अमरावती

नकली पुलिस को लेकर असली पुलिस करेगी ‘स्पॉट वेरिफिकेशन’

24 जुलाई तक पीसीआर : शिकायतकर्ताओं को सामने आने का आवाहन

अमरावती/दि.22 – पुलिस का गणवेश पहनकर व्यवसायियों को लूटनेवाले नकली पुलिस को लेकर राजापेठ पुलिस अब ‘स्पॉट वेरिफिकेशन’ करेगी. उसे स्थानीय न्यायालय ने 24 जुलाई तक पुलिस हिरासत सुनाई है. विनायक सुधाकर इंगले (30) इस नकली पुलिस का नाम है. जो वाशिम जिले की मानोरा तहसील के इंझोरी गांव का निवासी है. उसे 20 जुलाई को राजापेठ पुलिस ने सबनीस प्लॉट से पुलिस के गणवेश में दुकानदारों से पैसा लेते हुए रंगेहाथों पकडा था. रात के दौरान उसके किराये के घर की तलाशी ली, तब अमरावती पुलिस का नकली आयकार्ड, पुलिस टी-शर्ट व टोपी जप्त की गई. इससे पहले उसके खिलाफ अपराध दर्ज किया गया. उसे कल गुरूवार को दोपहर स्थानीय न्यायालय में पेश किया गया है.

महंगी दुपहिया चोरी की

आरोपी के पास से ताबे में ली गई एमएच 27/एएम 7868 नंबर की दुपहिया एक सप्ताह पहले उसने गाडगेनगर क्षेत्र से चुराई तथा पुलिस का गणवेश उसने पुणे से सिलाकर लाया, इस तरह की जानकारी पुलिस जांच में सामने आयी है.

नकली पहचानपत्र बनानेवाला रडार पर

पुलिस ने नकली पुलिस बनकर व्यापारियों को लूटनेवाले का पहचान पत्र जप्त किया है. प्राथमिक स्तर पर देखते ही यह पहचान पत्र नकली होगा, ऐसा किसी को भी नहीं लगेगा, इतना वह हुबहू तैयार किया गया है. यह पहचानपत्र इस नकली पुलिस ने गाडगेनगर परिसर में तैयार किया है. तैयार करनेवाले का पुलिस पता लगा रही है. उसे पूछताछ के लिए बुलाया जायेगा. इसके अलावा और भी कितने पहचान पत्र उसने इस तरह तैयार किये है, इस बाबत उससे पूछताछ की जायेगी, ऐसा राजापेठ के थानेदार मनीष ठाकरे ने बताया.

पत्नी से झूठ कहा था, मुख्यालय के तीसरे माले पर रहने की बात कही

विवाह के बाद कुछ दिनों पश्चात पत्नी को विनायक पर संदेह होने लगा. जिससे वह कई बार उसे क्या आप सही में पुलिस है? इस बारे में पूछती थी. इस बीच एक बार पत्नी ने उसे पूछा के आप कहा कार्यरत है, क्या काम करना पडता है, इस समय उसने पत्नी से कहा कि, वह फिलहाल पुलिस मुख्यालय में है और मुख्यालय के तीसरे माले पर काम करता है. लेकिन सच्चाई यह है कि, मुख्यालय को तीसरा माला ही नहीं है. कुछ दिन पहले फिर एक बार पत्नी ने उससे पूछताछ की, तब वहां से चार से पांच दिन बाद उसने पहचानपत्र उसे दिखाया. कम से कम पहचानपत्र देखकर तो भी पत्नी को विश्वास होगा, ऐसा उसे लगता था. किंतु पत्नी को संदेह पहले से ही था. इस कारण उसने पहचान पत्र के आधार पर उसकी जांच करने का प्रयास किया. किंतु उसे उसके बारे में विस्तृत जानकारी नहीं मिल पायी. इस बीच हाल ही में वह निलंबीत है, ऐसा कह रहा था. इस तरह की बात आरोपी विनायक की पत्नी ने पुलिस से कही है.

सात वर्ष की सजा का है प्रावधान

पुलिस जांच के दौरान और कुछ नई जानकारी सामने आयी, तो उस तरह के सबूत मिले तो नकली पुलिस के खिलाफ धाराएं बढ सकती है. इस तरह की व्यवस्था है. फिलहाल पुलिस ने जो अपराध दर्ज किये है, उसके अनुसार धारा 420 अंतर्गत सात वर्ष की कैद व जुर्माना इस तरह की व्यवस्था है. उसके साथ ही फर्जीवाडा करना यानी भादंवि की धारा 170, 171 में तीन महिने की कैद अथवा जुर्माना या दोनों इस तरह की भी व्यवस्था है.
– एड. परिक्षित गणोरकर
जिला सरकारी वकील

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