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राज पथ ने हासिल किया गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड का ‘माईलस्टोन’

अमरावती-अकोला विश्व के नक्शे पर

* सड़क निर्माण क्षेत्र के पिछले सभी रिकॉर्ड टूटे
* केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने दी बधाई
अमरावती/अकोला/दि.8 – अमरावती-अकोला राष्ट्रीय राजमार्ग-53 (पूर्व-6) पर, राजपथ इंफ्राकॉन ने लगातार 109.88 घंटों में 84.400 किमी बिटुमिनस कंक्रीट पेविंग करके एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाया. बुधवार 7 जून 2022 को माना कैंप में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के जज स्वप्निल डांगरीकर ने राजपथ इंफ्राकॉन के प्रबंध निदेशक जगदीश कदम को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड सर्टिफिकेट सौंपा. कंपनी ने यह विश्वरिकार्ड आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष में देश को समर्पित किया है. कंपनी के प्रबंध निदेशक जगदीश कदम ने बताया कि, शिव छत्रपति के चरित्र से प्रेरित होकर, यह कार्य ‘शिव सूत्र’ के अनुसार शुरू किया गया. इसके लिए, ‘जवाली’ वार रुम से काम की प्रगति, उपकरण, गुणवत्ता और मानव सुरक्षा आदि पर नजर निगरानी रखी गई.
विदर्भ में 45-46 डिग्री तापमान, शरीर से निकलते पसीने की धारा, पिछली कंपनी का भ्रम उन्हें लक्ष्य से विचलित नहीं कर सका. इस शानदार उपलब्धि ने कंपनी की साइट, कार्यालय, माना कैंप और अमरावती, अकोला जिले में उत्साह का माहौल बना दिया है. लगातार पिछले 5 दिनों से इस चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को हासिल करने के लिए तपती गर्मी को सहते हुए दिन-रात एक कर विश्व रिकॉर्ड की घोषणा के बाद थकान, तनाव का स्थान आनंद और उत्सव ने ले लिया. निरंतर तपस्या के बाद आज यानी 7 जून को रात करीब 9.20 बजे जैसे ही गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने विश्व रिकॉर्ड की घोषणा की वहां आतिशबाजी और जल्लोष शुरू हो गया.
भारत माता की जय’, ’वंदे मातरम’, ’जय भवानी जय शिवाजी’, ’राजपथ …. राजपथ … राजपथ ….’ के नारे गुंज उठे. सफलता के सपने को ध्यान में रखते हुए बिटुमिनस कंक्रीटिंग से सबसे लंबी और अखंड सड़क बनाने का यह नया मुकाम हासिल किया है. भारत की स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव पर राजपथ इंफ्राकॉन ने देश को यह अनोखा तोहफा दिया है. इस उपलब्धि से अकोला-अमरावती, विदर्भ, महाराष्ट्र और भारत के नाम सात समुद्र पार तक पहुंच गया हैं. राजपथ के प्रबंध निदेशक जगदीश कदम को आधिकारिक प्रमाण पत्र प्रदान किया. इस बार पूरा माना कैंप क्षेत्र तालियों से गूंज उठा. यह अभूतपूर्व सफलता टीम भावना, दृढ़ इच्छाशक्ति, अदम्य दृढ़ता और कंपनी में जनशक्ति की अपार दृढ़ता के बल पर हासिल हुई है. लोणी से मुर्तिजापुर तक अमरावती और अकोला के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 53 (पूर्व में 6) पर बिटुमिनस कंक्रीटिंग के साथ सबसे लंबी और अखंड सड़क का निर्माण 3 जून को सुबह 7:27 बजे शुरू हुआ था. जिसमें एक ओर के फोर लेन के लंबे समय से रुके हुए काम को गति दी गई. तब से लेकर से 7 जून को नवसाला गांव के पास निर्बाध, अखंड और अद्भुत निर्माण कार्य पूरा हुआ. उस समय 84.400 किलोमीटर काम को पूरा कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया. इस अवसर पर केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सभी को बधाई दी.
इस रिकॉर्ड तोड़ काम के लिए परियोजना प्रबंधकों, राजमार्ग इंजीनियरों, गुणवत्ता इंजीनियरों, सुरक्षा इंजीनियरों, सर्वेक्षकों, कई अन्य कर्मचारियों और विभिन्न संबद्ध कंपनियों के इंजीनियरों और श्रमिकों की एक विशेषज्ञ टीम को तैनात किया गया. अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए, 4 हॉट मिक्सप्लांट, 4 व्हील लोडर, 1 पेवर, 1 मोबाइल फीडर, 6 टैडेम रोलर, 1 पीटीआर मशीन, 106 हाईवे, 2 न्यूमेटिक टायर रोलर आदि उच्च लक्ष्यों से प्रेरित टीम ने मिलकर काम किया. जिसके चलते स्थानीय लोगों सहित भारत के सभी हिस्सों के लोगों का एक मिनी भारत बन गया. टाटा मोटर्स, रिट्जेन और अन्य कंपनियों के पांच इंजीनियर, तकनीशियन और अन्य अधिकारी काम के उपकरण को निर्दोष रखने के लिए लगातार निगरानी रके रहे. आवास, खानपान, वाहन रखरखाव मरम्मत कक्ष, पेट्रोल और डीजल पंप आदि. यहां काम करने के दौरान गर्मी की पृष्ठभूमि में वातानुकूलन की भी व्यवस्था की गई थी.
इस कार्य की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए और इसके परीक्षण के लिए, एक अच्छी तरह से सुसज्जित गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला, माना कैंप में स्थापित की गई. इस कार्य के लिए 34,000 मीट्रिक टन बिटुमिनस और अन्य सभी सामग्रियों का उपयोग किया गया. पिछले 6 महीने में चार परतों वाली सड़क को पक्का किया गया है, पांचवी को रिकॉर्ड के समय बिछाया गया. इन विशेषज्ञों में सर्वेयर, वकील, टाइम-कीपर, रोड इंजीनियरिंग विशेषज्ञ और प्रतिष्ठित कॉलेजों डीन शामिल थे. यह पूरा काम राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण के अभियंताओं की देखरेख में किया गया. अमरावती से अकोला राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 53 पर लोणी से मुर्तिजापुर तक पूरे पांच दिनों के लिए यातायात के सुचारू प्रवाह को सूचारू रखने के लिए पूरा ध्यान रखा गया. बहुत ही जरूरी होने पर ही यातायात रोका गया. जिसकी अवधि अत्यल्प थी. ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए राजपथ के 20 कर्मचारी चौबीसों घंटे काम कर रहे थे.

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