अमरावती

पेण को टक्कर देने तैयार अमरावती

शहर के 300 मूर्तिकारों ने बनाई डेढ लाख से अधिक गणेश मूर्तियां

  • 80 हजार मूर्तियां अन्य जिलों व राज्यों को भेजी गई

अमरावती/प्रतिनिधि दि.६ – सुंदर व सुघड गणेश मूर्तियों के लिए अब तक महाराष्ट्र का पेण शहर काफी विख्यात हुआ करता था. जहां पर शाडू मिट्टी से बननेवाली गणेश मूर्तियां काफी दूर-दराज के शहरों तक भेजी जाती थी. किंतु अब धीरे-धीरे अमरावती शहर के मूर्तिकारों द्वारा साकार की जानेवाली गणेश मूर्तियां पेण में बननेवाली मूर्तियों को टक्कर देने लगी है. जानकारी के मुताबिक इस वर्ष अमरावती शहर में 300 से अधिक मूर्तिकारों द्वारा डेढ लाख के लगभग मिट्टी से बनी घरेलू गणेश प्रतिमाएं तैयार की गई है. जिसमें से 80 हजार मूर्तियां अन्य जिलों व राज्यों में भेजी गई है. साथ ही साथ कई मूर्तियां तो सात समुंदर पार अन्य देशों में भी भिजवायी गई है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, अब अमरावती शहर के मूर्तिकारों की कला का डंका देश सहित विदेशों में भी बजने लगा है.
बता दें कि, आगामी 10 सितंबर से दस दिवसीय गणेशोत्सव पर्व का प्रारंभ होने जा रहा है. जिसके चलते बाप्पा के भक्तोें द्वारा अपने लाडले बाप्पा के आगमन व स्वागत हेतु तमाम तैयारियां की जा रही है. वहीं प्रशासन द्वारा की जानेवाली जनजागरूकता के चलते अब धीरे-धीरे सभी लोग पर्यावरणपूरक गणेशोत्सव मनाने की मानसिकता में है और विगत कुछ वर्षों से मिट्टी से बनी गणेशमूर्ति स्थापित करने की ओर बाप्पा के भक्तों का रूझान बढने लगा है. वहीं गत वर्ष से कोविड संक्रमण के खतरे को देखते हुए सार्वजनिक गणेश मंडलों के लिए प्र्रशासन द्वारा कई कडे प्रतिबंधों के साथ नियमावली तैयार की गई है. जो इस वर्ष भी बदस्तूर जारी रहेगी. ऐसे में सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों में भी अब भव्य-दिव्य मूर्तियों की बजाय अधिकतम चार फीट उंची गणेश प्रतिमा स्थापित की जायेगी. वहीं घरेलू गणेश प्रतिमाओं की अधिकतम उंचाई दो फीट रखने के निर्देश है. बता दें कि, बेहद उंची गणेश प्रतिमाओं को बनाने हेतु बडे पैमाने पर प्लास्टर ऑफ पॅरिस की मिट्टी का प्रयोग किया जाता है. वहीं कम उंचाईवाली गणेश प्रतिमाओं का निर्माण बडी आसानी के साथ प्राकृतिक मिट्टी के जरिये किया जा सकता है. ऐसे में जहां एक ओर बाप्पा के भक्त अब मिट्टी से बनी प्रतिमा ही स्थापित करने पर जोर दे रहे है. वहीं दूसरी ओर सरकार एवं प्रशासन की ओर से जारी निर्देशों को देखते हुए मूर्तिकारों द्वारा भी बडे पैमाने पर मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाओं का निर्माण किया जा रहा है. गणेशोत्सव पर्व के मद्देनजर अमरावती शहर के सभी मूर्तिकार विगत छह-सात माह से गणेश मूर्तियां तैयार करने के काम में लगे हुए है और आठ-दस दिन पूर्व ही पूरी तरह तैयार हो चुकी गणेश मूर्तियों में से करीब 80 हजार मूर्तियां आसपास के शहरों तथा अन्य जिलों सहित देश के अन्य राज्यों में भेजी गई है. वहीं स्थानीय बिक्री के लिए मूर्तियां तैयार करने का काम अब अंतिम चरण में है. साथ ही शहर में अब जगह-जगह पर गणेश प्रतिमा बिक्री की दुकाने भी लग गई है.

  • जिले में 50 से 60 हजार गणेश प्रतिमाओं की मांग

अमरावती शहर सहित जिले में बिक्री हेतु करीब 50 से 60 हजार गणेश प्रतिमाओं की आवश्यकता है और लगभग इतनी मूर्तियां हम बिक्री के लिए तैयार कर चुके है. वहीं अन्य मूर्तियों को बाहरी जिलों व राज्यों में भेजा गया है. साथ ही हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी स्थानीय मूर्तिकारों द्वारा बनाई गई मूर्तियां दूनिया के कई देशों में भी भेजी गई है.
– प्रभाकर रोतले
अध्यक्ष, कुम्हार मातीकला सुधार समिती, अमरावती.

  • मिट्टी से बनी पर्यावरणपूरक मूर्ति की स्थापना करे

शहर के करीब 300 मूर्तिकारों द्वारा डेढ लाख के आसपास मिट्टी से बनी मूर्तियां तैयार की गई है. जिसमें से बडे पैमाने पर कई मूर्तियां बाहरगांव भी भेजी गई है. प्रशासन की ओर से जारी किये गये निर्देशों तथा पर्यावरण संवर्धन की जरूरत को देखते हुए भक्तों ने मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाओं की स्थापना कर पर्यावरणपूरक गणेशोत्सव मनाना चाहिए.
– कैलास रोतले
सचिव, कुम्हार माती कला सुधार समिती, अमरावती.

  • मूर्ति के साथ एक कुंडी व पौधा देने का उपक्रम

पर्यावरणपूरक गणेशोत्सव को लेकर जनजागृति करने हेतु शहर के वन्यजीव अभ्यासक तथा निसर्गमित्र निलेश कंचनपुरे ने मिट्टी से बनी गणेशप्रतिमा की बिक्री करते समय संबंधित ग्राहकों को मूर्ति के साथ एक कुंडी व पौधा मुफत देने का निर्णय लिया है, ताकि मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा का घर पर उसी कुंडी में विसर्जन किया जाये और फिर उसी मिट्टी में पौधा लगाया जाये. इस जरिये जहां एक ओर जल प्रदूषण को रोका जा सकेगा, वहीं गणेश विसर्जन के साथ-साथ वृक्षारोपण भी होगा.

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