राष्ट्रसंत ने 6 दशक पहले ही ग्रामगीता में बता दी थी चुनावों की हकीकत
अमरावती/दि.19– इस समय देश में लोकसभा चुनाव को लेकर सत्ता संघर्ष अपने चरम पर पहुंच गया है. केवल अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए राजनीतिक दलों व राजनेताओं द्वारा काम किया जा रहा है और वे इस बात को लगभग पूरी तरह से भूल चुके है कि, राजनीति यह आम जनता की सेवा करने का जरिया है और वे आम जनता के सेवक है. इन दिनों जिस तरह के राजनीतिक हालात का सामना सामान्य नागरिक अनुभव कर रहा है. उसका अनुमान राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज को कई वर्ष पहले ही हो चुका था. यहीं वजह है कि, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज ने अपने द्वारा रचित ग्रामगीता में राजनीति एवं चुनावों को लेकर बडे साफ तरीके से काफी कुछ लिख दिया था.
राजनीतिक हालात को लेकर राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज ने ग्रामगीता में लिखा है कि,
नाना तर्हेचे वाद वितंड, नाना पक्षांचे माजविले बंड.
कधी आड कधी उघड, सुरु झाले कार्य त्यांचे.
गोंधळवोनी टाकिले जनमना, झाला प्रेम-शक्तिचा धिंगाणा.
जिकडे पाहावे तिकडे कल्पना, फुटीर वृत्तीच्या.
कुछ इसी तरह की स्थिति इस समय राजनीति के अखाडे में दिखाई देती है. जहां पर जनसेवा केवल नाम के लिए ही बची हुई है और अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए नेताओं द्वारा बेइमानी व अप्रामाणिकता की तमाम सीमाओं का उल्लंघन कियाजा रहा है. इसी के मद्देनजर राष्ट्रसंत द्वारा आगे कहा गया है कि,
व्यक्तिस्वार्थ बोकाळला, जो तो मनाचा राजा झाला.
वेगवेगळ्या प्रलोभनी गुंतला, समाज सारा.
नाही कोणा सेवेचे भान, घालीती सत्तेसाठी थैमान.
गाव केले छिन्नभिन्न, निवडणुकी लढवोनी.
आज चुनाव जीतने के लिए सबकुछ करने हेतु तैयार रहने वाले राजनीतिक लोगों द्वारा भोले-भाले मतदाताओं को क्षेणभंगुर, लालच का प्रलोभन दिखाकर अपना पलडा भारी करने का प्रयास किया हजाता है. इस पर भी राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज ने ग्रामगीता में प्रकाश डाला है और कहा है कि,
गावी होती निवडणुकी, माणसे होती परस्परात साशंकी.
कितीतरी पक्षोपक्षांनी दु:खी, व्यवहारागाजी.
तैसीच येथे गती झाली, कोणी जातीयतेची कास धरिली.
कुचेष्टा करोनी प्रतिष्ठा मिळविली, वचने दिली हवी तैसी.
काहीजणांनी मेजवानी दिली, दारु पाजुनी मते घेतली.
भोळी जनता फसवोनी आणिली, मोटारीत घालोनिया.
ऐसे सर्व प्रकार केल्या, गुंडागिरीने निवडून आला.
म्हणे संधी मिळाली सेवकाला, सेवा करीन सर्वांहुनी.
इस तरह कई पहलुओं को उजागर करते हुए राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज ने मौजूदा दौर में शुरु रहने वाली राजनीति उठापठक पर कई दशक पहले विस्तृत वर्णन किया है. परंतु जनसामान्यों को अपने भाषणों के लिए उपदेशों का डोस पिलाने वाले राजनीतिक लोगों ने शायद सही अर्थों में कभी ग्रामगीता का पठन ही नहीं किया. अन्यथा उन्हें यह समझमें आ जाता कि, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज ने उनकी असलियत कई दशक पहले ही आम जनता के सामने रख दी थी.