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राज्यसभा का चुनाव 10 जून को

सबकी निगाहें अमरावती की तरफ

* अमरावती से हैं चार निर्दलीय विधायक
* तीन विधायक आघाडी के पक्ष में, एक विधायक भाजपा की ओर
अमरावती/दि.6– आगामी 10 जून को महाराष्ट्र के कोटे में रहनेवाली राज्यसभा की 6 सीटों के लिए चुनाव होने जा रहा है. पक्षीय बलाबल की स्थिति को देखते हुए इस चुनाव में भाजपा के 2 तथा शिवसेना, कांग्रेस व राकांपा के 1-1 सदस्य का चुना जाना बडी आसानी के साथ संभव है. किंतु मामला छठवीं सीट को लेकर अटका हुआ है. जिसके लिए आवश्यक रहनेवाले 42 वोटों की संख्या किसी भी दल के पास नहीं है और इस सीट पर शिवसेना व भाजपा द्वारा दावा करते हुए अपने प्रत्याशी खडे किये गये है. ऐसे में इस छठवीं सीट पर किसे हार या जीत मिलेगी, इसका पूरा दारोमदार अब निर्दलीय विधायकों पर आकर टिक गया है. चूंकि अमरावती जिले से ही चार निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए है. ऐसे में इस समय सभी की निगाहें जिले के इन चारों निर्दलीय विधायकों की ओर टिकी हुई है.
बता दें कि, विगत विधानसभा चुनाव में अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र से बच्चु कडू, मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र से राजकुमार पटेल, मोर्शी-वरूड निर्वाचन क्षेत्र से देवेंद्र भूयार तथा बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से रवि राणा निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीते थे. चुनाव पश्चात जब राज्य में सत्ता स्थापित करने को लेकर राजनीतिक गतिरोध चल रहा था और भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए महाविकास आघाडी का गठन हुआ, तब विधायक बच्चु कडू ने अपनी प्रहार जनशक्ति पार्टी का समर्थन इस आघाडी को दिया और वे अपनी ही पार्टी के जरिये निर्वाचित विधायक राजकुमार पटेल सहित आघाडी में शामिल हुए. जिसके बाद विधायक बच्चु कडू को शिवसेना के कोटे से राज्यमंत्री का पद दिया गया. वहीं दूसरी ओर मोर्शी-वरूड निर्वाचन क्षेत्र से स्वाभिमानी शेतकरी संगठन ने देवेंद्र भूयार को अपना प्रत्याशी बनाया था. जिनकी दावेदारी को कांग्रेस व राकांपा द्वारा समर्थन दिया गया था और देवेंद्र भूयार चुनाव जीते थे, लेकिन बाद में देवेेंद्र भूयार की अपनी ही पार्टी से अनबन हो गई और स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के अध्यक्ष राजू शेट्टी ने विधायक देवेंद्र भूयार को पार्टी से निकाल दिया, लेकिन चूंकि देवेंद्र भूयार निर्दलीय विधायक है, अत: उनकी सदस्यता पर कोई असर नहीं पडा, बल्कि उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस से नजदिकी साधना जारी रखा. साथ ही उन्हें क्षेत्र के राकांपा नेता, पूर्व मंत्री और श्री शिवाजी शिक्षा संस्था के अध्यक्ष हर्षवर्धन देशमुख का वरदहस्त प्राप्त रहा. ऐसे में वे लगातार महाविकास आघाडी के साथ बने हुए है.
उधर दूसरी ओर बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीतनेवाले विधायक रवि राणा इन दिनों केंद्रीय एवं राज्यस्तर पर भाजपा नेताओं के बेहद करीबी बने हुए है और उन्होंने वर्ष 2019 का विधानसभा चुनाव जीतते ही भाजपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का समर्थन करना शुरू कर दिया था. साथ ही विगत दिनों शिवसेना के खिलाफ अपनायी गई आक्रामक भूमिका और हनुमान चालीसा पढने की जिद के चलते अब विधायक रवि राणा को हिंदुत्व का नया चेहरा माना जा रहा है. साथ ही विधायक रवि राणा भी कहीं पर भी भाषण या बयान देते समय प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह तथा पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की जमकर तारीफ करते है और फडणवीस को तो अब महाराष्ट्र में विधायक रवि राणा का गॉडफादर तक कहा जाने लगा है.
कुल मिलाकर स्थिति यह है कि, अमरावती जिले से निर्वाचित चार निर्दलीय विधायकों में से तीन निर्दलीय विधायक इस समय महाविकास आघाडी के साथ खडे दिखाई दे रहे है, जो राज्यसभा की छठवीं सीट के लिए शिवसेना द्वारा खडे किये गये दूसरे प्रत्याशी संजय पवार के पक्ष में मतदान करेंगे. वहीं विधायक रवि राणा द्वारा राज्यसभा की छठवीं सीट के लिए खडे किये गये भाजपा के तीसरे प्रत्याशी धनंजय महाडीक के पक्ष में मतदान किया जा सकता है.

* आशाओं व अपेक्षाओं का दौर हुआ तेज
उल्लेखनीय है कि, अमूमन राज्यसभा के लिए सदस्यों का निर्वाचन पक्षीय बलाबल के चलते आपसी सहमति के आधार पर यानी निर्विरोध तरीके से ही हो जाता है. परंतू करीब 21 वर्ष के अंतराल पश्चात राज्य में राज्यसभी की सीटों के लिए चुनाव करवाये जाने की नौबत बनी है और भाजपा व शिवसेना के लिए प्रतिष्ठापूर्ण बनी छठवीं सीट पर हार और जीत का दारोमदार पूरी तरह से छोटे दलों के विधायकों सहित निर्दलीय विधायकों पर जाकर टिक गयाा है. ऐसे में अब इन विधायकों और उनके दलों की सरकार से अपेक्षाएं बढ गई है और वे विकास निधी को लेकर सरकार के सामने अपनी मांगे पूरी ताकत के साथ रख रहे है. इसी की तहत बहुजन विकास मोर्चा के विधायक हितेंद्र ठाकुर तथा समाजवादी पार्टी के विधायक अबु आझमी ने महाविकास आघाडी के नेताओं और मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे से मुलाकात करते हुए उनके सामने समर्थन की ऐवज में अपनी शर्ते रखी है. वहीं निर्दलीय विधायकों द्वारा भी सरकार और महाविकास आघाडी के सामने अपनी मांगे रखी जा रही है. उल्लेखनीय है कि, किसी भी राजनीतिक दल के विधायकों की अपनी पार्टी के व्हिप का पालन करते हुए अपना वोट मतपेटी में डालने से पहले पार्टी प्रतिनिधि को दिखाना होता है. लेकिन यह शर्त निर्दलीय विधायकों के साथ नहीं होती. ऐसे में निर्दलीय विधायकों सहित छोटे दलों से वास्ता रखनेवाले विधायकों को अपने पाले में बनाये रखना सबसे बडी मुश्किलवाला काम होता है. क्योंकि यदि उनकी आशाएं व आकांक्षाएं पूरी नहीं होती, तो वे ऐन समय पर पाला भी बदल सकती है.
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* अन्यथा अंतिम पांच मिनट में हम अपना निर्णय लेंगे
– राज्यमंत्री बच्चु कडू ने अपनी ही सरकार को घेरा
उधर दूसरी ओर राज्यमंत्री बच्चु कडू अब किसानों को धान व चने हेतु दिये जानेवाले अनुदान के मुद्दे को लेकर आक्रामक हो गये है और उन्होंने कहा है कि, इस विषय को लेकर मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे ने तुरंत ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करते हुए धान की खरीदी शुरू करनी चाहिए, अन्यथा हम राज्यसभा के चुनाव में मतदान को लेकर आखरी पांच मिनट में अपना फैसला लेंगे. ऐसे में अब राज्य सरकार और महाविकास आघाडी द्वारा क्या कदम उठाया जाता है, इस ओर सभी की निगाहें लगी हुई है.
राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक महाविकास आघाडी को समर्थन देनेवाले छोटे दलों के विधायकों सहित निर्दलीय विधायकों की ओर विगत ढाई वर्षों के दौरान अच्छी-खासी अनदेखी की गई और समर्थक विधायकों को निर्णय प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया. इस बात का शिकार राज्यमंत्री रहनेवाले बच्चु कडू भी हुए है. जिनके पास कुल दो वोट है. उधर राकांपा के दो विधायक नवाब मलिक व अनिल देशमुख इस समय जेल में है, जो इस चुनाव में मतदान कर पायेंगे अथवा नहीं, इसे लेकर संभ्रम है.
उधर एमआईएम ने भी अब तक अपनी भूमिका स्पष्ट नहीं की है. ज्ञात रहें कि, विधानसभा में कुछ छोटे दलों से मिलाकर कुल 16 विधायक है. वहीं 13 निर्दलीय विधायक भी है. इन्हीं 29 विधायकों द्वारा राज्यसभा की छठवीं सीट पर हार-जीत का फैसला तय किया जायेगा. जिन्हें अपने पाले में करने का प्रयास सत्ता पक्ष व विपक्ष द्वारा जमकर किया जा रहा है.

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