* व्यापारी परेशान, रखने की भी समस्या
अमरावती/दि.4- मार्च के बाद अप्रैल और अब मई माह में भी हो रही बेमौसम बरसात के कारण केवल फसलें ही तबाह नहीं हुई, बल्कि कूलर और एसी तथा गर्मी के दिनों में चलने वाले शीत पेय, लस्सी, आइस्क्रीम के कारोबार भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. कूलर व्यवसायियों ने कहा कि इस बार 40 प्रतिशत भी धंधा नहीं हो पाया है. अब अगले पखवाड़ेभर और सीजन कह सकते हैं. इसमें भी मुश्किल से 10, 15 प्रतिशत माल की विक्री होने का अंदाज है. कह सकते हैं कि कूलर की विक्री का गोल्डन पीरियड मौसम की भेंट चढ़ गया. बेमौसम बारिश ने कूलर व्यवसायियों के पसीने छुड़ा दिए.
अमरावती मंडल ने व्यापारियों से इस बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि हर साल 100 कूलर बेचने वाले छोटे व्यापारी भी इस बार 30-40 से अधिक यूनिट नहीं खपा सके हैं. इसके मुख्य रुप से दो कारण रहे हैं. बेमौसम बारिश तथा विवाह के मुहूर्त लेट होना. अप्रैल माह में अमूमन कूलर का धंधा तेजी पर रहता है. जिसके लिए फरवरी से कूलर निर्माता तैयारी शुरु कर देते हैं. एक सूत्र ने दावा किया कि तैयार कच्चा माल लाकर यहां बेचने वाले अनेक कारोबारी के गोदाम सामान से भरे रह गए. कूलर का व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ.
आधा भी माल नहीं बिका
श्री इंडस्ट्रीज के संचालक प्रणीत भूतड़ा ने बताया कि प्रति वर्ष उनका 7 हजार यूनिट का टारगेट रहता है. इस बार आधा भी माल नहीं बिक पाया. बेशक बेमौसम बरसात और अब तक हर वर्ष की तरह तेज धूप नहीं पड़ना एक बड़ी वजह रही है. उनके यहां दो फीट से लेकर चार फीट तक 1800 से लेकर 6 हजार की रेंज के कूलर्स उपलब्ध रहते हैं. भूतड़ा का कारखाना सातुर्णा में स्थित है. जबकि कार्यालय मुधोलकरपेठ में है. उनका कहना है कि अब 15 दिनों का और वक्त रह गया है.
बेहद खराब सीजन
हर वर्ष गर्मी के दिनों में कूलर बिक्री के सीजन का इंतजार करने वाले गाड़गेनगर पलाशलाइन के अंकित रिठे ने बताया कि बहुत ही खराब सीजन इस बार रहा है. वे 100-200 कूलर का धंधा कर लेते हैं. इस बार 40-45 यूनिट मुश्किल से बेच पाए हैं. काफी माल पड़ा रह गया.
मुश्किल से 250 यूनिट बेचे
आम ग्राहकों ने इस बार कूलर से मुंह फेर लिया. क्योंकि गर्मी अपेक्षित नहीं पड़ी. बेमौसम बारिश के लगातार बढ़ते दौर से हमेशा 500-600 यूनिट का कारोबार करने वाले उमेश गुप्ता ने बताया कि मुश्किल से 250 यूनिट बिके हैं. मसानगंज निवासी गुप्ता के पास भी डेजर्ट कूलर सभी साईज में मिलते हैं. उनका कहना रहा कि काफी माल अभी भी बचा हुआ है.
* कारीगरों को काम नहीं
कूलर की मोटर और फीटिंग के लिए मैकेनिक की बड़ी डिमांड रहती है. ऐसे ही एक कारीगर धीरज खत्री ने बताया कि इस बार कही से भी बुलावा नहीं आया. जिससे उन्होंने क्षेत्र बदल दिया. वे निर्माण साइट पर इलेक्ट्रिक फीटिंग के काम कर रहे हैं. कूलर का बिजनेस ऐसे सैकड़ों कारीगरों को सीजनल रोजगार भी उपलब्ध करवाता है. इस बार उसकी डिमांड कम नजर आ रही.
* जंग लगने का खतरा
कूलर में डेजर्ट की डिमांड हाल के वर्षों में बढ़ी है. बड़े से बड़ा रुम या हॉल कूल करने की क्षमता डेजर्ट कूलर में होती है. इसकी कच्चा माल लाकर फीटिंग करने वाले अनेक व्यापारी, कारीगर इस बार माल की खपत कम रहने से कच्चा माल संभाल रहे हैं. उसमें जंग लगने का डर उन्हें सता रहा है.