अमरावती

‘राजाभाऊ मोरे ने संपूर्ण जीवन नाट्य क्षेत्र को समर्पित किया’

भारत गणेशपुरे का कथन, बुधवारा में वरिष्ठ नाट्य कलाकार को श्रद्धांजलि अर्पित

अमरावती / दि.१९-आजाद हिंद मंडल के कार्याध्यक्ष एवं वरिष्ठ नाट्य कलाकार स्व.राजाभाऊ मोरे ने अपना संपूर्ण जीवन नाट्य क्षेत्र को समर्पित किया. जिसके कारण आज इस क्षेत्र में उनका नाम अमर हुआ है. हम उनके कारण ही इस क्षेत्र में कदम रख पाए, आशय का कथन मराठी फिल्म अभिनेता भारत गणेशपुरे ने किया. स्थानीय बुधवारा स्थित स्व.हरिभाऊ कलोती सभागृह में रविवार की शाम आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में वे बोल रहे थे.उन्होंने कहा कि, नाट्य क्षेत्र में व्यापक क्षेत्र है. इस क्षेत्र में अंबानगरी की सांस्कृतिक नगरी के रूप में पहचान है. अंबानगरी में राजाभाऊ मोरे जैसे नायक ने जन्म लेकर इस धरोहर को नया रूप दिया. उनके मार्गदर्शन में कई नाटक कलाकार रंगमंच को प्राप्त हुए. यही वजह है कि, राजाभाऊ मोरे नाट्य क्षेत्र के स्तंभ थे. श्रद्धांजलि कार्यक्रम में अध्यक्ष विलास इंगोले ने कहा कि, राजाभाऊ मोरे आज हमारे बीच नहीं है. लेकिन उनका नाम और काम अमर रहेगा. जिंदा कलाकृति निर्माण का कार्य करनेवाले राजाभाऊ मोरे ने हमेशा ही लोगों को प्रोत्साहित किया है. मैं एक खिलाडी हूं. लेकिन उनकी प्रेरणा से खिलाडी सांस्कृतिक क्षेत्र में कदम रख पाया है. संत के समान कार्य करनेवाले व्यक्ति राजाभाऊ मोरे थे. इसिलिए हर साल राजाभाऊ मोरे के नाम से नाट्य स्पर्धा का आयोजन किया जाएगा. जिसमें आजाद हिंद मंडल द्वारा विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे, यह घोषणा विलास इंगोले ने की. उन्होंने आगे कहा कि, राजनेता स्वार्थ से सेवा करता है, लेकिन राजाभाऊ मोरे ने निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा की. कार्यक्रम दौरान शिवराय कुलकर्णी ने अपने अनुभवों को व्यक्त करते हुए कहा कि, राजाभाऊ मोरे के कारण पाडवा पहाट, संस्कार भारती जैसे कार्यक्रम शहर में आयोजित करना संभव हुआ. रंगभूमि में प्राण त्यागने का सौभाग्य चंद लोगोें को प्राप्त होता है. कर्मभूमि पर उन्होंने अपने प्राण त्यागे है. आनेवाले समय में हमें उनकी विरासत का जतन कर आगे बढाने का आह्वान शिवराय कुलकर्णी ने किया. इस समय प्रा.दिनेश सूर्यवंशी ने भी अपने विचार व्यक्त किए. कार्यक्रम में एड.प्रशांत देशपांडे, वैश्य सोनार संघ के नाना उदापुरे, राष्ट्रीय अध्यक्ष दिलीप दाभाडे, मंगेश बक्शी, रजिया सुलताना, सुरेंद्र बुरंगे, शरद देवरणकर, डॉ.किशोर फुले, विजय बाजारे, अरविंद हंबर्डे, मिलींद कहाले, पुरूषोत्तम मुंधडा ने समयोचित विचार व्यक्त कर श्रद्धांजलि अर्पित की. संचालन एवं आभार प्रदर्शन एड.चंद्रशेखर डोरले ने किया. कार्यक्रम में मोरे परिवार के सदस्य भाई नाना मोरे, भतिजा आकाश मोरे, अमर मोरे, सागर मोरे, भतिजी वर्षा मोरे, भूषण पुसतकर सहित परिसर के नागरिक उपस्थित थे.

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