अमरावती

हकीकत : ग्रामीण क्षेत्र में चिकित्सा अधिकारी मुख्यालय पर नहीं रहते उपलब्ध

२४ घंटे स्वास्थ्य सेवा का नहीं मिलता लाभ

परतवाड़ा/दि. २२-आम लोगों को मुफ्त और सही स्वास्थ्य सुविधा मिले और मरीजों को परेशानी न हो, इसके लिए अधिकारियों और कर्मचारियों को मुख्यालय में ही रहने का आदेश दिया गया है. इसके बावजूद कई चिकित्सा अधिकारी व कर्मचारी मुख्यालय पर निवास नहीं करते हैं. इससे मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं लेने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. शहरों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाओं की भारी कमी है. बीमारी की स्थिति में गरीब परिवारों के लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों या उपकेन्द्रों का ही सहारा लेना पड़ता है. सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं कि कार्य स्थल २४ घंटे तैयार रहें और नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराएं. दरअसल, कई जगहों पर नियमों का उल्लंघन होता नजर आ रहा है.
स्वास्थ्य विभाग द्वारा आम जनता को सेवा मिलें, मुफ्त इलाज मिलें, इसके लिए सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च कर चिकित्सा अधिकारी व कर्मचारियों के लिए निवासस्थान का निर्माण किया. बावजूद इसके असुविधा के कारण आगे कर मुख्यालय में मौजूद न रहकर अपने मालकियत अथवा किराए की इमारत में निवास करते है. परिणाम स्वरूप मरीजों को रात-बेरात अथवा दिन भर समय पर उपचार नहीं मिलता. स्वास्थ्य विभाग की सुविधा रहने पर भी अस्पताल में डॉक्टर तथा अन्य कर्मचारी उपलब्ध नहीं होने से लोगों को निजी अस्पताल में जाना पड़ता है, जिसके कारण उन्हें आर्थिक नुकसान सहना पड़ता है.इसलिए स्वास्थ्य प्रशासन के लिए जरूरी है कि चिकित्सा अधिकारियों व कर्मचारियों को मुख्यालय पर ही रहने के लिए बाध्य किया जाए. आम नागरिक मांग कर रहे हैं कि मुख्यालय में नहीं रहने वाले चिकित्सा अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाए.
* मुख्यालय में कौन रहता है?
– ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जिनमें उप-केंद्र कर्मचारी और चिकित्सा अधिकारी शामिल हैं, मुख्यालय में नहीं रहते हैं. इससे मेलघाट सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ उपकेंद्रों पर दिन में ताले देखने को मिल रहे हैं.
– कुछ स्थानों पर संसाधनों की कमी, और कुछ जगहों पर आवास की खराब स्थिति और सुविधाओं की कमी के कारण चिकित्सा अधिकारी मुख्यालय में रहना टालते है.
* मुख्यालय में रहने के निर्देश
आम जनता को मुख्यालय में रहकर २४ घंटे स्वास्थ्य सुविधा मिले, गंभीर रूप से बीमार रोगियों, विशेष रूप से रात में, को तत्काल स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता होती है. इस मामले को ध्यान में रखते हुए चिकित्सा अधिकारियों को मुख्यालय पर ही रहने का निर्देश दिया गया है.
* अधिकांश पद रिक्त
जिले के मेलघाट सहित ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में मंजूर चिकित्सा अधिकारी एवं कर्मचारियों के अधिकांश पद रिक्त हैं. इसका सीधा असर स्वास्थ्य सुविधाओं पर पड़ रहा है.गंभीर बीमारी रहने वाले मरीजों को रेफर टू की सलाह देकर अपनी जिम्मेदारी से मुंह फेरा जा रहा है.
* जिस दिन डॉक्टर आएंगे उस दिन इलाज
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र वाले उपकेंद्र पर डॉक्टर के आने पर इंजेक्शन, गोलियां दी जाती हैं. वहां अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने से अथवा नहीं मिलने से अस्पताल के केवल नाम के लिए है. टीकाकरण और स्वास्थ्य शिविर होने पर ही उपकेंद्र खोला जाता है. २४ घंटे स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिलने से मरीजों को परेशानी व असुविधा हो रही है. ग्रामीणों का कहना है कि कुछ स्वास्थ्य कर्मी, एएनएम पर तीन गांवों का प्रभार है. रिक्त पदों को भरने में अनदेखी हो रही है.

मुख्यालय में मौजूद रहना अनिवार्य
ग्रामीणों एवं नागरिकों को २४ घंटे प्रभावी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने हेतु चिकित्सा अधिकारियों एवं कर्मचारियों का मुख्यालय पर रहना अनिवार्य है. ऐसा निर्देश उन्हें दिया गया है.
– जिला स्वास्थ्य अधिकारी, अमरावती

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