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कडे संघर्ष और लगन से बिजली कंपनी में इंजीनियर बने थे राजेश

निंभोरा बोडखा के मूल निवासी हैं दाभाडे

* पिता और बडा भाई आज भी करते खेतीबाडी
* परिवार संग दिवाली मनाने की परंपरा रही
धामणगांव रेलवे/दि. 31 – विदर्भ के युवाओं को ढंग के जॉब और काम के लिए पुणे-मुंबई की राह लेनी पडती है. वे अपनी जडों से जुडे रहने का प्रयत्न करते हैं. विशेष कर प्रकाशपर्व जैसा त्यौहार परिवार संग मनाने की परंपरा का निर्वाह का भी प्रयत्न होता रहा है. इसी परंपरा के तहत राजेश दाभाडे पुणे के जुन्नर से अपने पैतृक गांव निंभोरा बोडखा लौट रहे थे. तब परिवार सहित भीषण सडक दुर्घटना का शिकार हो गए. ग्रामीणों ने अमरावती मंडल को बताया कि, राजेश ने बडे संघर्षमय दिनों में परिश्रम व लगन के बलबूते सरकारी बिजली कंपनी महावितरण में इंजीनियर पद तक पहुंचे थे. समूचे गांव में आज पूर्वान्ह राजेश दाभाडे के पत्नी व पुत्र सहित करुण अंत के समाचार ने लोगों को स्तब्ध कर दिया. उसी प्रकार रिश्तेदार मिले उस वाहन से सिंदखेड राजा के लिए दौड पडे.
* पिता और बडे भाई करते खेती
जानकारी के अनुसार राजेश दाभाडे मूल रुप से इस तहसील निंभोरा बोडखा ग्राम के निवासी हैं. उनके पिता भीमराव और बडे भाई गजानन किसान हैं. दाभाडे का यहां बडा परिवार है. जो प्रति वर्ष दिवाली साथ में मनाते आया है. दिवाली मनाने के लिए ही फिलहाल पुणे के जुन्नर में पदस्थ एमएसईबी इंजीनियर राजेश दाभाडे परिवार के संग अर्थात पत्नी, पुत्र और पुत्री को लेकर कार से गांव आ रहे थे. तब उनका परिवार दुर्भाग्यपूर्ण एवं भीषण दुर्घटना का शिकार हुआ. जिससे संपूर्ण निंभोरा बोडखा में शोक व्याप्त हो गया है. पूर्वान्ह जैसे ही समाचार मिला दाभाडे परिवार के रिश्तेदार सिंदखेड राजा के लिए रवाना होने की जानकारी मिल रही थी. सूत्रों ने बताया कि, तीनों मृतकों का अंतिम संस्कार पैतृक गांव में करने की तैयारी हो रही थी.
* कृषक विद्यालय में पढाई
राजेश दाभाडे ने शालेय शिक्षा कृषक विद्यालय से पूर्ण की थी. उपरांत वे धामणगांव आईटीआई में इलेक्ट्रीशियन का कोर्स करने रोज 14 किमी अपने गांव से अप-डाऊन करते. उन्होंने संघर्षपूर्ण स्थितियों में लगन से पुणे जाकर बिजली वितरण कंपनी की परीक्षाएं दी. जिसमें उत्तीर्ण होने के पश्चात उन्हें सरकारी कंपनी में नौकरी मिली. फिर वे इंजीनियर की पोस्ट तक पहुंचे. राजेश दाभाडे कुछ समय तक वरुड में भी कार्यरत रहे. हाल-फिलहाल जुन्नर में रहते हुए अपना दायित्व कर रहे थे. दिवाली पर घर आने के बारे में उन्होंने बुधवार को ही पिता भीमराव को फोन से बात कर सूचना दी थी. जिससे माता-पिता बडे प्रसन्न थे. प्रकाशपर्व साथ मनाने की दाभाडे परिवार की परंपरा रही.
निंभोरा बोडखा के मूल निवासी हैं दाभाडे
हमारे धामणगांव संवाददाता पवन शर्मा द्वारा दी गई जानकारी के उनसार राजेश दाभाडे मूल रुप से इस तहसील निंभोरा बोडखा ग्राम के निवासी हैं. उनके पिता किसान है. दाभाडे का यहां बडा परिवार है. जो प्रति वर्ष दिवाली साथ में मनाते आए हैं. दिवाली मनाने के लिए ही फिलहाल पुणे के जुन्नर में पदस्थ एमएसईबी इंजीनियर राजेश दाभाडे परिवार के संग अर्थात पत्नी, पुत्र और पुत्री को लेकर कार से गांव आ रहे थे. तब उनका परिवार दुर्भाग्यपूर्ण एवं भीषण दुर्घटना का शिकार हुआ. जिससे संपूर्ण निंभोरा बोडखा में शोक व्याप्त हो गया है. पूर्वान्ह जैसे ही समाचार मिला दाभाडे परिवार के रिश्तेदार सिंदखेड राजा के लिए रवाना होने की जानकारी मिल रही थी. सूत्रों ने बताया कि, तीनों मृतकों का अंतिम संस्कार पैतृक गांव में करने की तैयारी हो रही थी.

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