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त्रिशूल युध्द स्मारक का पुन: विकास

अमरावती के श्रीकांत भारतीय संयोजक

* उन्हीं की पहल से महाराष्ट्र सरकार बनवा रही स्मारक
अमरावती/ दि. 17-लेह – लद्दाख में कारूं गांव के पास हाईवे पर स्थित त्रिशूल युध्द स्मारक का महाराष्ट्र शासन 3 करोड रूपए खर्च कर पुन: विकास अथवा कह लीजिए नवनिर्माण करवा रहा है. यह स्मारक अगले 10 माह में बन कर तैयार हो जायेगा. इसके लिए मूल रूप से अमरावती निवासी तथा उच्च सदन के सदस्य श्रीकांत भारतीय ने पहल की. भारतीय को ही राज्य शासन के मुखिया एकनाथ शिंदे ने इस प्रकल्प का संयोजक मनोनीत कर दिया है. भारतीय इस प्रकल्प का सैन्य अधिकारियों के साथ मिलकर निर्माण कर तेजी से पूर्ण करवा रहे हैं. उन्होंने अमरावती मंडल से इस विषय में कुछ जानकारी तथा आगे की योजना साझा की.
* कैसे आया नवनिर्माण का विचार
जब विधायक भारतीय से पूछा गया कि युध्द स्मारक के नव निर्माण का विचार उन्हें कैसे सूझा ? तो उन्होंने बताया कि कुछ माह पहले वे लेह लद्दाख गये थे. तब उन्हें लेह से लगभग 35 किमी दूर त्रिशूल वार मेमोरियल नजर आया. यह हाइवे से सटी जगह पर हैं. बावजूद इसके वहां से आते- जाते लोगों का जल्दी ध्यान नहीं जाता. यह स्मारण भारत चीन युध्द के बाद स्थापित किया गया था.
* संग्रहालय की अवस्था ठीक न थी
त्रिशूल स्मारक सिंधु नदी के तट पर स्थित हैं. वहां संग्रहालय की हालत बहुत अच्छी न थी. यह देख एमएलसी भारतीय को ठीक न लगा. उन्होंने स्मारक के नवनिर्माण का सोचा. इसे बेहतर बनाया जा सकता है. जिससे यहां विजिटर्स की संख्या बढने और लोगों को युध्द स्मारक से प्रेरणा मिले, ऐसा कुछ होना चाहिए. यह विचार श्रीकांत भारतीय के मन में आया.
* फडणवीस को बताया, सीएम से बात
भारतीय ने अपनी कल्पना उपमुख्यमंत्री देवेंन्द्र फडणवीस को बतलाई. फिर वे और फडणवीस अपनी कल्पना के बारे में सीएम एकनाथ शिंदे से मिलने वर्षा बंगले पर पहुंचे. भारतीय ने अपने विधायक फंड से युध्द स्मारक के विस्तार और विकास की तैयारी दर्शाई. किंतु नियमानुसार वे विधायक फंड का प्रदेश के बाहर उपयोग नहीं कर सकते. अत: राज्य शासन से अनुरोध किया गया. सीएम शिंदे ने बगैर देरी किए उनके इस प्रस्ताव को मान्य किया.
*हेड नहीं हार्ट चाहिए
सचिव गगरानी ने बताया कि ऐसे प्रकल्प के लिए हेड नहीं है. इस पर सीएम शिंदे ने तुरंत कहा कि युध्द स्मारक के लिए हेड नहीं हार्ट चाहिए अर्थात प्रावधान न हो. किंतु दिल हो तो प्रावधान किए जा सकते हैं. इसके लिए विशेष हेड बनाया गया. उन्होंने तत्काल प्रकल्प के लिए 3 करोड रूपए मंजूर कर दिए. भारतीय सेना का निर्माण विभाग इसका नवनिर्माण कर रहा हैं. इसका शिलान्यास पिछले माह सैन्य अधिकारी राशिम बाली और अन्य के साथ उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के हस्ते संपन्न हुआ. मराठा रेजीमेंट और भारतीय सेना के शौर्य को स्मारक में विविध रूप से प्रस्तुत किया जायेगा. भारतीय के अनुसार यह नई पीढी के लिए प्रेरणास्पद होगा.

* शिवाजी की अश्वारूढ प्रतिमा
श्रीकांत भारतीय के अनुसार उपरोक्त स्मारक न केवल सैलानियों को आकृष्ट करेगा बल्कि युवा पीढी के लिए प्रेरणास्त्रोत बनेगा. वहां एक बगीचा भी साकार किया जा रहा है. जिसमें छत्रपति शिवाजी महाराज की भव्य अश्वारूढ प्रतिमा स्थापित की जायेगी. देश की सीमा पर इस तरह की प्रतिमा और यह स्मारक निश्चित ही मोटीवेशनल हैं.

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