अमरावतीमहाराष्ट्र

रेडिएंट परिवार ने नाटिका के माध्यम से किया आत्मविभोर

‘सांजवेळ’ में अपनों का साथ करता है अपनेपन का अहसास

* डॉ. सिकंदर अडवानी की संकल्पना
अमरावती/दि. 5.-समय के साथ और भागदौड भरी जिंदगी में हम अपनों का साथ देने में कही ना कही चुक जाते है. बच्चे अब माता-पिता से दूर होने लगे है. नाती-पोती भी दादा-दादी, नाना-नानी से दूर हो रहे है. मनष्य के जीवन में संयुक्त परिवार जो मानसिक आधार देता था, वह खोने लगा है. जिसके कारण पार्किंसंस जैसी बीमारियां बुजुर्गाें के दिल और दिमाग पर हावी होने लगी है. ऐसी बीमारियों से अपनों को बचाना है तो अपनों का ‘सांजवेळ’ अर्थात ढलती उम्र में साथ होना जरूरी है, इसी आत्मभाव को दर्शाती नाटिका सांजवेळ-अनुभूति का एक नव पर्व ने सभी को आत्मविभोर कर दिया. स्थानीय संत ज्ञानेश्वर सांस्कृतिक भवन में शनिवार को रेडिएंट अस्पताल की ओर से ‘सांजवेळ-अनुभूति का एक नव पर्व’ नाटिका का आयोजन किया गया. नाटिका की शुरूआत में एक बुजुर्ग व्यक्ति जिसका नाम दत्ताभाउ बताया गया वह अपने ही घर में अकेलेपन का शिकार होता है और ऐसी स्थिति में उन्हें पार्किसंस की बीमारी जकड लेती है. इस बीमारी के लक्षण, यह बीमारी धीमी प्रगतिशील न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार है, जो मस्तिक के विशिष्ट हिस्सों को नुकसान पहुंचाते है. वह मुख्य रूप से मोटर नियंत्रण से संबंधित लक्षणों जैसे कंपन, अकडन, धीमी गति और संतुलन में कठिनाई का कारण बनता है. मस्तिक में डोपामाइन नामक रासायनिक संदेशवाहक की कमी पार्किंसस रोग के लक्षणों का प्रमुख कारण है.
पार्किंसंस रोग एक जटिल विकार है, जो व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है. यादि आपको पार्किसंस रोग के लक्षण दिखाई देते है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिये. पार्किसंस रोग का स्थायी इलाज नही है, लेकिन दवाओं, शारीरिक थेरेपी और अन्य उपचारों से लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है. इन्ही बातों को नाटिका के माध्यम से लोगों की बताने की कोशिश की गई.
इस नाटिका की संकल्पना एवं लेखन डॉ. सिकंदर अडवानी का रहा. इसके साथ ही डॉ. आनंद काकाणी व डॉ. पवन अग्रवाल ने भी विशेष सहयोग दिया. सह लेखन प्रा. अमोल पानबुडे, निर्देशन सुरेश बारसे, प्रकाश योजना हिमांशु ईहिरे, नेपथ्य डॉ. श्याम देशमुख, पार्श्वसंगीत विराग जाखड, रंगभुषा व वेशभुषा अभिजीत देशमुख, अभिनय योजना एड. चंद्रकांत कराले. (दत्ताभाउ), एड, प्रदिप प्रेमलवार (शंकरराव), सिध्दि काले (स्वाती), आकाश पांडे (अहमदभाई), कुंदा वंजारी (टाईम बैंक संचालक), हिमांशु ईहिरे (विश्वजीत ), नाना उर्फ एम. टी देशमुख (मामुभाई), माया वाकोडे, सहयोगी कलाकार भीमराव पकडे, सुमन पकडे, प्रमोद सोलव, दिलीप चौधरी, माया कडू, मनीष कानव, शकुंंतला खंडारे, मीना जामनीक, नंदा देशमुख, विभा कासंडे, शंकरराव ताजने, नम्रता अग्रवाल , किरणा ठाकुर पद्माकर सोनक, छाया सोनक मोनाली गवई, मृणालिनी वानखडे ने सहयोग दिया. म्यूजिक थेरेपी की जिम्मेदारी डॉ. प्रा.भोजराज चौधरी, प्रा.अंकुश गिरी ने संभाली. कार्यक्रम में बडी संख्या में नागरिकों की विशेष कर बुजुर्गों की उपस्थित रही नाटिका के माध्यम से कुछ मरीजों ने भी म्यूजिक थेरीपी की जानकारी देते हुए सक्रिय सहभाग लिया. कार्यक्रम को सफल बनाने रेडिएंट अस्पताल की संपूर्ण टीम ने विशेष सहयोग दिया.

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