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रापनि के और 64 कर्मचारी ‘आउट’

अब तक 180 कर्मचारी किये जा चुके निष्कासित

* कार्रवाई के बावजूद आंदोलन बदस्तूर
* लगातार दो माह से थमे हुए है लालपरी के पहिये
अमरावती/दि.6- राज्य परिवहन निगम को सरकारी सेवा में विलीन किये जाने की मांग को लेकर रापनि कर्मचारियों द्वारा विगत नवंबर माह में काम बंद आंदोलन शुरू किया गया था. जो अब भी बदस्तुर जारी है. इस दौरान सरकार द्वारा वेतनवृध्दि दिये जाने की पेशकश करने के साथ ही रापनि कर्मियों से काम पर लौट आने का बार-बार आवाहन किया गया. साथ ही काम पर नहीं लौटनेवाले कर्मचारियों के खिलाफ निलंबन, निष्कासन व तबादले की कार्रवाई करनी भी शुरू की गई. लेकिन इसके बावजूद रापनि के अधिकांश कर्मचारी अब भी हडताल पर अडे हुए है. जिसके चलते रापनि प्रशासन द्वारा अब हडताली कर्मचारियोें की सेवा समाप्त करने का कदम उठाया जा रहा है. इसके तहत विगत 4 जनवरी को 46 कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी गई. वहीं कल बुधवार 5 जनवरी को पांच आगारों सहित विभागीय कार्यालय के 64 रापनि कर्मियों की सेवा समाप्त कर दी गई. जिसमें 20 चालक, 30 वाहक तथा 5 यांत्रिकी व 9 प्रशासकीय कर्मचारियों का समावेश है.
बता दें कि, रापनि प्रशासन द्वारा अब तक कुल 180 हडताली कर्मचारियों को निष्कासित किया जा चुका है. वहीं 270 कर्मचारियों पर निलंबन की कार्रवाई करते हुए 6 लोगों की सेवा समाप्त की जा चुकी है. गत रोज बडनेरा आगार के 10, परतवाडा के 9, दर्यापुर के 9, चांदूर रेल्वे के 8, चांदूर बाजार के 19 तथा विभागीय कार्यालय के 9 ऐसे 64 कर्मचारियों के खिलाफ निष्कासन की कार्रवाई की गई है.

* आम जनता से नहीं मिल पा रहा हडताल को समर्थन
यहां सबसे उल्लेखनीय है कि, विगत दो माह से चली आ रही रापनि कर्मियों की हडताल की वजह से आम नागरिकों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक आने-जाने हेतु काफी तकलीफों का सामना करना पड रहा है. जिसके तहत सबसे बुरी स्थिति जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिकों, विशेषकर शालेय व महाविद्यालयीन युवक-युवतियों की है. किंतु इसके बावजूद भी जिले के आम नागरिकों की ओर से रापनि कर्मियोें की हडताल को कोई विशेष सहानुभूति या समर्थन प्राप्त नहीं हो पा रहा. ऐसे में रापनि कर्मी अकेले ही यह हडताल करते दिखाई दे रहे है और फिलहाल काफी हद तक अलग-थलग भी दिख रहे है. आम नागरिकोें इस बारे में बातचीत करने पर अधिकांश ने यह स्वीकार किया कि, रापनि कर्मचारियों ने आज तक कई समस्याओं व दिक्कतों का सामना करते हुए अपना कर्तव्य पूरा किया. साथ ही बेहद कम वेतन में उन्हें अपना घर परिवार चलाना भी काफी मुश्किल जाया करता था. ऐसे में अपनी मांगों को लेकर हडताल करने में कोई गलत बात नहीं है. लेकिन जब सरकार ने हडताल को गंभीरतापूर्वक लिया है और हडताल को खत्म कराने हेतु 41 फीसद की वेतनवृध्दि देने की घोषणा भी की है, तो इसके बावजूद भी हडताल को लगातार जारी रखना किसी भी लिहाज से योग्य नहीं कहा जा सकता. जिसका सीधा मतलब है कि, अब रापनि कर्मचारी अपनी मांग पर नहीं, बल्कि अपनी जिद पर अडे हुए है. जिसका खामियाजा आम नागरिकों को भुगतना पड रहा है.

* कुछ रूटों पर शुरू हुई रापनि सेवा
वहीं दूसरी ओर सरकार द्वारा दी गई वेतनवृध्दि तथा किये गये आवाहन के चलते इस समय तक 364 कर्मचारी हडताल छोडकर काम पर वापिस लौट आये है. हालांकि इनमें ज्यादा तर कर्मचारी यांत्रिकी व प्रशासकीय विभागों के है और काम पर लौटनेवाले चालकोें व वाहकों की संख्या बेहद कम है. ऐसे में केवल अमरावती, मोर्शी व वरूड इन तीन आगारों से ही इस समय कुछ गिने-चुने रूट पर ही सरकारी बस सेवा को बहाल किया गया है. ऐसे में गत रोज इन तीनों आगारों से चलाई गई रापनि बसों के जरिये 2 हजार 287 नागरिकों ने यात्रा की. बता दें कि, विगत दो माह से चली आ रही इस हडताल के चलते राज्य परिवहन निगम को काफी नुकसान का सामना करना पड रहा है तथा इन दिनों कुछ चुनिंदा रूटों पर चलायी जानेवाली बस सेवा में यात्रियों की संख्या भी बेहद सीमित रहने के चलते कोई विशेष आय भी नहीं हो पा रही. उल्लेखनीय यह है कि, इससे पहले कोविड संक्रमण के खतरे एवं लॉकडाउन की वजह से भी रापनि की बस सेवा लंबे समय तक बंद पडी थी. जिसकी वजह से महामंडल को काफी नुकसान हुआ था. वहीं अब दो माह से चली आ रही हडताल की वजह से रापनि का आर्थिक समीकरण पूरी तरह से गडबडा गया है. किंतु रापनि कर्मचारी सरकारी सेवा में विलीनीकरण किये जाने की मांग पूरी होने तक हडताल पर अडे हुए है. ऐसे में फिलहाल इस मामले का कोई समाधान निकलता दिखाई नहीं दे रहा.

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