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बलात्कारी को 20 वर्ष सश्रम कारावास

जिला व सत्र न्यायालय का महत्वपूर्ण फैसला

* बेनोडा के ग्राम बारगांव की घटना
* युवती पर बलात्कार कर बनाया था गर्भवती
अमरावती/ दि.6– बेनोडा पुलिस थाना क्षेत्र के ग्राम बारगांव स्थित खंडेलवाल के खेत में आरोपी ने एक महिला पर बलात्कार किया. उसकी लाचारी का लाभ उठाते हुए कई बार उसका शोषण किया. जिसके चलते युवती गर्भवती हो गई. पीडित युवती की मां की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ अपराध दर्ज कर गिरफ्तार किया. तहकीकात के बाद अदालत में दोषारोपपत्र दायर किया गया. मुकदमे की सुनवाई के दौरान जिला व सत्र न्यायालय क्रमांक 4 की न्यायमूर्ति श्रीमती एस.एस.सिन्हा की अदालत ने आरोपी बलिराम उर्फ गोलू भुजनसिंग युवनाते को दोषी करार देते हुए 20 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई.
बलिराम उर्फ गोलू भुजनसिंग युवनाते (32, बारगांव, तहसील वरुड) यह दफा 376 (3) के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास व 10 हजार रुपए जुर्माना तथा जुर्माना न भरने पर एक वर्ष सश्रम कारावास, इसके अलावा धारा 376 (2) (एन) के तहत 10 वर्ष सश्रम कारावास और 5 हजार रुपए जुर्माना तथा जुर्माना न भरने पर 6 माह की सश्रम कारावास की सजा पाने वाले आरोपी का नाम है. अदालत ने पीडित युवती को मनोधैर्य योजना अंतर्गत नुकसान भरपाई देने के लिए जिला विधि प्राधिकरण को निर्देश दिये.
अदालत में दायर दोषारोपपत्र के अनुसार पीडित युवती का पेड बढा हुआ दिखाई देने के कारण उसकी मां को संदेह हुआ. मां ने 24 अगस्त 2019 के दिन पीडित युवती को बेनोडा के डॉक्टर के पास जांच के लिए ले जाया गया. डॉक्टर ने जांच के बाद युवती 6 से 7 माह की गर्भवती होने की बात बताई. पीडित युवती की मां ने युवती से पूछताछ की. युवती ने बताया कि, आरोपी उसका करीबी रिश्तेदार है. आरोपी उसे नवंबर 2018 से दीपावली के बीच जोरजबर्दस्ती ले जाकर उसके साथ कई बार बलात्कार किया. जब जब अवसर मिलता आरोपी इसका लाभ उठाता था. इस शिकायत पर अपराध दर्ज करने के बाद जांच अधिकारी गणपत पुुपुलवार ने मामले की तहकीकात कर अदालत में दोषारोपपत्र दायर किया.
इस मुकदमे में आरोपी के खिलाफ अपराध साबित करने के लिए सरकार की ओर से अतिरिक्त सरकारी वकील एड. मिलिंद शरद जोशी ने पांच गवाहों के बयान लिये. इस मुकदमे में पीडित युवती ने समय बीतने के साथ एक लडकी को जन्म दिया था. आरोपी, पीडित युवती और बच्ची के डीएनए रिपोर्ट के अनुसार आरोपी उस बच्ची का प्राकृतिक पिता होने की बात स्पष्ट हुई. वकीलों के दलीलों को सुनकर व गवाहों के बयान को मान्य करते हुए अदालत ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपरोक्त सजा सुनाई.

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