* खुद ही प्रवास गुप्त रखने कहा था
अमरावती/दि.14– उद्योग महर्षि रतन नवल टाटा 1978 में अमरावती आए थे. उन्होंने तत्कालीन नेल्को डीलर सोमानी रेडिओज प्रतिष्ठान को भेंट दी थी. इस प्रतिष्ठान के संचालक रामकिसनजी सोमानी से रतन टाटा ने लंबी मुलाकात की थी. बडी बात यह है कि, उस समय भी देश के जानेमाने उद्योगपति रहने के बावजूद मितभाषी रतन टाटा ने अपनी अमरावती विजिट को स्मॉल अफेयर रखने की कोशिश की और वे सफल भी रहे. यह जानकारी अशोक सोमानी ने अमरावती मंडल के साथ शेयर की. उन्होंने बताया कि, रामकिसनजी सोमानी अब दिवंगत हैं. वे स्वयं अशोक सोमानी उस समय काफी छोटे थे. उन्होंने बताया कि, रतन टाटा ने सोमानी परिवार का हौसला बढाया. सोमानी रेडिओज कार्पोरेशन जयस्तंभ चौक ने उस समय रिकॉर्ड विक्री कर कंपनी का पुरस्कार प्राप्त किया था. चूंकि, टाटा नेल्को के उपाध्यक्ष थे. अत: अमरावती पधारे.
* दो घंटे ठहरे, केवल जलपान
उस समय सबेरे 11 बजे बडे ही गोपनीय अंदाज में पहुंचे रतन टाटा करीब दो घंटे तक सोमानी रेडिओज में रुके. उन्होंने केवल चाय आदि ग्रहण की. भोजन की व्यवस्था करने से भी साफ मना कर दिया था. देर तक बिझनेस और इधर-उधर की बातें रतन टाटा ने उस समय की, ऐसी जानकारी भी रमेश सोमानी, शरद सोमानी, सुरेश सोमानी, सुभाष सोमानी, अशोक सोमानी ने दी.
* विजीटिंग कार्ड पर दस्तखत
टाटा ग्रुप उस समय भी बडा उद्योग समूह था. टाटा ग्रुप अंतर्गत नेल्को कंपनी थी. जो रेडिओ बनाती. उस समय घर-घर में रेडिओ हुआ करते. जाते समय रतन टाटा ने अपना विजीटिंग कार्ड दिया. उस पर सोमानी के आग्रह पर अपने दस्तखत सहर्ष कर दिए थे. अशोक सोमानी बताते हैं कि, रामकिसनजी सोमानी ताउम्र रतन टाटा की सादगी और सहजता की चर्चा करते.