अंबापेठ जैन उपाश्रय में आध्यात्मिक रूप से मनाया गया रक्षाबंधन पर्व
अमरावती- /दि.13 स्थानीय अंबापेठ स्थित जैन उपाश्रय में श्रमण संघीय 1008 परम पूज्य श्री आचार्य सम्राट श्री आनंदऋषिजी म.सा. की शिष्या तत्वचिंतिका गुरूमैया महासाध्वी पूज्य श्री अमितज्योतिजी महासतीजी एवं संगीत साधिका साध्वी पूज्य श्री अनंतज्योतिजी महासतीजी के पावन सानिध्य में अनेक भाई बहनों के साथ सैकड़ों भाविकों की उपस्थिति में आध्यात्मिक रूप से रक्षाबंधन पर्व मनाया गया। सभी भाई बहनों को आमने सामने पारंपरिक आर्य संस्कृति नुसार भारतीय बैठक व्यवस्था में बिठाकर, केसर कुमकुम के साथ राखियों से सजी थालियों को पाट के मध्यस्थ रखवाकर पूज्य महासतीजी ने मंगलाचरण से रक्षा सूत्र विधि की शुरुआत की.
इस समय गुरू मां पूज्य श्री अमितज्योतिजी महासतीजी ने आध्यात्मिक रूप से रक्षाबंधन के प्रत्येक शब्द का महत्व बताते हुए फ़रमाया कि, रक्षा शब्द का प्रथम अक्षर ‘र’ का मतलब है, रमणता, हे चेतन! तू आत्म भाव में रमण कर। आत्म भाव में रमणता करने से जीव रत्नत्रय प्राप्ति कर सकता हैं। ‘क्षा’ का अर्थ है क्षायिक, हे आत्मन! तु क्षायिक सम्यकत्व प्राप्त कर सकता है, धर्म आराधना से जीव सिद्ध गति को प्राप्त कर सकता है. बंधन शब्द का प्रथम अक्षर ‘बं’ का अर्थ है बंगला. आप जिसमें निवास करते हैं वह बंगला हमे मोटिवेट करता है. बंगला. जो बाहर की वर्षा, तूफान, सर्दी, गरमी में हमारी रक्षा करता है. वैसे ही हम अपने शाश्वत घर में निवास करें, तो अपनी आत्मा की सुरक्षा कर पाएंगे. ‘ध’ का अर्थ है धर्म में तत्परता. हमारी धर्म पर दृढ़ श्रद्धा व भक्ति हों और आत्मजागृति के साथ हम धर्म का पालन करें. तीर्थंकरों के उपदेश को आचरण में लाएं. ‘न’ का अर्थ है नम्रता. जीवन में नम्रता अपनाओ. जैसे सिग्नल चालू हो, तो ही गाडी स्टेशन में प्रवेश कर सकती है. वैसे ही जीवन में नम्रता होगी. तो हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है.
पूज्य गुरूमैया ने भाई-बहनों का रक्षाबंधन कार्यक्रम विधिपूर्वक जैन उच्चारण के साथ सुसंपन्न करवाया. जिसमें बहनों द्वारा भाई के भाल पर केशर कुमकुम का तिलक करते हुए राखी बांधते हुए पूज्य महासतीजी ने सिद्धा ‘सिद्धिं मम दिसंतु’ जैसे अलग अलग मंत्रों उच्चारण करवाया. इस अवसर पर बच्चों द्वारा सुंदर रक्षाबंधन नाटिका प्रस्तुत की गई. रक्षाबंधन के पावन पर्व पर 11 लक्की ड्रा का लाभ प्रफुल्ल, अजय व इंदरचंद बोकाडिया परिवार ने लिया. प्रभावना का लाभ श्रीमती शांतिदेवी सुगनचंदजी चोपडा परिवार ने लिया. अंबापेठ उपाश्रय में ज्ञान आराधना के साथ साथ तप की आराधना भी अनेक भाविक लाभ लेकर अपने आत्म वैभव को खिला रहे हैं. करीब 30 बहनों की एकासना से सिद्धितप की आराधना चल रही हैं. आगामी 21 अगस्त को आगम पूर्णाहूति समारोह का बड़े ही उत्साह के साथ आयोजन किया जाएगा. पूज्य महासतीजी के मंगलमय सानिध्य में चातुर्मास के नित्य प्रवचन एवं आत्मलक्षी नये नये विविध कार्यक्रमों का लाभ सभी धर्म प्रेमी श्रावक-श्राविकाएं बढ़ चढ़कर लें, ऐसी विनंती श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ बडनेरा रोड एवं श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ अंबापेठ अमरावती के अध्यक्ष जयंतभाई कामदार व अमृत मुथा, सचिव अनिल चितलिया व धर्मेन्द्र मुणोत सहित समस्त पदाधिकारियों एवं कार्यकारिणी सदस्यों द्वारा की गई हैं.