रहते मरीज का इलाज किया जाए. ताकि स्थिति को बिगडने से बचाया जा सके और संभावित खतरे को टाला जा सके.
– डॉ. दिलीप सौंदले,
जिला शल्यचिकित्सक, अमरावती.