अमरावतीमहाराष्ट्र

लोगों की राह में आती बाधा दूर करते रवीन्द्र पाठक

सिटी कोतवाली के पास चार दशकों से डेरा

* सभी गाडियों का पंक्चर मिनटों में दूर
अमरावती/दि.3 सर्दी, गर्मी अथवा बरसात कोई भी मौसम हो सिटी कोतवाली के पास पिछले 4 दशकों से अधिक समय से रवीन्द्र पाठक सुबह 9 से शाम 6 बजे तक सभी प्रकार की टूव्हीलर, फोरव्हीलर का पंक्चर मिनटों में ठीक कर देते हैं. उन्हीं के शब्दों में कहें तो लोगों की रास्ते की रूकावट वे दूर करते हैं. कम पढे लिखे होने के बावजूद पाठक को राजनीति की काफी समझ है. वे स्वामी विवेकानंद से बडे प्रभावित है. राजनीति को कीचड की संज्ञा देते हैं. पाठक भगवान विष्णु नारायण के असीम भक्त हैं. भगवान राम के मंदिर हेतु अयोध्या में दोनों बार की कार सेवा में 1990 तथा 1992 में जोश से सहभागी हुए थे. पाठक बताते हैं कि समाचार पत्र पढना और टीवी सेट पर भी समाचार चैनल देखना ही वे पसंद करते हैं.

* पिता की दुकान
रवीन्द्र पाठक ने बताया कि सडक किनारे यह पंक्चर मरम्मत का ठेला उनके पिता वसंत पाठक ने शुरू किया था. वे भी अपनी स्कूल की पढाई होने के बाद यहां आकर पिता की सहायता करने लगे थे. रवीन्द्र पास ही नेहरू मैदान की मनपा शाला में पढते थे. उन्होंने कक्षा 9 वीं तक पढाई की. उसके बाद पंक्चर सुधारने के पिता के धंधे में सहयोग करने लगे. नीतेश भाई चंद्रशेखर पाठक वरूड कोर्ट में कार्यरत थे. वहीं परिवार में बहन नलिनी भी है.

* 66 साल पहले भरा दंड
सडक किनारे अपनी रोजी रोटी चलानेवाले रवीन्द्र पाठक ने बताया कि उनके पिता वसंत पाठक को 1958 में पालिका की ओर से दंड किया गया था. सडक किनारे ठेला लगाने का. उस दोआना दंड की रसीद उन्होंने बरसों तक संभाल कर रखी थी. पिता को हुए दंड से रवीन्द्र ने सबक लिया. उन्होंने सरकार से आवेदन किया. तत्कालीन विधायक जगदीश गुप्ता के कारण पाठक को जहां वे अपना ठेला लगाते हैं. वहां का नो क्लेम एग्रीमेंट प्राप्त हो गया. इससे वे यहां लगातार काम कर रहे हैं. सुबह से लेकर शाम तक दर्जनों गाडियों का पंक्चर दुरूस्त करते हैं. उन्हें अपने काम के प्रति बडी लगन हैं. राजापेठ के झंडा चौक के अपने घर से वे तैयार होकर नित्य सुबह ठीक 9 बजे आ जाते हैं.

* पिंगलाई के भक्त, मंदिर कम जाते
रवींद्र पाठक के परिवार में भाई बहन हैं. वे पिंगलाई माता के बडे भक्त हैं. अमरावती की अंबा माता और एकवीरा माता को रोज नित्य नियम से मंदिर के बाहर से ही प्रणाम करते हैं, शीश नवाते हैं. पाठक अपने काम को लेकर सजग हैं. पंक्चर दुरूस्ती के लिए वाहन आते ही काम में रूक जाते हैं. खाली समय में वे रेडियों सुनते थे. अब मोबाइल फोन से समाचार चैनल देखते हैं.

* सीतादेवी की बात याद हैं
राजनीतिक विषयों पर बोलने से भले ही बचते हैं. किंतु रवीन्द्र पाठक को समाचारों में राजनीतिक घटनाक्रमों में बडी रूचि हैं. वे कहते हैं कि उन्हें भूतपूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की पत्नी सीतादेवी का वाक्य आज भी स्मरण है. सीता देवी ने भूदान आंदोलन में विनोबा भावे की प्रेरणा से वीपी सिंह द्बारा अपनी समस्त जमीन दान कर देेने के मूर्खता कहा था. वीपी सिंह राजा थे. पाठक के अनुसार स्वामी विवेकानंद भी राजनीति से इसीलिए बचते रहे.

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