शहर में अब भी राजेंद्र लॉज हादसे की पुनरावृत्ति का खतरा
हीरा, आशा व सेंट्रल लॉज भी ढहने की कगार पर

चित्रा, प्रभात व बापट चौक पर कभी भी हादसे की संभावना
अमरावती दि.1- दो दिन पहले ही अमरावती शहर के मध्यस्थल में प्रभात चौक पर स्थित राजेंद्र लॉज की बेहद पुरानी व जर्जर हो चुकी इमारत का एक हिस्सा ढह जाने की वजह से पांच लोगों की भारी-भरकम मलबे के नीचे दबकर मौत हो गई. इस घटना के बाद शहर में रहनेवाली पुरानी व जर्जर इमारतों तथा इन इमारतों में रहनेवाले लोगों की सुरक्षा का मुद्दा जमकर गरमाया हुआ है और प्रशासन द्वारा शहर में स्थित 32 ऐसी इमारतों की सूची जारी की गई है, जो बुरी तरह से जर्जर व खस्ताहाल हो चुकी है. प्रशासन द्वारा इन इमारतों को जल्द गिराये जाने के संदर्भ में नोटीस भी जारी की जा चुकी है, ताकि भविष्य में दुबारा कभी राजेंद्र लॉजवाली इमारत जैसा हादसा घटित न हो. लेकिन प्रशासनिक कामकाज किस रफ्तार से होता है, यह सभी को पता है. ऐसे में शहर में मौजूद जर्जर इमारतों को देखते हुए इस संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता कि, शहर में बहुत जल्द दुबारा इस तरह के हादसे घटित हो सकते है.
बता दें कि, जिस तरह से प्रभात चौक स्थित राजेंद्र लॉज का अधिकांश हिस्सा जर्जर व खस्ताहाल हो गया था, उसी तरह इसी परिसर के आसपास चित्रा चौक स्थित सेंट्रल लॉज, सरोज टॉकीज परिसर स्थित हीरा लॉज व बापट चौक परिसर स्थित आशा लॉज की दो-दो मंजिला इमारतें भी अब बेहद पुरानी व जर्जर हो चुकी है. इन लॉज की इमारतों का निर्माण काफी अरसा पहले किया गया था और यहां पर बाहरगांव से आनेवाले लोगबाग रात्री विश्राम हेतु किराये पर कमरा लेकर रूका करते थे. लेकिन समय बीतने के साथ-साथ शहर में नये-नये होटल खुलने शुरू हुए. जहां पर लॉजींग की बेहतरीन व्यवस्थाएं उपलब्ध होने लगी. ऐसे में इन पुराने लॉज का उपयोग एक तरह से बंद व खत्म हो गया और देखभाल व दुरूस्ती के अभाव में ये सभी इमारतें जर्जर व खस्ताहाल स्थिति में पहुंच गई है. जिसके चलते आये दिन इन इमारतों का कोई न कोई हिस्सा ढहने की खबर सामने आती है.
बता दें कि, शहर के मुख्य व्यापारिक क्षेत्र इतवारा बाजार परिसर के पास चित्रा चौक स्थित सेंट्रल लॉज के सामने का जर्जर हिस्सा पांच वर्ष पहले अचानक ही ढह गया था और इस लॉज के छज्जे का मलबा सिर पर गिर जाने की वजह से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. इसके अलावा कोविड संक्रमण व लॉकडाउन काल के दौरान हीरा लॉज का भी एक हिस्सा ढह गया था. हालांकि उस समय यहां पर कोई भीडभाड नहीं थी. जिसके चलते कोई जनहानि नहीं हुई थी. वहीं बापट चौक स्थित आशा लॉज की इमारत भी काफी पुरानी और जर्जर हो चुकी है. इस इमारत की निचली मंजील पर कई दुकाने है और उपरी मंजील पर कुछ कार्यालय है. जहां पर पूरा दिन लोगों की अच्छी-खासी आवाजाही चलती रहती है. इसके अलावा सेंट्रल लॉज व हीरा लॉज के आसपास ही पूरा दिन लोगों की अच्छी-खासी आवाजाही व मौजूदगी रहती है, क्योंकि ये सभी इलाके शहर के प्रमुख व्यापारिक क्षेत्र है. ऐसे में यदि इन तीनों स्थानों पर राजेंद्र लॉज वाले हादसे की तरह कोई घटना घटित होती है, तो इससे होनेवाले जानो-माल के नुकसान की केवल कल्पना ही की जा सकती है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि, मनपा प्रशासन द्वारा केवल नोटीस जारी करते हुए अपने कर्तव्यों की इतिश्री करने की बजाय हकीकत में कोई ठोस कदम उठाये जाये, ताकि भविष्य में वाकई राजेंद्र लॉज जैसे हादसे की पुनरावृत्ति को रोका जा सके.