अमरावतीमहाराष्ट्र

बारिश के जलजमाव से लेप्टोस्पायरोसिस का खतरा

अमरावती/दि.2- बारिश के दिनों में सडकों पर रहने वाले गड्ढों एवं खुले पडे भूखंडों सहित निचले इलाकों में बारिश का पानी जमा होता जाता है. इस दूषित पानी के चलते लेप्टोस्पायरोसिस नामक विषाणुजन्य बीमारी का संक्रमण होने की संभावना रहती है. जिसके चलते नागरिकों ने बारिश के मौसम दौरान साफ-सफाई की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए तथा कहीं पर भी बारिश के पानी को जमा नहीं होने देना चाहिए, ऐसी सलाह वैद्यकीय विशेषज्ञों द्वारा दी गई है.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा दी गई सलाह के मुताबिक नागरिकों ने दूषित पानी व मिट्टी से संपर्क टालना चाहिए. साथ ही अपने घर व परिसर को साफ-सुथरा रखना चाहिए. इसके अलावा बारिश के मौसम दौरान घर व परिसर के आसपास कहीं पर भी जलजमाव न हो और जीव-जंतुओं की पैदावार न होने पाये, इस बात की ओर भी विशेष तौर पर ध्यान देना चाहिए.

* संक्रामक बीमारी है लेप्टोस्पायरोसिस
लेप्टोस्पायरोसिस नामक बीमारी मुख्य तौर पर जानवरों में पायी जाने वाली संक्रामक बीमारी है. लेप्टोस्पायरोसिस विषाणु की कुल 23 प्रजातियां है और बारिश का मौसम शुरु होते ही इस बीमारी के मरीज मिलने शुरु हो जाते है.

* कैसे होती है बीमारी?
लेप्टोस्पायरोसिस की बीमारी जिवाणुओं की वजह से होती है. यह जिवाणु किसी भी व्यक्ति के मुंह, नाक, आंख व त्वचा पर रहने वाले जख्म अथवा फोडे-फुंशी के जरिए शरीर में प्रवेश करते है. दूषित पानी में तैरने और अस्वच्छ परिसर में रहने की वजह से इन विषाणुओं का शरीर में प्रवेश होता है.

* क्या सतर्कता जरुरी?
पानी जमा रहने वाले किसी भी स्थान पर न जाये. दूषित पानी, मिट्टी व खेतों में उगने वाली साग-सब्जियों से इंसानी संपर्क को टाले. इसके लिए दस्तानों यानि हैंडग्लोज का प्रयोग किया जा सकता है. इसके साथ ही मूत्र विसर्जन के जरिए जलस्त्रोतों को दूषित नहीं होने देना चाहिए. इसके अलावा सडक पर जमा पानी में से पैदल चलते हुए घर पहुंचने के बाद तुरंत ही पैरों को साबून एवं स्वच्छ पानी से साफ करना चाहिए.

* जख्म रहने पर ज्यादा सतर्कता जरुरी
पैरों में कोई जख्म रहने पर जलजमाव वाले स्थान से पैदल आना-जाना करना टालना चाहिए. साथ ही ऐसा करना जरुरी रहने पर गम बुट का प्रयोग करना चाहिए. वहीं सडकों पर जमा रहने वाले पानी में से पैदल चलकर आने पर पैरों को अच्छे से धोना चाहिए और यदि पांव पर कोई जख्म है, तो तुरंत आवश्यक उपाय भी करना चाहिए.

* क्या है बीमारी के लक्षण?
– बुखार, सिरदर्द, जोडो व मांस पेशियों में दर्द, पेट दर्द, उलटी, जुलाब, जी मचलाना, आंखें लाल होना, त्वचा पीली पडना जैसे लक्षण इस बीमारी की शुरुआत में दिखाई देते है.
– 3 से 10 दिन बाद मरीज में कुछ गंभीर लक्षण भी दिखाई देने शुरु होते है. जिसके तहत खांसी के साथ गले से खून आना, सीने में दर्द रहना, पेशाब कम होना जैसे प्रमुख लक्षणों का समावेश है.
– लेप्टोस्पायरोसिस विषाणु से दूषित स्त्रोत के साथ किसी व्यक्ति का संपर्क आने पर उस व्यक्ति के बीमारी पडने की कालावधि 2 दिन से 4 सप्ताह तक हो सकती है.

* जलजमाव की वजह से जमा रहने वाले दूषित पानी के संपर्क में आने की वजह से लेप्टोस्पायरोसिस की बीमारी होने की संभावना रहती है. ऐसे में बारिश के मौसम दौरान इस बीमारी से बचाव हेतु आवश्यक सतर्कता बरतना जरुरी होता है. जहां तक संभव हो, जलजमाव वाले स्थानों से पैदल चलना टालना चाहिए. साथ ही बीमारी के कोई भी लक्षण दिखाई देने पर समय रहते इलाज करना जरुरी है.
– डॉ. नरेंद्र सोलंके,
आरएमओ जिला सामान्य अस्पताल

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