अमरावती

वाघोली के रामकृष्ण खंडागले ने भोगा था एक माह का कारावास

* पुर्तगाली सैनिकों ने बेहोश होने तक की थी पिटाई

नांदगांव खंडेश्वर-/दि.19 गोवा मुक्ति संग्राम के तहत संघर्ष कर रहे देशभक्त स्वाधीनता संग्राम सेनानियों को पुर्तगाली सैनिकों ने एक छोटी सी कोठरी में ठूंस-ठूंसकर भरा. जिनमें करीब 400 सेनानियों का समावेश था. इसमें से कई लोगों के साथ बेहोश होने तक मारपीट की गई. लेकिन मरण यातनाओं को झेलने के बावजूद इन देशभक्तों की हिम्मत में कोई कमी नहीं आयी. इन्हीं देशभक्तों में से एक थे नांदगांव खंडेश्वर तहसील अंतर्गत वाघोली गांव निवासी रामकृष्ण खंडागले, जिन्होंने गोवा मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने के चलते एक माह का कारावास भी भुगता था.
भारतीय स्वाधीनता संग्राम के ज्वाजल्य इतिहास और संघर्ष में नांदगांव खंडेश्वर तहसील भी पीछे नहीं थी. देशभक्तों द्वारा लंबे समय तक किये गये संघर्ष के चलते देश तो 15 अगस्त 1947 को ब्रिटीश दास्ता से आजाद हो गया था, लेकिन उस समय गोवा पर पुर्तगाली शासन था. ऐसे में गोवा का आजाद होना बाकी था. जिसके चलते गोवा को आजाद कराने के लिए गोवा मुक्ति संग्राम शुरू किया गया. उस समय अमरावती के घंटाघर चौक में अब्दुल रहमान फारूके की आमसभा हुई थी. जिससे प्रेरित होकर वाघोली निवासी स्वाधीनता संग्राम सेनानी रामकृष्ण खंडागले भी गोवा मुक्ति संग्राम में शामिल हुए और अब्दुल रहमान फारूके के नेतृत्व में अमरावती जिले से 6 लोगों का पथक गोवा के लिए रवाना हुआ. जहां पर पुर्तगाली सैनिकों के अत्याचारों का सामना करने के बाद कई लोग स्थायी तौर पर अपंग भी हो गये.
15 अगस्त 1955 को रामकृष्ण आण्याजी खंडागले का सहभाग रहनेवाले देशभक्तों के दल ने बेलगांव, जांबोटी व कणकुंभी के रास्ते होते हुए गोवा में प्रवेश किया और सुरला गांव को अपने कब्जे में ले लिया. उस समय पुर्तगाल के क्रूर व अत्याचारी तानाशाह सालाजार के निर्दयी व उन्मत सैनिकों ने इन नि:शस्त्र शांति सैनिकों व गांधीवादी सत्याग्रहियों को गिरफ्तार कर उन्हें छोटे से कमरे में ले जाकर ठूंस दिया. जहां उन पर कई अत्याचार किये गये. इस कमरे में जगह कम रहने के चलते कुछ लोग छत पर लकडी के आडे खंभे पर चढ गये, किंतु उनके वजन से खंभा टूट गया और इसमें कई लोग घायल हुए. पश्चात उन्हें गोवा के कारागार में ले जाकर एक माह तक रखा गया और वे दोबारा गोवा मुक्ति संग्राम में शामिल न हो, इसके लिए उनकी लाठी व डंडों से बेदम पिटाई की गई.
शरीर पर रोंगटे खडे करनेवाला था वह दिन
गोवा मुक्ति संग्राम में 15 अगस्त 1955 का दिन बेहद महत्वपूर्ण है. इस दिन शारीरिक तौर पर थके हुए सत्याग्रही अपने दिलों में गोवा की आजादी की जिद लेकर आगे बढ रहे थे और जैसे ही वे नदी पार कर दूसरी ओर पहुंचे, तो 10-20 कदम आगे बढते ही उनके सामने पुर्तगाली सैनिक बंदूकें लेकर खडे हो गये और उन्हें वापिस जाने हेतु कहा गया. साथ ही उनकी गीली लकडियों से बेदम पिटाई की गई. किंतु पिटाई से बुरी तरह आहत होने और जमीन पर गिरने तक सत्याग्रहियों द्वारा गोवा की आजादी के लिए नारेबाजी की जा रही थी. जिसके बाद इन सभी को उठाकर गिरफ्तार कर लिया गया.
बॉक्स
कालकोठरी में निकाले 24 घंटे
15 बाय 20 की कोठरी में 400 से अधिक सत्याग्रहियों को लाकर ठूंस दिया गया. जबर्दस्त मार लगने की वजह से हर कोई घायल था और पूरी कोठरी कराहने की आवाज से भर गई थी. जिन्हें बार-बार मांगने पर भी पानी नहीं दिया गया. जिस पथक ने पुर्तगाली झंडा निकालने का प्रयास किया था, उस पथक में शामिल सत्याग्रहियों के पैरों पर गोलीबारी की गई थी और उनके घाव से लगातार खून बह रहा था. ऐसे में हर किसी को अपनी आंखों के सामने अपनी मौत दिखाई दे रही थी, लेकिन इसके बावजूद भी सत्याग्रहियों की जिद कायम थी और ऐसे ही त्याग व संघर्ष की बदौलत आगे चलकर गोवा को पुर्तगाली दासतां से मुक्ति मिली. गोवा मुक्ति संग्राम के लिए संघर्ष करनेवाले स्वाधीनता संग्राम सेनानी रामकृष्णराव खंडागले नामक दैदिप्यमान सितारे का 20 दिसंबर 2012 को अस्त हुआ.

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