अमरावतीविदर्भ

फायदे की बजाय नुकसान दे गयी बारिश

बडे पैमाने पर फसले बर्बाद

  • कई जगहों पर सडकें व खेत बहे

  • आम जनजीवन बुरी तरह से अस्त-व्यस्त

अमरावती इस बार मान्सून का आगमन बिल्कूल सही समय पर हुआ और विगत तीन माह के दौरान फसलों की जरूरत के लिहाज से समय-समय पर आसमान से पानी बरसता रहा. जिससे खेती-किसानी की स्थिती शानदार थी. लेकिन अप्रैल माह के अंत में हुई लगातार और जबर्दस्त बारिश ने पूरे किये-कराये पर पानी फेर दिया और विगत सप्ताह हुई धुआंधार बारिश की वजह से खेती-किसानी का बडे पैमाने पर नुकसान हुआ. साथ ही आम जनजीवन बुरी तरह से अस्त-व्यस्त हुआ. इस धुआंधार बारिश की वजह से अमरावती जिले सहित समूचे संभाग के नदी-नाले पुरे उफान पर बहे. जिससे बाढ का पानी खेतों में जा घुसा. वहीं कई स्थानों पर खेतों में खडी फसलों सहित सडकें तक बह गयी. इसके अलावा कई स्थानों पर तेज बारिश और आंधी-तूफान की वजह से झाड उखडकर रास्तों पर आ गिरे.

तिवसा में खेत बहे

तिवसा तहसील से होकर बहनेवाली वर्धा नदी में बाढ आने की वजह से नदी किनारे बसे नमस्कारी, फत्तेपुर, वरखेड, तारखेड, कौंडण्यपुर, छिंदवाडी, ईसापुर, चांदूर ढोरे, धामंत्री व धारवाडा इन गांवों में बाढ का पानी जा घुसा. जिसकी वजह से इन गांवों में बडे पैमाने पर खेती-किसानी का नुकसान हुआ और कई जगहों पर फसलों सहित खेत के खेत बह गये. बता दें कि, विगत कुछ दिनों से मोर्शी स्थित अप्पर वर्धा बांध से लगातार जलविसर्ग किया जा रहा है. जिसके चलते वर्धा नदी का जलस्तर बढा हुआ है. वहीं शनिवार को अप्पर वर्धा बांध के कुछ दरवाजों को बंद करने और जलविसर्ग का प्रमाण घटाने के चलते वर्धा नदी में पानी का बहाव एवं स्तर कम हुआ, लेकिन इससे पहले यहां पर बाढ के पानी और आस्मान से होती बारिश की वजह से अच्छाखासा नुकसान हो चुका था.

चिखलदरा में रास्ते पर झाड गिरे

चिखलदरा से सलोना, घटांग होते हुए परतवाडा जानेवाले मार्ग पर रविवार की सुबह ६ बजे के दरम्यान सागौन के झाड टूटकर सडक पर गिर जाने की वजह से यहां यातायात बुरी तरह से प्रभावित हुआ. मेलघाट में विगत सप्ताहभर से लगातार बारिश चल रही है. जिसकी वजह से यहां के पहाडी क्षेत्र में जगह-जगह भूस्खलन हो रहा है. वहीं दूसरी ओर आदिवासी बहुल क्षेत्र में बारिश की वजह से आम जनजीवन बुरी तरह से अस्त-व्यस्त हुआ है. और यहां कई कच्चे-पक्के मकानों का बडे पैमाने पर नुकसान हुआ है. साथ ही जंगल परिसर में कई स्थानों पर वृक्ष टूटकर नीचे गिरे है.

नायगांव में १५० हेक्टेयर कृषि क्षेत्र डूबा

धामणगांव रेल्वे तहसील की सीमा पर स्थित बगाजी सागर बांध से जलनिकासी शुरू किये जाने के चलते वर्धा नदी के किनारे स्थित गांवों में १५० हेक्टेयर कृषि क्षेत्र बाढ के पानी में डूब गया. जिससे सर्वाधिक प्रभावित नायगांव निवासी किसान हुए. वर्धा नदी में आयी बाढ की वजह से नायगांव सहित दिघी महल्ले, सोनोरा काकडे, गोकुसरा, आष्टा व विटाला इन गांव के किसान बडे पैमाने पर प्रभावित हुए है. नायगांव में आधे से अधिक किसानों के खेत वर्धा नदी के किनारे है और नदी में आयी बाढ की वजह से किसानों की जमीन पूरी तरह से बर्बाद हो गयी है.

खेतों में ही सडी साग-सब्जियां

परतवाडा परिसर में विगत चार-पांच दिनों से लगातार जारी बारिश की वजह से खेतों में उगी साग-सब्जियां खेतों में ही पूरी तरह सड गयी है. जिसके चलते बाजार में साग-सब्जियों के दाम अचानक बढ गये है. बता दें कि, तहसील में बडे पैमाने पर बैगन, पालक, भेंडी, संभार व करेले की उपज ली जाती है, लेकिन विगत सप्ताह हुई बारिश के चलते सभी साग-सब्जियों की फसलें खेतों में खडे-खडे बर्बाद हो गयी है. जिसका सीधा असर बाजार में सब्जियों के दाम बढने के तौर पर देखा जा रहा है.

कौंडण्यपुर के पुल का हुआ नुकसान

अप्पर वर्धा प्रकल्प का पानी वर्धा नदी में छोडे जाने की वजह से नदी में जबर्दस्त बाढ आ गयी थी और कौंडण्यपुर में वर्धा नदी पर बनाये गये पुल के तीन फिट उपर से पानी बह रहा था. पानी के तेज बहाव की वजह से इस पुल और सडक का बडे पैमाने पर नुकसान हुआ है. यहां पर पुलियां पर बनायी गयी सडक क्षतिग्रस्त होने के साथ-साथ पुल पर बनाये गये सुरक्षा रेलींग बह गये है. ऐसे में अब यहां से आवागमन की सुरक्षा पर सवालियां निशान लग गया है. बाढ के २० घंटे बाद पानी का स्तर कम होने के चलते इस पुल को आवागमन के लिए खोला गया. साथ ही रविवार की सुबह तिवसा के सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग द्वारा पुल की साफ-सफाई करते हुए सडक पर मौजूद करे व किचड व को हटाया गया. हालांकि पुल पर बनायी गयी सुरक्षा रेलिंग की दुरूस्ती अभी बाकी है.

अप्पर वर्धा बांध पर तैनात हुआ दंगा नियंत्रण पथक

मोर्शी तहसील में स्थित जिले के सबसे बडे बांध अप्पर वर्धा प्रकल्प का जलस्तर जबर्दस्त ढंग से बढा हुआ है और इस बांध में ९७.७१ फीसदी जलसंग्रह हो चुका है. जिसके चलते विगत दिनों इस बांध के सभी १३ दरवाजों को दो मीटर तक खोल दिया गया था और यहां से बडे पैमाने पर जलविसर्ग शुरू किया गया था. इस बात की जानकारी मीडिया व सोशल मीडिया के जरिये सामने आते ही कई पर्यटक अप्पर वर्धा बांध पर पहुंचना शुरू हो गये. जिसके मद्देनजर प्रशासन ने अप्पर वर्धा बांध परिसर में दंगा नियंत्रण पथक को तैनात कर दिया. जिसमें १६ पुलिस जवानों का समावेश है. मोर्शी के थानेदार संजय सोलंके के मार्गदर्शन में इस पथक में बांध से दो किलोमीटरवाले परिसर को निर्मनुष्य कर दिया है, ताकि यहां पर भीडभाड की वजह से कोरोना का संक्रमण ना फैले. वहीं दूसरी ओर प्रशासन द्वारा जानकारी दी गई है कि, अब इस बांध के पांच दरवाजों को बंद कर दिया गया है और केवल सात दरवाजे ३० सेंटीमीटर तक खुले है. जिसमें से प्रति सेकंड ३४० घनमीटर पानी की निकासी हो रहीं है.

 

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