अमरावती

राजेंद्र लॉज हादसे की 3 मई को हाईकोर्ट में सुनवाई

हाईकोर्ट सुनाएगा मृतक रविंद्र परमार की पत्नी का पक्ष

शिल्पी परमार ने कार्रवाई में ढिलाई का लगाया है आरोप
मनपा के दोनों अभियंता की याचिका पर उठाई है आपत्ति
दोनों अभियंताओं ने एफआईआर रद्द करने दायर की है याचिका
अमरावती/दि.12 – विगत वर्ष 30 अक्तूबर 2022 को प्रभात चौक स्थित राजेंद्र लॉज की 3 मंजिला इमारत ढह गई थी और निचली मंजिल पर स्थित राजदीप एम्प्रोरियम में काम कर रहे 5 लोगों की मलबे के नीचे दबकर दर्दनाक मौत हो गई थी. इस मामले में नामजद किए गए मनपा के उपअभियंता सुहास चव्हाण व शाखा अभियंता अजय विंचुरकर ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. जिस पर कल मंगलवार 11 अप्रैल को सुनवाई होनी थी. परंतु इससे पहले उस हादसे में मृत हुए रवींद्र परमार की पत्नी शिल्पी परमार ने हाईकोर्ट में खुद पेश होकर अपना पक्ष रखने की अनुमति मांगी और दोनों अभियंताओं की याचिका पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई. ऐसे में हाईकोर्ट ने शिल्पी परमार का मौखिक पक्ष सुनने के बाद उन्हें इस मामले में आगामी 3 मई को लिखित तौर पर अपना पक्ष रखने हेतु कहा है. जिसके चलते अब इस मामले में अगली सुनवाई 3 मई को होगी और उस समय मृतक रवींद्र परमार की पत्नी शिल्पी परमार भी एक पक्ष के तौर पर अपनी भूमिका रखेंगी.
बता दें कि, 30 अक्तूबर 2022 को राजेंद्र लॉज हादसे में 5 लोगों की मलबे में जिंदा दबकर मौत होने के मामले में कोतवाली पुलिस ने जांच करते हुए मनपा के राजापेठ झोन के सहायक आयुक्त व उपअभियंता सुहास चव्हाण व शाखा अभियंता अजय विंचुरकर के खिलाफ भादवि की धारा 304 के तहत मामला दर्ज किया था. किंतु अपने खिलाफ मामला दर्ज होते हुए दोनों अधिकारी फरार हो गए और करीब 2 माह तक फरार रहने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट से जमानत हासिल करते हुए एक बार फिर मनपा कार्यालय पहुंचकर अपना पदभार संभाला. जिसके पश्चात विगत माह इन दोनों मनपा अधिकारियों ने न्या. विनय जोशी व न्या. वाल्मिकी एस. ए. मिनेजेस की खंडपीठ में अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने संबंधित याचिका दायर की. इस बात का पता चलते ही राजेंद्र लॉज हादसे में मृत होने वाले रवींद्र परमार की पत्नी शिल्पी परमार गत रोज सुनवाई के समय खुद हाईकोर्ट पहुंची और जजों के सामने पेश होकर राजेंद्र लॉज हादसे के एक मृतक की पत्नी होने के नाते अपना पक्ष रखने की अनुमति अदालत से मांगी. उनके निवेदन को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने उन्हें 3 मई को अपना पक्ष अदालत के सामने रखने की अनुमति प्रदान की. साथ ही यह भी जानना चाहा कि, क्या वे अपना पक्ष खुद रखेंगी या वकील के जरिए अपना पक्ष रखेंगी. तब शिल्पी परमार ने वकील के जरिए अपना पक्ष रखने की बात अदालत से कही. इसके लिए भी अदालत द्बारा अनुमति प्रदान की गई. ऐसे में अब यह तय है कि, राजेंद्र लॉज हादसे के मामले की सुनवाई में आगामी 3 मई को एक नया मोड आ सकता है. क्योंकि तब शिल्पी परमार द्बारा इस मामले की जांच में पुलिस एवं स्थानीय प्रशासन की ओर से बरती गई लापरवाहीयों और की गई ढिलाईयों को सिलसिलेवार उजागर किया जाएगा.
* आयुक्त आष्टीकर की भूमिका पर भी सवालिया निशान
उल्लेखनीय है कि, यदि किसी मामले में आरोपित रहने अथवा नामजद होने के चलते मनपा का कोई भी अधिकारी या कर्मचारी केवल सामान्य अवकाश की अर्जी देकर गैरहाजिर रहता है, तो ऐसी स्थिति में उस अधिकारी या कर्मचारी का मुख्यालय वाले शहर में रहना जरुरी होता है, लेकिन मनपा के उपअभियंता सुहास चव्हाण व शाखा अभियंता अजय विंचुरकर सामान्य अर्जी देने के बाद अमरावती शहर से करीब 2 माह तक गायब थे और उनके बारे में मनपा प्रशासन के पास कोई जानकारी नहीं थी. ऐसे मेें जब वे हाईकोर्ट से जमानत लेने के बाद दुबारा ड्यूटी ज्वॉईंट करने पहुचे, तो मनपा प्रशासन द्बारा उन दोनों पर कार्रवाई करना अपेक्षित था. परंतु ऐसी कोई भी कार्रवाई न करते हुए मनपा आयुक्त प्रवीण आष्टीकर ने इन दोनों अधिकारियों को ड्यूटी पर ज्वॉईन कर लिया. इस बात को लेकर भी शिल्पी परमार द्बारा हाईकोर्ट में अपनी आपत्ति उठाई जा सकती है. जिसके तहत आयुक्त आष्टीकर की भूमिका पर भी सवालियां निशान लग सकते है.
* पुलिस जांच पर भी ढिलाई का आरोप
ज्ञात रहे कि, यह हादसा सिटी कोतवाली पुलिस थाना क्षेत्र अंतर्गत हुआ था और मामले की शुरुआती जांच भी कोतवाली पुलिस ने ही की थी. कोतवाली पुलिस ने भी जांच के दौरान मनपा के उपअभियंता सुहास चव्हाण व शाखा अभियंता अजय विंचुरकर के खिलाफ भादवि की धारा 304 के तहत मामला दर्ज करते हुए उन्हें आरोपी बनाया था. लेकिन इन दोनों आरोपियों के 2 माह तक फरार रहने के दौरान पुलिस की ओर से उन दोनों को खोज निकालने व गिरफ्तार करने की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गई. जिसके चलते कोतवाली पुलिस के काम को संदिग्ध नजरों से देखा जाने लगा. ऐसे मेें तत्कालीन पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह ने कोतवाली पुलिस से मामले की जांच को निकालकर इसका जिम्मा खोलापुरी गेट के थानेदार गजानन तामडे को सौंपा. लेकिन थानेदार तामडे भी इस मामले की जांच में कोई खास काम नहीं कर पाए. ऐसे में जाहीर है कि, राजेंद्र लॉज हादसे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई में पुलिस की ढिलाई पर भी कई सवाल उठाए जा सकते है.

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