अमरावती

राष्ट्रसंत परम गुरुदेव श्री नम्रमुनि महाराज साहेब

अमरावती १३ – समग्र संसार का त्याग हो न हो परंतु भाव संसार त्याग के  पावन बोध के साथ राष्ट्रसंत परम गुरुदेव श्री नम्रमुनि महाराज साहेब के सानिध्य में श्री गिरनार जैन दीक्षा महोत्सव समिति के उपक्रम से आयोजित नौ नौ आत्माओं के दीक्षा महोत्सव का आज का अवसर हजारों की आत्मधरा को स्नेह भरे तरंगों से स्पंदित कर गया था।
संसार के सुखों को त्याग कर सत्य के मार्ग पर प्रयाण कर रहे नौ नौ आत्माओं की अनुमोदना करते हुए समस्त दीक्षा महोत्सव के अनुमोदक धर्मवत्सला श्री बीनाबहन अजयभाई शेठ परिवार और लाभार्थी श्री नटवरलालभाई वच्छराज चोकसी परिवार के सहयोग से मुमुक्षु श्री फेनिलकुमार अजमेरा, मुमुक्षु श्री श्रेयमबहन खंधार, मुमुक्षु श्री एकताबहन गोसलीया, मुमुक्षु श्री निरालीबहन खंधार, मुमुक्षु श्री अल्पाबहन अजमेरा, मुमुक्षु श्री आयुषीबहन महेता, मुमुक्षु श्री निधिबहन मडीया, मुमुक्षु श्री मिश्वाबहन गोडा और मुमुक्षु श्री दीयाबहन कामदार के सत्रह दिनों से मनाए जा रहे अभयदयाणं आत्मकल्याणं दीक्षा महोत्सव के अवसरों में We Jain-One Jain से जुड़े समग्र भारत के 108 से अधिक श्री स्थानकवासी जैन संघों के साथ विदेश के अनेक संघ, विविध क्षेत्रों में बिराजित पूजनीय संत-सतीजीओं के साथ हजारों भाविक लाईव के माध्यम से जुड़कर अनुमोदना का अनुपम लाभ पा रहे हैं।
उल्लसित हृदयों की भावना के साथ, संयम धर्म का जयनाद कर रहे नेम दरबार में सजी हुई सुंदर डोली में और सिद्धशिला के सुंदर प्रतिक में विराजमान कर अत्यंत अहोभाव से मुमुक्षुओं का स्वागत किया गया था।
आत्मचैतन्य को जागृत करती मधुर वाणी फरमाते हुए परम गुरुदेव ने समझाया था कि, हर परिस्थिति में जहां स्वीकार भाव है वहां आनंद ही आनंद है, पर अस्वीकारभाव है वहां केवल आंसु ही होते हैं। Zero + zero = zero वही होता है संसार। यह बात जब समझ में आती है तब अनुभूति होती है कि, अब तक लाईफ का कोई पर्पझ ही नहीं था। पर्पझ बिना का जीवन अर्थात बिना एड्रेस का कवर। जीवन के हर संबंध और हर पात्र संसार खेल के केवल खिलौने होते हैं। संसार का खेल पूरा, जीवन पूरा और बात पूरी। इसीलिए प्रभु ने कहा, संयम जीवन का चाहे स्वीकार हो न हो परंतु सरलता से जीवन जीने का पर्पझ बना लें। संसार छूटे न छूटे, परंतु बुजुर्गों के प्रति अविनय छोड दें। अंतर के अहंकारभाव को छोड़ कर माता-पिता के चरणों में विनय विद्यार्थी बन कर झुक जाएं। माता-पिता के चरण में जो झुक जाते हैं उन्हें दुनिया कभी झुका नहीं सकती। बिना Aim की लाइफ एक गेम जैसी होती है। संयम सब नहीं ले पाते पर, सरल जीवन जीना यह जीवन का purpose बना सकते है। जिसके life का कोई पर्पस नहीं होता उसकी life सर्कस जैसी होती है।
इस अवसर पर मुमुक्षु श्री एकताबहन, मुमुक्षु श्री अल्पाबहन, और मुमुक्षु श्री दीयाबहनने अंतर के उपकारभावों के साथ माता-पिता की चरणपूजन विधि और प्रदक्षिणा वंदना करते हुए अदभूत दृश्यों का सृजन हुआ था। इन मुमुक्षुओं ने अपने भाईयों की कलाई पर संसार जीवन का अंतिम आत्मरक्षाबंधन कर सर्वत्र स्नेहभाव प्रसारित किया था।
स्वजन परिवार और समस्त संसार को बिदा करके इस अवसर पर मुमुक्षु आत्माओं के श्रीमुख से की गई भाव अभिव्यक्ति सत्य की दृष्टि बनकर सभी के अंतर को उजागर कर गई थी।
पिछले सत्रह दिनों से गिरनार की धरा पर कल्याण का नाद कर रहे इस दीक्षा महोत्सव की पूर्णता जब समीप आ रही हैं तब, कल ता. 14.02.2021 रविवार सुबह 08.30 बजे संयम के लिए तरस रहे नौ नौ आत्माओं को संसार सागर से तार रहे श्री भागवती जैन दीक्षा महोत्सव में परम गुरुदेव के श्रीमुख से संयम के दान अर्पण किए जाएंगे।
दीक्षा महोत्सव ता. 14.02.2021 रविवार के कार्यक्रम का लाईव प्रसारण सुबह 08.30 से शाम 05.00 तक सोहम चेनल, पारस चेनल और अरिहंत चेनल पर किया जाएगा।
परमात्मा के दरबार में नौ नौ आत्माएं प्रवेश कर रहीं हैं तब इस अवसर की अनुमोदना कर धन्य बनने हर भाविकों को लाईव के माध्यम से जुड़ने के लिए श्री गिरनार जैन दीक्षा महोत्सव समिति की ओर से आमंत्रित किया गया है।

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