अमरावती

बारिश ने दिया दगा, संतरा उत्पादकों का करोडों रुपयों का नुकसान

मृग नक्षत्र पूरा सूखा

* तहसील के किसान चिंतित
मोर्शी / दि. 21- मोर्शी तहसील में अभी तक मानसून ने दस्तक नहीं देने से किसान निराश हो गए हैं. जून का आधा महीना समाप्त हो गया हो, बारिश नहीं होने के कारण मोर्शी तहसील के सभी क्षेत्रों में बुआई बाधित हो गई है. अतः बलीराजा की निगाहें अब आकाश की ओर टिकी है. मोर्शी तहसील संतरों के रिकॉर्ड उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है. लेकिन मृग नक्षत्र ने दगा देने से संतरे की फसल संकट में है और करोड़ों रुपए का नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है. मोर्शी तहसील में कपास, अरहर, मिर्च, मक्का, ज्वार आदि फसलों की बुवाई बाधित हो गई है और हजारों हेक्टेयर में संतरे का उत्पादन संकट में है. बारिश नहीं होने से बड़े पैमाने पर संतरे की अंबिया बहार और मृग बहार खतरे में हैं और बारिश न होने से संतरे के लाखों पेड़ क्षतिग्रस्त होने की आशंका है.
जब रोहिणी नक्षत्र आता है तो हर कोई बारिश की उम्मीद करता है, लेकिन रोहिणी नक्षत्र के बाद मृग नक्षत्र में अभी तक बारिश नहीं हुई है. पिछले कुछ दिनों से हवा थम गई है और किसान चिंतित हैं कि बारिश होगी या नहीं. रोहिणी सहित मृग नक्षत्र की वर्षा नहीं होने के कारण खरीफ की बुवाई कठिन है. ऐसे में किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं. इस साल तेज धूप के कारण सभी को बारिश का इंतजार है, लेकिन अभी तक बारिश नहीं होने से क्षेत्रवासियों को परेशानी हो रही है. बादल छाए रहने के कारण हवा में वाष्प की मात्रा बढ़ गई है और बहुत गर्मी महसूस हो रही है. इससे बच्चे व बुजुर्ग नागरिक परेशान हो रहे हैं. बारिश से इंसानों के साथ-साथ पक्षियों पर भी असर पड़ा है. फिलहाल आसमान में बादल छाए रहने से गर्मी से परेशान लोगों को बारिश का इंतजार करना पड़ रहा है.
उधार लेकर खाद और बीज की सुविधा
किसानों के महत्वपूर्ण रहने वाला मृग नक्षत्र सूखा जाने से खरीफ सीजन के लिए तैयार किसान हताश हुए है. कोई अपने पास के पैसे खर्च कर रहा है तो कोई घर में रखा सोना तोडकर तो कोई गिरवी रखकर बीज और खाद की व्यवस्था कर रहा है. बड़ी उम्मीद से बीज और खाद बचाकर रखा है. लेकिन इस साल मृग नक्षत्र में बारिश की एक बूंद भी आसमान से नहीं गिरने से सारी मेहनत बेकार गई है. मृग नक्षत्र ने किसानों को निराश किया है.
-रूपेश वालके, ग्राम पंचायत सदस्य
भयंकर संकट की आशंका!
ऐसा लगता है कि हर साल आसमानी संकट झेलने वाले किसान की पीडा और दर्द को कोई समझने और सुनने को तैयार नहीं है. पिछले कई वर्षों से खरीफ सीजन में लगे किसान इस साल बारिश ने मुंह फेरने से संकट में आ गए हैं.

Related Articles

Back to top button