पांच वर्ष में साढे 14 करोड से बढा राजापेठ आरओबी का खर्च
ठेकेदार को वृध्दिंगत दर पर देना होगा शेष दोनों विंग का काम
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आरओबी पर अब तक खर्च हो चुके है 26 करोड
अमरावती/दि.25 – स्थानीय राजापेठ स्थित रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) का काम शहरवासियों के साथ-साथ खुद मनपा के लिए काफी बडा सिरदर्द साबित हो गया है. विगत पांच वर्ष से चल रहा इस पूल का काम अब भी पूर्ण नहीं हुआ है. इस आरओबी के लिए भूमि अधिग्रहण सहित कई तरह की तकनीकी दिक्कतें है, जिसकी वजह से अब इस आरओबी पर होनेवाले खर्च का लागतमूल्य बढ गया है तथा शंकर नगर व बेलपूरा की ओर जानेवाला विंग तैयार करने के लिए 14.50 करोड रूपयों का अतिरिक्त खर्च करना होगा. साथ ही अब 18 प्रतिशत जीएसटी भी लगेगी. ऐसे में अब आरओबी पर होनेवाला कुल खर्च 26 करोड रूपयें से बढकर 40.53 करोड रूपयों तक बढ गया है. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, मनपा की आर्थिक स्थिति पहले ही कमजोर है. इसमें इस अतिरिक्त खर्च का बोझ भी मनपा पर पडने जा रहा है. ऐसे में स्वाभाविक है कि, इसका असर शहर में चलनेवाले अन्य विकास कामों पर पडेगा.
बता दें कि, इस आरओबी में बडनेरा रोड सहित राजकमल व दस्तुरनगर की ओर उतरनेवाले विंग का काम पूर्ण हो चुका है. जिस पर अब तक 26 करोड रूपये खर्च हो चुके है. वहीं बेलपुरा व शंकरनगर की ओर उतरनेवाले विंग का काम भुमि अधिग्रहण नहीं हो पाने की वजह से अब तक अटका पडा है. कई नागरिकों द्वारा अदालत में जाने की वजह से आरओबी का काम पूर्ण होने में लगनेवाला समय बढ रहा है. साथ ही आरओबी पर होनेवाले खर्च की रकम भी बढती जा रही है.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, इस काम में काफी अधिक समय लगता देख आरओबी का निर्माण करनेवाली ठेकेदार कंपनी चाफेकर कन्स्ट्रक्शन ने अब इस काम से खुद को अलग कर लिया है और खुद को इस करार से अलग करने का निवेदनवाला पत्र भी मनपा प्रशासन को दिया है. ज्ञात रहें कि, इस समय आरओबी के नीचे बनाये जानेवाले भुमिगत मार्ग को पूरा करने पर जोर दिया जा रहा है, क्योंकि अब भी राजापेठ परिसर के नागरिकोें हेतु पहले की तरह रेलवे पटरी को पार करना संभव नहीं हो पाया है और उन्हें विगत पांच वर्षों से काफी लंबा फेरा लगाते हुए बडनेरा रोड या राजकमल चौक की ओर जाना पडता है. हकीकत में इस पूल का निर्माण डेढ वर्ष में ही होना आवश्यक था, किंतु राजनीतिक हस्तक्षेप, श्रेय लूटने के प्रयास, अदालती मामले तथा जमीन अधिग्रहण में आनेवाली दिक्कतों की वजह से पांच वर्ष बीत जाने के बावजूद भी इस पूल का काम पूरा नहीं हो पाया है. जिस समय इस पूल का काम शुरू हुआ था, तब जीएसटी लागू नहीं थी. किंतु अब 18 फीसदी जीएसटी भी लागू हो गयी है. जिसकी वजह से इस आरओबी की लागत बढ गयी है और ऐसी तमाम तकनीकी दिक्कतों की वजह से आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड रहा है.
चाफेकर कंपनी ने छोडा आरओबी का काम
आरओबी का काम करने के संदर्भ में मनपा के पास कोई नियोजन नहीं है. इस काम में बार-बार व्यवधान आने की वजह से काम पूरा होने में काफी विलंब हुआ. जिसके लिए राजनीतिक हस्तक्षेप भी एक मुख्य वजह रही. हमने हमारी जवाबदारी को पूर्ण किया है और अब हमारी इस प्रोजेक्ट पर आगे काम करने की इच्छा नहीं है. ऐसी जानकारी आरओबी का ठेका रहनेवाली चाफेकर कंपनी के संचालक प्रेम चाफेकर द्वारा दी गई है.
ठेकेदार को देना होगा वृध्दिंगत दर
जिस समय आरओबी के शंकरनगर व बेलपुरा विंग का काम शुरू होगा, तब ठेकेदार को वृध्दिंगत दर पर काम देना पडेगा, क्योंकि पहले की तुलना में अब निर्माण साहित्य सहित मनुष्यबल पर होनेवाले खर्च की राशि में काफी इजाफा हो चुका है. जिससे अब प्रोजेक्ट की लागत बढ गयी है.
– मंगेश कडू
आरओबी अभियंता, मनपा अमरावती
भूमि अधिग्रहण के अभाव में लटका काम
शहर के राजापेठ उडानपूल के शेष दोनों विंग का काम शुरू करने से पहले भूमि अधिग्रहण करना आवश्यक है. जिसके लिए प्रयास जारी है. भूमि अधिग्रहण नहीं हो पाने की वजह से अब तक आरओबी के इन दोनोें विंग का काम अटका पडा है.
– रविंद्र पवार
शहर अभियंता, अमरावती मनपा
भूमि अधिग्रहण के लिए 6 व नई निविदा के लिए 8 करोड
आरओबी के बाकी बचे दोनों विंग को तैयार करने हेतु 8 करोड रूपयों की निविदा निकाली जायेगी. साथ ही भूमि अधिग्रहण पर 6 करोड रूपये का खर्च होना अपेक्षित है. ठेकेदार के मुताबिक मनपा द्वारा अपनी जिम्मेदारियों को पूर्ण नहीं किया जा रहा है. जिसकी वजह से काम पूरा होने में काफी विलंब हो रहा है और इससे प्रोजेक्ट की लागत भी बढ रही है.